हरियाणा के गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने का विरोध और प्रशासन की ओर से लगाए गए रोक के बाद गुरुद्वारों के एक स्थानीय संघ ने नमाज के लिए गुरुद्वारे के दरवाजे खोलने की घोषणा की है। समिति ने कहा है कि मुस्लिम भाई हमारे गुरुद्वारों में आकर जुम्मे की नमाज पढ़ सकते हैं।
गुरुद्वारा सिंह सभा कमेटी ने कहा है कि बिना कोविड प्रोटोकॉल से समझौता किए नमाजियों को छोटे समूहों में नमाज अदा करने की अनुमति देने के लिए वह प्रशासन से संपर्क करेगा। इस कमिटी से कुल 5 गुरुद्वारे जुड़े हुए हैं- सदर बाजार सब्जी मंडी, सेक्टर 39, सेक्टर 46, जैकबपुरा और मॉडल टाउन।
कमिटी से जुड़े हैरी सिंधु ने कहा, “खुले में नमाज के विरोध के बारे में सुनना डिस्टर्बिंग है। हमारे गुरुद्वारे के दरवाजे हमेशा सबके लिए खुले हैं। अगर मुसलमानों को शुक्रवार की नमाज पढ़ने के लिए जगह ढूंढने में परेशानी आ रही है, तो उनका स्वागत है।”
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हैरी सिंधु ने आगे कहा कि हर गुरुद्वारे में हजार लोगों की क्षमता है, कोविड नियमों के अनुसार, उन्हें छोटे समूहों में यहां आने की इजाजत है। पिछले शुक्रवार को शहर में खुले में नमाज अदा करने की संख्या घटकर 37 से 20 रह गई है। सिरहौल में प्रदर्शन के बाद यह संख्या और कम 19 हो गई।
समिति का कहना है कि वे प्रशासन से अनुमति मांगेंगे कि मुसलमानों को गुरुद्वारे में नमाज अदा करने की अनुमति दी जाए। हैरी सिंधु ने कहा कि यह काफी दु:खद है कि मुसलमानों के खुले में नमाज अदा करने का विरोध किया जा रहा है।
उन्होंने कहा, “हमारे गुरुद्वारे के द्वार हमेशा और हर किसी के लिए खुले हैं। अगर मुसलमानों को अपनी प्रार्थना के लिए जगह खोजने में दिक्कत हो रही है तो हम उनका स्वागत करते हैं। वे गुरुद्वारे में आएं और अपनी प्रार्थना करें।”
समिति के एक अन्य सदस्य शेर दिल सिंह ने कहा, “गुरुद्वारा ‘गुरु का दरबार’ होता है, जहां कोई भी आकर प्रार्थना कर सकता है। अगर हमारे मुस्लिम भाइयों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, तो हम उन्हें गुरुद्वारों के परिसर की पेशकश करेंगे।” उन्होंने कहा कि जो कोई भी उनकी आस्था और विश्वास के बावजूद नमाज अदा करना चाहता है, उसका वे स्वागत करेंगे।
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इससे पहले एक स्थानीय हिंदू ने मुस्लिमों को ओल्ड गुड़गांव में अपनी एक खाली पड़ी दुकान में नमाज पढ़ने के लिए दी थी। अक्षय राव पेशे से एक वाइल्ड लाइफ टूर ऑर्गनाइजर हैं। वह ओल्ड गुड़गांव के मकैनिक मार्केट में कई दुकानों के मालिक हैं।
अक्षय राव का कहना है कि उनकी दुकानों के ज्यादातर किरायेदार मुस्लिम हैं और उन्हें जुमे की नमाज पढ़ने के लिए तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। अक्षय राव ने उनकी परेशानियों को देखते हुए उन्हें अपनी एक खाली पड़ी दुकान में नमाज पढ़ने को दी है। इस छोटी सी जगह में 15 से 20 लोग नमाज पढ़ सकते हैं।
गुरुग्राम में पहले 37 जगहों पर नमाज पढ़ने की इजाजत दी गई थी लेकिन जब दक्षिणपंथियों ने विरोध किया तो प्रशासन घुटने टेकते हुए 17 जगहों पर दी गई इजाजत को रद्द कर दिया। अब ये घटकर 20 हो गई। सिरहौल में नमाज के लिए सार्वजनिक स्थानों के इस्तेमाल के विरोध के बाद प्रभावी रूप से घटकर 19 हो गई।
गुरुद्वारा एसोसिएशन की पहल का स्वागत करते हुए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के अध्यक्ष खुर्शीद रजाका ने कहा कि इससे शांति और सद्भाव स्थापित करने में मदद मिलेगी। रजाका ने कहा, “सभी को सिख समुदाय से प्रेरणा लेनी चाहिए और अन्य धर्मों के लोगों को बिना किसी दुश्मनी के उनकी धार्मिक गतिविधियों में मदद करनी चाहिए।”
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उन्होंने कहा कि अतीत में भी ऐसे उदाहरण हैं जहां मुसलमानों ने अन्य समुदायों के धार्मिक स्थलों पर नमाज अदा की है। वहीं गुरुग्राम मुस्लिम काउंसिल और गुरुग्राम नागरिक एकता मंच के सह-संस्थापक अल्ताफ अहमद ने कहा कि उन्होंने और शहर के अन्य मुसलमानों ने गुरुद्वारा सिंह सभा समिति की शानदार पेशकश की सराहना की।
अल्ताफ ने आगे कहा, “यह भाईचारे का एक सच्चा उदाहरण है जहां पिछले दो 2 महीनों में शहर में नफरत और सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने वाली विभाजनकारी ताकतों को हराने के लिए कई धर्मों के लोग आगे आए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे विश्वास है कि समुदायों में अधिक से अधिक लोग अपनी निजी संपत्तियों की पेशकश करने के लिए आगे आएंगे, जहां मुसलमान हर शुक्रवार को 30 मिनट के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि हरियाणा सरकार संज्ञान लेगी और मुसलमानों को मस्जिदों के लिए जल्द-से-जल्द जमीन आवंटित करेगी ताकि वे ‘सम्मान के साथ प्रार्थना’ कर सकें।
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