सरोज कुमारी: एम.ए, एम.फिल, पी-एचडी (दिल्ली विश्वविद्यालय) विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। ‘निराला का गद्य साहित्य’, ‘राम की शक्तिपूजा का रचना-विधान’, ‘छायावादी कविता और राम की शक्तिपूजा’ और ‘स्त्री लेखन का दूसरा परिदृश्य’ पुस्तकें प्रकाशित। दिल्ली विश्वविद्यालय के विवेकानंद महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक। दहलीज दहलीज के भीतरएक अदृश्य लक्ष्मण रेखा से बंधे मेरे पांवसदियों से...
Author: News Batao Desk (News Batao Desk)
ब्राह्मणवाद की कोख से पैदा हुए ‘नेपोटिज्म’ पर बहस कितना सच कितना फर्जी?
देश की जनता को किसी मुद्दे से भटकाना हो तो कुछ खास तरह के शब्द या जुमले को हवा में उछाला जाता है। उन शब्दों का प्रभाव इतना मारक होता है कि जनता वास्तविक मुद्दे को भूल कर उस कृत्रिम शब्दावली में उलझ जाती है। इन दिनों सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या प्रकरण के बाद...
लिखा परदेश किस्मत में वतन की याद क्या करना, जहां बेदर्द हाकिम हो वहां फरियाद क्या करना?
भारत सहित दुनिया के विभिन्न देश आज गंभीर आर्थिक एवं राजनीतिक संकट से गुजर रहे हैं जिसका खामियाजा मजदूर वर्ग को उठाना पड़ रहा है। देश में करीब मजदूर वर्ग का 80 फीसदी जमात असंगठित तौर पर काम करता है जो बिना किसी सामाजिक सुरक्षा के काम करने को विवश है। हमारे राज्य का एक...
मजदूरों और कोरोना पर गुलज़ार की नज़्में- मिलेंगे तो वहां जाकर, जहां जिंदगी है
जाने-माने गीतकार, लेखक और फिल्म निर्देशक गुलज़ार सामाजिक मुद्दों पर हमेशा बेबाकी से अपनी राय रखते हैं। वे अक्सर नज़्मों, गीतों और कविताओं के जरिए अपने जज्बात को बयां करते हैं। मौजूदा कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से मजदूरों के पलायन पर भी उन्होंने अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। उन्होंने अपनी दो मार्मिक नज़्मों...
मिस्टर प्राइम मिनिस्टर आपके बेमिसाल 6 साल ने जनता को दिए सिर्फ भूख, प्यास और आंसू
अब तक के इतिहास में सबसे बड़ी महामारी कोरोना वायरस का सामना हम कर रहे हैं। पूरे विश्व में इससे अब तक लाखों मौतें हो चुकी हैं। जब यह भारत पहुंचा तब इसके बचाव के नाम पर लॉकडाउन बिना किसी व्यवस्था के लागू कर दिया गया। वो भी रात के 12 बजे से। सरकार ने...
मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, आप विदेशी कंपनियों को ललचाने के लिए दुनिया घूमते रहे अब कहते हैं ‘स्वदेसी’ अपनाओ
मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, बहुत दु:खी मन से आपको चिट्ठी लिख रहा हूं। हालांकि, जबसे आपने देश को डिजिटल बनाया है लोगों ने चिट्ठी-पत्री लिखना छोड़ दिया है। मैंने भी किसी को वर्षों से नहीं लिखी हैं चिट्ठी। क्या कहूं! अपनी पढ़ाई, फिर रोजी-रोटी के फेर में इस कदर उलझा कि अपने परिवार से फ़ोन पर...
संस्मरण: नंदकिशोर नवल में भाषा का पाखंड या विद्वता के प्रदर्शन की कभी मंशा नहीं दिखी
कल रात जब मेरे गुरु और हिंदी के वरिष्ठ आलोचक नंदकिशोर नवल के निधन की खबर आई तो मुझे अपने छात्र जीवन के उन दिनों की याद आई जब हम मानते थे कि नवल जी तो कभी बूढ़े भी नहीं हो सकते। उनका व्यक्तित्व ही ऐसा था। उन दिनों वह किसी हीरो की तरह दिखते...
डॉ. नंदकिशोर नवल कविता की एक जीवंत पाठशाला
नवल जी के देहावसान की खबर स्वाभाविक रूप से दु:खद है, क्योंकि भौतिक रूप से उन्हें देखना अब संभव नहीं होगा। पिछले कुछ वर्षों से उनका स्वास्थ्य लगातार ख़राब चल रहा था और खबरों के अनुसार इस लॉकडाउन में वह घर में ही फिसल कर गिर भी पड़े थे, इसलिए कुछ अनहोनी की आशंका तो...
सफूरा जरगर बस एक बहाना है, असल निशाना तो औरत है
आज कल हमारे देश में दो ट्रेंड चल रहे हैं। एक सफूरा जरगर की और दूसरी लड़कों का ग्रुप #boyslockerroom। एक परिपक्व, एक्टिविस्ट हैं जिनके हाथों में कलम है। वो कलम जिसे शक्ति कहा जाता है। दूसरे में वो हैं जो ज़मीन से अभी पूरे तरह से निकले तक नहीं। एक ओर स्त्री है तो...