स्कैनिया रिश्वत मामले में गडकरी ने भेजा मीडिया कंपनियों को मानहानि का नोटिस

स्कैनिया रिश्वत मामले में गडकरी ने भेजा मीडिया कंपनियों को मानहानि का नोटिस

रिश्वत मामले में नितिन गडकरी का नाम आने के बाद उन्होंने घोटाले को उजागर करने वाली मीडिया कंपनियों को मानहानि का नोटिस भेजा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने स्कैनिया रिश्वत में अपना नाम आने के बाद उसे आधारहीन बताया था। अब उनके कार्यालय ने स्वीडन की दो मीडिया कंपनियों एसवीटी और जेडडीएफ को मानहानि का कानूनी नोटिस भेजा है।

इन दोनों चैनलों ने फोक्सवागन की स्वीडन स्थित सहायक कंपनी स्कैनिया को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित किया था कि उसने भारत में ठेका पाने के लिए कर्मचारियों और राजनेताओं को रिश्वत दिए। रिपोर्ट के मुताबिक, स्कैनिया ने 2013 से 2016 के बीच भारत में बसों के ठेके हासिल करने के लिए अधिकारियों और नेताओं को रिश्वत दी थी।

स्कैनिया ने भी आरोपों को स्वीकार किया है और कहा है कि एक आतंरिक जांच के बाद कंपनी ने घोटाले में शामिल कर्मचारियों को निकाल दिया था और भारत में अपने व्यापार को बंद कर दिया था।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि गडकरी से जुड़ी एक कंपनी को स्कैनिया ने अपनी एक खास बस मेट्रोलिंक एचडी को उनकी बेटी की शादी में इस्तेमाल के लिए दी थी, वह भी बिना पूरा भुगतान हुए। गडकरी के कार्यालय से गुरुवार सुबह जारी किए गए एक बयान में इन आरोपों का खंडन किया गया था।

जर्मन कंपनी ने ठेका हासिल करने के लिए दी भारतीय अधिकारियों और नेताओं को रिश्वत

इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बाद में स्कैनिया ने बताया कि उसने वो बस बेंगलुरु में अपने एक डीलर को बेच दी थी जिसने बस को नागपुर की एक दूसरी कंपनी सुदर्शन हॉस्पिटैलिटी को बेच दिया था। गडकरी को स्कैनिया ने निजी इस्तेमाल के लिए कोई भी बस देने से इनकार किया है।

स्कैनिया रिश्वत मामले में नितिन गडकरी ने भेजा मीडिया कंपनियों को मानहानि का नोटिस

लेकिन इसके अलावा यह भी सामने आया कि स्केनिया की इथेनॉल से चलनी वाली बसों को गडकरी ने नागपुर में चलाने के लिए वहां की नगरपालिका को कहा था। इसके बाद नगरपालिका ने कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर कर ऐसी 55 बसें ट्रायल पर लीं और नागपुर में चलाईं। अखबार को कंपनी ने बताया कि ट्रायल पूरा होने के बाद बसें कंपनी को वापस लौटा दी गईं।

गडकरी के कार्यालय ने भी इस ट्रायल की बात स्वीकार की है। कार्यालय का कहना है कि नागपुर में स्कैनिया की इथेनॉल से चलने वाली बसों को लाने में केंद्रीय मंत्री की अग्रणी भूमिका रही है। लेकिन इस ट्रायल में भ्रष्टाचार की संभावना से गडकरी और स्केनिया दोनों ने ही इनकार किया है। कंपनी और नगरपालिका के बीच हुआ समझौता व्यावसायिक था लेकिन इसमें कितने पैसों का लेन देन हुआ था, यह अभी सामने नहीं आया है।

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