कांग्रेस-ISF गठबंधन पर आनंद शर्मा को एतराज, पीरजादा की पार्टी को बताया सांप्रदायिकता

कांग्रेस-ISF गठबंधन पर आनंद शर्मा को एतराज, पीरजादा की पार्टी को बताया सांप्रदायिकता

पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए कांग्रेस, लेफ्ट, इंडियन सेक्युलर फ्रंट (आईएसएफ) ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। तीनों पार्टियों ने रविवार को एक साथ मिलकर कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में बीजेपी और टीएमसी के खिलाफ हमला बोला था। लेकिन एक दिन बाद ही पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी आईएसएफ को लेकर कांग्रेस पार्टी के भीतर आपसी तकरार शुरू हो गया है।

दरअसल, राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के उप-नेता ने आनंद शर्मा ने आईएसएफ के गठबंधन को कांग्रेस की मूल विचारधारा के खिलाफ बताया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन को शर्मनाक बताया है। वहीं, दूसरी आनंद शर्मा बयानों का जवाब देते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि यह गठबंधन पार्टी नेतृत्व की मंजूरी से हुआ है।

आनंद शर्मा ने आज शाम को ट्वीट कर कहा, ”आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों से साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, जो कांग्रेस पार्टी की आत्मा है। इन मुद्दों को कांग्रेस कार्य समिति पर चर्चा होनी चाहिए थी।”

शर्मा ने एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने, ”सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस चयनात्मक नहीं हो सकती है। हमें हर सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।”

वहीं, अधीर रंजन चौधरी ने आनंद शर्मा की तरफ से सवाल उठाए गए सवाल के जवाब में कहा, ”हम एक राज्य के प्रभारी हैं और कोई भी फैसला बिना अनुमति के नहीं करते हैं।” बताया जा रहा है कि अब्बास की पार्टी आईएसएफ ने माल्दा और मुर्शिदाबाद में कुछ सीटों की मांग रखी है, जिन पर पार्टी ने 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी।

देखा जाए तो इस समय कांग्रेस तीन धड़ों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। पहला धड़ा गांधी परिवार का है। वहीं दूसरा जी-23 समूह है। और तीसरा धड़ा है कि शॉफ्ट हिंदुत्व वाला। गांधी परिवार इस समय पूरी तरह के अलग है और चुपचाप उत्तर प्रदेश और दक्षिण के राज्यों में बिजी है।

लेकिन जी-23 धड़ा कांग्रेस में लगातार लोकतांत्रिक मुल्यों पर सवाल उठा रही है। जबकि तीसरा समूह भाजपा की काट खोजने में जुटा है। इस समूह में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे लोग हैं। जिन्हें लगता है कि हिंदुत्व की काट हिंदुत्व ही है। इसीलिए बीते दिनों बाबूलाल चौरसिया जैसे लोगों को पार्टी में शामिल कराया गया है।

चौरसिया मध्य प्रदेश के ग्वालियर नगर निगम के पार्षद रहे हैं और महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोड्से की महिमामंडन करते रहे हैं। उनको पार्टी में शामिल कराए जाने को लेकर भी विवाद चल रहा है।

उनसे पहले कांग्रेस के छात्र विंग द्वारा राम मंदिर के लिए चंदा इकट्ठा किए जाने को लेकर विवाद हो चुका है। ये रार पार्टी नेताओं में अभी चल ही रहा है कि इसी बीच कमलनाथ की अगुवाई वाली मध्य प्रदेश कांग्रेस ने 4 मार्च को रतलाम में आयोजित होने वाले महापंचायत के लिए हिंदू महासभा को निमंत्रण भेज कर मामले को और अधिक गरमा दिया है।

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