नई दिल्ली: कांग्रेस के दिग्गज नेता मोती लाल वोरा नहीं रहे। वे 93 साल के थे। पिछले कुछ दिनों से उनका इलाज दिल्ली के एक अस्पताल में चल रहा था। मोतीलाल वोरा का जन्म राजस्थान में हुआ था पर उनकी कर्मभूमि मोटे तौर पर मध्य प्रदेश रही।
Congress leader Moti Lal Vohra (file photo) passes away at Fortis Escort Hospital in Delhi at the age of 93 pic.twitter.com/pCR8QHwXkh
— ANI (@ANI) December 21, 2020
दुर्ग में पत्रकारिता करते हुए वो पार्षद निर्वाचित हुए। इसके बाद वे विधायक बने, उसके बाद मंत्री और मुख्यमंत्री का पदभार संभाला।
उनके निधन पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया है, “वोरा जी एक सच्चे कांग्रेसी और अद्भुत इंसान थे। वे हमें बहुत याद आएंगे। उनके परिवार और दोस्तों को मेरा प्यार और संवेदनाएं।”
Vora ji was a true congressman and a wonderful human being. We will miss him very much.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 21, 2020
My love & condolences to his family and friends. pic.twitter.com/MvBBGGJV27
मोती लाल वोरा को कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद सिपहसालारों के रूप में जाना जाता है। उन्हें अक्सर गांधी परिवार के आसपास देखा जाता था। उनकी दिलचस्पी पत्रकारिता, राजनीति, फुटबॉल और वॉलीबॉल में रही।
उनका जन्म 20 दिसंबर, 1928 को राजस्थान के नागौर जिले में हुआ था। लेकिन युवा अवस्था में वे अपने परिवार से साथ मध्य प्रदेश के दुर्ग में जा बसें। उसके बाद उन्होंने वहीं पढ़ाई-लिखाई की और अपने जीवन की शुरुआत पत्रकारिता और समाजसेवा से की।
वोरा ने 1968 में कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया। लेकिन उससे पहले वे दुर्ग नगर निगम में पार्षद चुने जा चुके थे। उन्होंने 1972 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते।
इस दौरान मोतीलाल वोरा को मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया। इसके बाद वोरा रूके नहीं। उन्होंने राजनीति में लम्बा सफर तय किया। वे 13 मार्च, 1985 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि, फरवरी 1988 को उन्होंने सीएम पद इस्तीफा दिया।
बोरा के इस्तीफे ने सबको चौंका दिया था। पर जल्द ही उन्हें राज्यसभा का सदस्य चुन लिया गया। उसके बाद उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री का पद संभाला। उन्हें स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई।
आगे चलकर वोरा को 16 मई, 1993 को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इसके बाद वे 1998 में लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। वे लम्बे समय तक कांग्रेस पार्टी के कोषाध्यक्ष भी रहें।
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