कांग्रेस और राजद ने CAA-NRC के दौरान चुप्पी नहीं साधी होती तो बुरे दिन न आते: ओवैसी

कांग्रेस और राजद ने CAA-NRC के दौरान चुप्पी नहीं साधी होती तो बुरे दिन न आते: ओवैसी

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद सबसे अधिक किसी पार्टी की चर्चा है तो वह है ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी को कोई वोट कटवा कह रहा है तो कई भाजपा की ‘बी’ टीम। वहीं दूसरी तरफ पांच सीटों पर जीत के बाद उत्साहित ओवैसी का कहना है कि राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस मुसलमानों के साथ बुरे वक्त में उनके साथ खड़ी नहीं रही जिसके चलते उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

उन्होंने राजद और कांग्रेस पर सीएए और एनआरसी के दौरान चुप्पी साधने का आरोप लगाया है। इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में ओवैसी ने कहा कि आरजेडी और कांग्रेस ने नागरिकता कानून को लेकर चुप्पी साध रखी थी और इसी का नतीजा चुनाव में सामने आया है।

वहीं महागठबंधन की सहयोगी दल कांग्रेस चुनाव परिणाम आने के बाद ओवैसी पर लगातार हमलावर है। कल कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने ओवैसी को भाजपा से मिले होने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था, “बीजेपी ने बड़े चतुराई से ओवैसी साहब की पार्टी का इस्तेमाल किया है और उसका असर कुछ हद तक दिखाई दिया है। अब हर धर्मनिरपेक्ष पार्टी को वोटकटवा ओवैसी साहब से सावधान हो जाना चाहिए। अगर वो इस तरह की बात कर रहे हैं तो उसके पीछे ठोस वजह है। ओवैसी की पार्टी की वजह से कहीं-न-कहीं धर्मनिरपेक्ष वोटों में बंटवारा हुआ है।”

आज फिर कांग्रेस ने हार का ठीकरा ओवैसी फोड़ते हुए कहा कि एआईएमआईएम ने चुनाव लड़कर बीजेपी की मदद की है। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्विटर पर लिखा, “बिहार चुनावों में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन को मिली सफलता के लिए में बधाई देता हूं। एक बार फिर ओवैसी जी की एमआईएम ने चुनाव लड़ कर बीजेपी को अंदरूनी तौर पर मदद कर दी। देखना है वह बिहार में बीजेपी और जेडीयू की सरकार बनाने में एनडीए का सहयोग करेंगे या महागठबंधन का।”

हालांकि, कांग्रेस के इन आरोपों पर ओवैसी का कहना है कि अगर उनके बिहार में चुनाव लड़ने से महागठबंधन हारी तो फिर गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के उप-चुनाव में कांग्रेस क्यों इतनी बुरी तरह से हारी, जहां एआईएमआईएम चुनाव लड़ने नहीं गई थी। बता दें कि कांग्रेस की इन राज्यों में हुए उप-चुनाव में बुरी तरह हार हुई है। यहां तक की मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सीट भी कांग्रेस बचा पाने में नाकामयाब रही है।

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