अयांश को इंजेक्शन के लिए चाहिए था 16 करोड़, 65000 लोग मदद को आए आगे

अयांश को इंजेक्शन के लिए चाहिए था 16 करोड़, 65000 लोग मदद को आए आगे

सोशल मीडिया आज के समय में एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जिससे सेकेंड भर में देश दुनिया के बारे में जानकारी मिल जाती है। हालांकि, सोशल मीडिया के जरिए काफी अफवाएं भी फैलाई जाती है जिससे कई नुकसान भी होते हैं। लेकिन यह ज़िन्दगियां भी बचाती है। आज सोशल मीडिया के कारण ही हैदराबाद के तीन साल के अयांश गुप्ता की जिन्दगी बच गई।

अयांश को एक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी न्यूरोमस्कुलर डिसीज (Neuromuscular Disease) स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (Spinal Muscular Atrophy)थी। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को जिंदा रखने के लिए जो इंजेक्शन पड़ता है उसका नाम है जोलोजेनेस्मा (Zolgensma)। इस इंजेक्शन की खरीदने की कीमत 16 करोड़ रुपये है। ये इंजेक्शन अयांश को मिल गई है। और ये मुमकिन हो पाया है सोशल मीडिया के कारण।

अयांश के घर वालों के लाख कोशिश के बावजूद भी अपने बलबुते इतनी बड़ी रकम नहीं जुटा सकते थे। इसलिए अयांश को नया जीवन देने के लिए ऑनलाइन मुहिम शुरू हुई और देखते ही देखते हजारों लोग इससे जुड़ गए और 16 करोड़ रुपये जुटा लिए गए। हैदराबाद के रेनबो हॉस्पिटल में अयांश को इसका पहला डोज दे दिया गया है। इस मुहिम में 62,450 लोगों ने योगदान दिया और 14.84 करोड़ रुपये इस क्राउड फंडिंग (Crowd Funding)के जरिए जुटाए गए।

अयांश के पिता योगेश गुप्ता और मां रुपल गुप्ता पिछले दो साल से अयांश के इलाज के लिए रकम जुटाने में लगे थे। लेकिन इतनी इतने पैसों का इंतजाम नामुमकिन था। तब अयांश के माता-पिता इंस्टाग्राम पोस्ट के जरिए ये खबर दुनिया को बताई। और तब जाकर लोगों ने खुलकर मदद की।

अयांश बीमारी के कारण बिना मदद के उठ या बैठ नहीं पाता था। उसके हाथ-पैर बहुत कमजोर थे। इस Rare Disorder से ग्रसित इंसान अपनी मांशपेशियों पर नियंत्रण नहीं रख पाता। इस Disorder में रीढ़ की हड्डी और Brain Stem के Nerve Cells को नुकसान पहुंचता है। जीन थेरेपी के जरिए ये Disorder ठीक किया जाता है।

अयांश को इंजेक्शन के लिए चाहिए था 16 करोड़, 65000 लोग मदद को आए आगे

अयांश के जीन थेरेपि करने वाले डॉ.रमेश कोनानकी ने बताया कि अयांश की बीमारी सही हो जायेगी और वो आगे की ज़िन्दगी अच्छे से जी पायेगा। उन्होंने आगे कहा,”इस बीमारी के साथ आज 800-900 लोग जी रहे हैं। इस बीमारी से पीड़ित बहुत सारे बच्चों की मौत 2 साल की उम्र तक हो जाती है। अयांश के लिये हम 4 महीने में क्राउफंडिंग कर पाये और हम बेहद खुश हैं।”

बता दें अयांश पहले फार्मा कंपनियों की वेटिंग लिस्ट पर था। ये कंपनियां बच्चों के इलाज को स्पॉन्सर करती हैं। लेकिन अयांश को वहां से मदद नहीं मिल पाई। इसके बाद एक क्राउडफ़ंडिंग कैंपेन शुरू किया गया। इस कैंपेन से कई नामी-गिरामी लोग भी जुड़े।

क्राउड फंडिंग के जरिए यह रकम जुटाने का काम प्लेटफॉर्म Impact Guru ने करीब चार महीने में पूरा किया। अयांश के पिता योगेश ने उनके बेटे के लिए दिल खोलकर दान करने वाले हर शख्स को दिल से आभार जताया है। उन्होंने कहा, “मैं बेहद खुश हूँ। बेटे की जान बचाने के लिए आखिरकार इस दवा का इंतजाम हो पाया। यह उसकी जिंदगी बदल सकता है, सभी को मेरा धन्यवाद।”

वहीं परिवार का कहना है कि अयांश के जन्म के कुछ महीनों बाद ही जब उन्हें पता चला कि उनका बेटा इस दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है, तो उनका दिल बैठ गया और उस दिन से कभी वो चैन से नहीं बैठे। बहरहाल, अयांश जल्द ही ठीक होकर घर वापस आ जाएंगे। इस वाकये से यह तय है कि इंसानियत है।

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