किताब में खुलासा, लोकसभा चुनाव से पहले BJP में जाना चाहते थे अधीर रंजन चौधरी

किताब में खुलासा, लोकसभा चुनाव से पहले BJP में जाना चाहते थे अधीर रंजन चौधरी

कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। एक पुस्तक में दावा किया गया है कि पिछले लोकसभा चुनाव से पहले वो कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में जाना चाहते थे। अपनी किताब ‘रक्तरंजित बंगाल: लोकसभा चुनाव 2019″ में वरिष्ठ पत्रकार एवं नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स इंडिया के अध्यक्ष रास बिहारी ने इस बात का खुलासा किया है।

अपने किताब के एक अध्याय ‘भाजपा में आने को अधीर थे कांग्रेस के चौधरी’ में उन्होंने कांग्रेस नेता से जुड़ा इस दिलचस्प वाकये को जिक्र किया है। हाल ही में रास बिहारी ने यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी भेंट की है।

रासबिहारी ने किताब में लिखा है कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने और कांग्रेस में कुछ बड़े नताओं द्वारा ममता बनर्जी की पैरवी करने से नाराज अधीर रंजन चौधरी वर्ष 2018 में पार्टी छोड़ने का मन बना चुके थे।

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अपनी किताब में रास बिहारी ने लिखा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के धुर विरोधी माने जाने वाले अधीर रंजन चौधरी को भाजपा में लाने के लिए पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं प्रदेश प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष और वरिष्ठ नेता मुकुल राय भी अपनी सहमति दे चुके थे। हालांकि, आगे चलकर किन्हीं कारणों के चलते चौधरी पीछे हट गए थे।

किताब में खुलासा, लोकसभा चुनाव से पहले BJP में जाना चाहते थे अधीर रंजन चौधरी

कांग्रेस ने सितंबर 2018 में पंचायत चुनावों के दौरान अधीर रंजन चौधरी को हटाकर सोमेन मित्रा को पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बना दिया था। साथ ही पार्टी ने शंकर मालकर, अबू हाशिम खान चौधरी, नेपाल महतो और दीपा दास मुंशी को पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था।

चौधरी को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष से हटाए जाने बड़ा झटका लगा था। उस दौरान कांग्रेस ममता के प्रति नरमी बरतती नजर आ रही थी। इसके बाद अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रीय नागरिक पंजिका (एनआरसी) के मुद्दे पर ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री को अवसरवादी नेता और आदमखोर बताते हुए कहा था कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को 2005 में समस्या बताने वाली ममता बनर्जी राजनीतिक फायदे के लिए एनआरसी का विरोध कर रही हैं।

कई बार चौधरी पार्टी आलाकमान के निर्दशों को भी नकारते रहे हैं। उन्होंने विधानसभा और पंचायत चुनाव में पार्टी के घोषित उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार खड़े करा चुनाव जिताया। उन्होंने पंचायत चुनाव में ममता सरकार के खिलाफ उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में भी लड़ाई लड़ी थी।

अधीर रंजन चौधरी ने कांग्रेस से नाराजगी के बाद और भाजपा नेताओं से मुलाकात के दौरान 27 फरवरी, 2019 को भाजपा नेता मुकुल राय का समर्थन किया था। इतना ही नहीं उन्होंने ममता बनर्जी को कांग्रेस का गद्दार बताया था।

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उन्होंने ममता पर कांग्रेस से बेईमानी करने और पार्टी की हत्या करने की कोशिश का आरोप लगाया था। इससे पहले ममता बनर्जी ने संसद में चिटफंड घोटाला विषय पर बहस के दौरान चौधरी की तरफ से तृणमूल नेताओं को चोर और जनता के पैसे का लुटेरा कहने पर कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी से उनकी शिकायत की थी। तब ममता कांग्रेस की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा रही थी और अधीर रंजन चौधरी भाजपा नेताओं से मिल रहे थे।

