नेपाल में राजनीतिक संकट, PM ओली को सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने निष्कासित किया

नेपाल में राजनीतिक संकट, PM ओली को सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने निष्कासित किया

नेपाल में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली को सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने उनके प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया है। यह कदम पार्टी में पुष्प कमल दहल प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट ने उठाया है। प्रधानमंत्री ओली ने हाल ही में संसद को भंग करने के फैसला लिया है जिसके बाद देश में राजनीतिक अस्थ‍िरता बढ़ गई है।

प्रधानमंत्री ओली को पार्टी से हटाए जाने के कुछ ही घंटे पहले संसदीय नेता के पद से हटाया गया था। पिछले कुछ समय से नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में दो गुट बने हुए हैं। जिनमें से एक धड़ा के.पी. ओली की तरफ और तो दूसरा पुष्प कमल दहल प्रचंड की तरफ है। के.पी. ओली के खिलाफ प्रचंड लगातार माहौल बनाने में जुटे थे, जिसमें अब एक हद तक वो कामयाब होते दिख रहे हैं।

प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट के प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने बताया कि प्रधानमंत्री ओली अब पार्टी के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने कहा, “आज हुई केंद्रीय समिति की बैठक में के.पी. शर्मा ओली को पार्टी से हटाने का फैसला किया गया। वो अब नेपाल की कम्यूनिस्ट पार्टी के साधारण सदस्य भी नहीं हैं।”

ओली इससे पहले पार्टी आलाकमान को अपने हालिया फैसलों के बारे में स्पष्टीकरण देने में असफल रहे थे। सोमवार को प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट ने प्रधानमंत्री के बलुवातार स्थित आवास पर एक पत्र भेजा था। ओली को इससे पहले अलग हुए गुट ने पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया था।

प्रचंड गुट के प्रवक्ता श्रेष्ठ ने कहा, “हमने काफी समय तक इंतजार किया। लेकिन उन्होंने हमें जवाब नहीं दिया। हमारा ताजा फैसला पार्टी की केंद्रीय समिति द्वारा प्रदत्त कार्यकारी अधिकारों का पालन करते हुए किया गया है।”

बता दें कि ओली को संसदीय नेता के पद से हटाए जाने के बाद पुष्प कमल दहल प्रचंड को दल का नया नेता चुना गया। इसके अलावा ओली को पहले ही पार्टी अध्यक्ष पद से भी हटा दिया गया था।

देखा जाए तो असल विवाद तब बढ़ा था, जब ओली ने संसद भंग करने के लिए राष्ट्रपति के पास आवेदन दिया था। इसके बाद ओली कैबिनेट के करीब सात मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था। ये सभी पार्टी के ही दूसरे धड़े के समर्थक थे।

पीएम ओली के इस प्रस्ताव को अब राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने मंजूरी दे दी है। मध्यवर्ती आम चुनाव की भी घोषणा हो गई है। इसी साल नेपाल में 30 अप्रैल को पहले चरण और 10 मई को दूसरे चरण का मतदान होगा। फिलहाल कम्युनिस्ट पार्टी में प्रचंड धड़ा ही मजबूत दिखाई दे रहा है।

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