कोरोना महामारी के बीच कालाबाजारी चरम पर है। इसी कड़ी में ब्लैक फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले एंटीफंगल इंजेक्शन के साथ पुलिस ने दो युवकों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि ज्ञानेश शर्मा और प्रकाश मिश्रा भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेता है।
पुलिस का कहना है कि ग्वालटोली चौराहे से दो शातिरों को 68 इंजेक्शन के पकड़ा गया। ये दोनों प्रत्येक इंजेक्शन को 11 से 15 हजार रुपये में बेचते थे। इनका नेटवर्क प्रदेशभर में फैला हुआ है। और इनका मुख्य ठिकाना प्रयागराज है।
कर्नलगंज के एसीपी त्रिपुरारी पांडेय ने बताया कि ग्वालटोली चौराहे के पास से एसयूवी कार को रोका गया। उसमें सवार यशोदा नगर निवासी प्रकाश मिश्रा और रतनदीप अपार्टमेंट निराला नगर निवासी ज्ञानेश शर्मा के पास से 68 एमफोनेक्स इंजेक्शन (एम्फोटेरेसिन बी साल्ट) बरामद हुए।
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उन्होंने बताया कि इंजेक्शन के अलावा दोनों के पास से 1 लाख 80 हजार रुपये की नकदी भी बरामद की गई है। त्रिपुरारी पांडेय मुताबिक, आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि वाराणसी के एक डॉक्टर को सवा दो लाख रुपये में कुछ इंजेक्शन बेचे थे। पुलिस ने जब उस डॉक्टर और वाराणसी पुलिस से संपर्क किया तो पता चला कि इंजेक्शन नकली थे।
ग्वालटोली थाना प्रभारी कौशल किशोर दीक्षित ने बताया कि आरोपी की जांच की गई तो सामने आया कि प्रकाश मिश्रा भारतीय जनता युवा मोर्चा में कार्यसमिति सदस्य रह चुका है। इसके साथ ही शहर के एक मंत्री के साथ उसका उठना-बैठना है। मंत्री की मदद से कानपुर से लेकर लखनऊ तक के नेताओं में अच्छी पैठ बना रखी है। उसकी फेसबुक प्रोफाइल की जांच से भी इस बात की पुष्टि हुई है। प्रकाश मिश्रा के कई रसूखदार नेताओं के साथ फोटो पाया गया है।
पुलिस का दावा किया है कि आरोपियों ने कबूला है कि इंजेक्शन नकली हैं, जिन्हें वे प्रयागराज से खरीदते हैं। अलग-अलग शहरों में कई गुने दाम पर बेचते हैं। ग्वालटोली थाने में आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।
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पुलिस ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ और उनके मोबाइल से काफी जानकारी निकाली। पता चला कि है आरोपी प्रयागराज के कई मेडिकल स्टोर संचालकों के संपर्क में हैं। उनके ही जरिए इंजेक्शन की खेप लाकर तस्करी करते थे।
पुलिस कमिश्नर ने असीम अरुण ने कहा, “शुरुआती जांच में पता चला है कि इंजेक्शन नकली हैं। इसकी पुष्टि के लिए ड्रग विभाग ने नूमने लिए हैं। पूरे गिरोह के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। इस मामले में भी आरोपियों पर एनएसए की कार्रवाई की जाएगी, क्योंकि इस कृत्य से तमाम लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती थी।”
वहीं, आरोपियों ने का कहना है कि वे खुद ही माल लेकर कानपुर आते थे। कभी-कभी ट्रक से भेजते थे। आशंका है कि काफी दिनों से आरोपी इंजेक्शन की कालाबाजारी कर रहे थे। स्वाट और सर्विलांस टीम को भी लगाया गया है, जो पता करेगी कि नेटवर्क कहां तक फैला है। मुख्य आरोपी कौन हैं और ये इंजेक्शन कहां बनाए जा रहे हैं।
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