BJP विधायक समेत 16 लोगों पर किसानों का पैसा गबन करने का आरोप, मामला दर्ज

BJP विधायक समेत 16 लोगों पर किसानों का पैसा गबन करने का आरोप, मामला दर्ज

औरंगाबाद: चीनी मिल से जुड़े एक मामले में महाराष्ट्र के भाजपा विधायक प्रशांत बांब और अन्य 15 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। इन सभी पर आरोप है कि उन लोगों ने किसानों द्वारा जमा किए गए नौ करोड़ रुपये से अधिक की राशि कथित रूप से अन्य लोगों के बैंक खातों में जमा कर दिए।

प्रशांत बांब औरंगाबाद जिले के गंगापुर निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने पहली बार साल 2009 में चुनाव में जीता था, उसके बाद से वो लगातार गंगापुर के विधायक हैं। वह गंगापुर सहकारी चीनी मिल के अध्यक्ष भी हैं। हालांकि, अपने ऊपर लगे आरोपों से उन्होंने इनकार किया है।

एक स्थानीय अधिकारी ने बताया, “इस संबंध में बुधवार को कृष्णा पाटिल डोंगरेकर की शिकायत पर गंगापुर पुलिस थाने में विधायक के खिलाफ मामला दर्ज किया था।” अधिकारी के मुताबिक, आईपीसी की 420, 406, 467, 468, 469, 471, 120-बी और अन्य धाराओं के तहत प्रशांत और 15 अन्य पर मामला दर्ज किया गया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, शिकायतकर्ता से संपर्क करने पर उन्होंने बताया कि प्रशांत और 15 अन्य लोगों ने किसानों से एकत्र किए गए पैसे को दूसरे लोगों के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दिया। शिकायतकर्ता ने कहा, “यह राशि नौ करोड़ रुपये से अधिक है।” हालांकि, दूसरी तरफ प्रशांत बांब का कहना है कि राजनीतिक साजिश के तहत उनके खिलाफ ये आरोप लगाए जा रहे हैं।

प्रशांत ने कहा, “पैसे स्थानांतरित करने की अनुमति किसानों ने दी थी। हम मिल चालू करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसमें अड़चनें पैदा की जा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनलोगों पर ये शिकायत दबाव में दर्ज की गई है।

द हिंदू के मुताबिक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि विधायक प्रशांत बांब ने अन्य लोगों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके गंगापुर चीनी मिल की समिति के सदस्यों को धोखा दिया और 15.75 करोड़ तक की धोखाधड़ी की है।

कृष्ण पाटिल डोंगरेकर की तरफ से दायर शिकायत के मुताबिक, 2008 में चीनी मिल ऋण न चुका पाने की वजह से बंद हो गई थी, राज्य सरकार ने उसके बाद चीनी मिल का नियंत्रण अपने कब्जे में ले लिया था। तत्कालीन निदेशक मंडल ने इसके बाद संबंधित बैंक द्वारा चीनी मिल की बिक्री को रोकने के लिए स्थानीय अदालत में याचिका दायर की थी।

निदेशकों ने अदालती कार्यवाही के दौरान ही बकाया ऋण राशि (15.75 करोड़ से अधिक) जुटाया था। बाद में कारखाने की बिक्री रद्द कर दी गई थी। मिल से बकाया ऋण राशि खाते में जमा करने का अदालत ने निर्देश दिया था। मिल समिति के सदस्यों में एक वर्ग ने आरोप लगाया कि प्रशांत बांब और कार्यकारी निदेशक, बी.एम. पाटिल ने यह दिखाते हुए कि फैक्ट्री में साझेदारी थी, फंड की राशि को गबन कर दिया।

मिल समिति सदस्यों का आरोप है कि अपनी साझेदारी को साबित करने के लिए प्रशांत बांब और बी.एम. पाटिल ने नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया था और राशि जमा करने के लिए एक स्थानीय बैंक के साथ अवैध खाते खोले थे।

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