चौधरी का कहना था कि जिस कांग्रेस ने उन्हें बड़ा किया उसी के साथ उन्होंने गद्दारी की। उनका मनना था कि पूर्व प्रधानमंत्री और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राजीव गांधी ने ममता को राजनीति में बढ़ाया। वह कांग्रेस के टिकट पर सांसद बनी और फिर मंत्री बनी। लेकिन उसी कांग्रेस के साथ उन्होंने बेईमानी की और उसकी हत्या करने की कोशिश की। बाद में वह भाजपा का हाथ पकड़ कर मंत्री बनी और जब भाजपा पसंद नहीं आई तो फिर कांग्रेस का दामन पकड़ लिया।

रास बिहारी की किताब के मुताबिक, मई 2017 में सोनिया-ममता मुलाकात के बाद पश्चिम बंगाल की सात नगरपालिकाओं के चुनाव परिणाम आने के बाद अधीर रंजन चौधरी के पार्टी बदलकर भाजपा में जाने की चर्चाएं तेज हो गई थीं। उस समय कांग्रेस नेता ने यहां तक कह दिया था कि अब दूसरा विकल्प खोजना होगा। जिस पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा था कि हमारे दरवाजे खुले हैं।

अधीर ने निकाय चुनाव के दौरान हुई व्यापक हिंसा का आरोप तृणमूल पर लगाते हुए इसकी शिकायत कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी की थी। चौधरी ने 15 मई 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनका ध्यान नगर निकाय चुनावों के दौरान हुई हिंसा की तरफ दिलाया था।

किताब में खुलासा, लोकसभा चुनाव से पहले BJP में जाना चाहते थे अधीर रंजन चौधरी

उन्होंने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी अलग से पत्र लिखकर ममता बनर्जी के खिलाफ शिकायत की थी और ममता सरकार द्वारा लोकतंत्र को कुचलने का आरोप लगाया था। उन्हें वामदलों से गठबंधन का समर्थक माना जाता है। उन्होंने ममता बनर्जी से किसी भी तरह से तालमेल या गठबंधन का हमेशा विरोध किया।

अधीर रंजन चौधरी की छवि उनके संसदीय क्षेत्र मुर्शिदाबाद में गरीबों के मसीहा के रूप में देखी जाती है। कई क्षेत्रों में उनका अपना जनाधार है। उन्होंने कई बार पंचायत चुनाव में कांग्रेस आलाकमान और प्रदेश कांग्रेस नेताओं के खिलाफ जाकर अपने समर्थकों को बागी उम्मीदवार के तौर विजयी बनाया है।

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बाद वह पश्चिम बंगाल से दूसरे ऐसे नेता हैं जो लोकसभा कांग्रेस के नेता बने हैं। यह पद उन्हें मुखर्जी की अनुशंसा पर ही मिला था। चौधरी ने भाजपा में जाने की चर्चाओं के बाद भाजपा के खिलाफ अभियान तेज कर दिया था। उन्होंने संसद में भी मोदी सरकार के खिलाफ तीखे तंज कसने में कोई परहेज नहीं किया।

एक घटना का उल्लेख किताब में किया गया है कि 17वीं लोकसभा के पहले सत्र से पूर्व आयोजित एक बैठक में चौधरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको‘फाइटर’ बताकर तारीफ की थी। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल बैठक के बाद उन्हें अपने पास बुलाया था और कमरे से निकलते वक्त उन्होंने चौधरी की पीठ थपथपाते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा के सामने कहा था कि वह एक ‘फाइटर’ हैं।

चौधरी ने तब मोदी की तारीफ पर सफाई दी थी, “प्रधानमंत्री को नमस्कार किया तो उन्होंने इसके बाद मेरी पीठ थपथपाई और सबके सामने कहा कि अधीर फाइटर हैं। मुझे इस पर खुशी हुई। मेरी किसी से निजी दुश्मनी नहीं है। हम जनप्रतिनिधि हैं। हम अपनी आवाज उठाएंगे और वे अपनी। हम संसद में बोलने जा रहे हैं, न कि जंग के मैदान में।”

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