हिंदी की मशहूर लेखिका और कथाकार मन्नू भंडारी का निधन हो गया है। वो 90 साल की थीं। मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गांव में 3 अप्रैल, 1939 को जन्मी मन्नू भंडारी के बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था, लेकिन लेखन के तौर पर अपना नाम मन्नू अपनाया।
उन्होंने एम.ए. तक पढ़ाई की थी। इसके बाद अध्यापक के तौर पर दिल्ली के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस कॉलेज में अपनी सेवा दी। उपन्यास ‘आपका बंटी’ से भंडारी लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचीं।
‘आपका बंटी’ उपन्यास हिन्दी साहित्य का मील का पत्थर माना जाता है। मन्नू अपने लेखन में पुरुषवादी समाज पर चोट करती थीं। उनकी कई प्रसिद्ध रचनाएं हैं। इनमें से कुछ पर फिल्म भी बनी थी।
ये भी पढ़ें: वसीम रिजवी का वसीयतनामा, कहा- मुझे दफनाया नहीं जलाया जाए, यति नरसिम्हा नंद दें मुखाग्नि
मन्नू भंडारी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्ष भी रहीं। लेखन का संस्कार उन्हें विरासत में मिला। उनके पिता सुख सम्पत राय भी जाने-माने लेखक थे। साहित्यकार राजेंद्र यादव उनके पति थे।
इसके अलावा भी मन्नू भंडारी ने बहुत सारी बेहतरीन कहानियां और उपन्यास लिखे। मन्नू भंडारी ने ‘मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘एक प्लेट सैलाब’, ‘यही सच है’, ‘आंखों देखा झूठ’ और ‘त्रिशंकु’ जैसी कई कहानियां लिखीं।
ये भी पढ़ें: अब शमिता शेट्टी हुईं Bigg Boss के घर से अचानक बाहर
उनकी लिखी कहानी ‘यही सच है’ पर ‘रजनीगंधा’ फिल्म बनी थी। इसे बासु चैटर्जी ने बनाया था। लेकिन उनको सबसे ज्यादा शोहरत ‘आपका बंटी’ से मिली थी। इसमें प्यार, शादी, तलाक और वैवाहिक रिश्ते के टूटने-बिखरने की कहानी है।
‘आपका बंटी’ हिन्दी साहित्य का मील का पत्थर माना जाता है। इस पर ‘समय की धारा’ नाम की फिल्म भी बनी थी। इस किताब का अनुवाद बांग्ला, अंग्रेजी और फ्रांसीसी में हुआ।
(प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, संपादकीय, कविता-कहानी पढ़ने के लिए ‘न्यूज बताओ’ से जुड़ें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी फॉलो कर सकते हैं।)
Leave a Reply