बटवारे के दो-तीन साल बाद पाकिस्तान और हिंदोस्तान की हुकूमतों को ख़्याल आया कि अख़लाक़ी क़ैदियों की तरह पागलों का तबादला भी होना चाहिए यानी जो मुसलमान पागल, हिंदोस्तान के पागलख़ानों में हैं उन्हें पाकिस्तान पहुंचा दिया जाये और जो हिंदू और सिख, पाकिस्तान के पागलख़ानों में हैं उन्हें हिंदोस्तान के हवाले कर दिया जाये।...
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ख़्वाजा अहमद अब्बास की कहानी: दिवाली के तीन दीये
पहला दीया दीवाली का ये दीया कोई मामूली दीया नहीं था। दीये की शक्ल का बहुत बड़ा बिजली का लैम्प था। जो सेठ लक्ष्मी दास के महलनुमा घर के सामने के बरामदे में लगा हुआ था। बीच में ये दीयों का सम्राट दीया था और जैसे सूरज के इर्द-गिर्द अन-गिनत सितारे हैं, इसी तरह इस...
अली सरदार जारी की कहानी: चेहरु माँझी
हवा बहुत धीमे सुरों में गा रही थी, दरिया का पानी आहिस्ता-आहिस्ता गुनगुना रहा था। थोड़ी देर पहले ये नग़्मा बड़ा पुर-शोर था लेकिन अब उसकी तानें मद्धम पड़ चुकी थीं और एक नर्म-ओ-लतीफ़ गुनगुनाहट बाक़ी रह गई थी। वो लहरें जो पहले साहिल से जा कर टकरा रही थीं, अब अपने सय्याल हाथों से...
अमृता प्रीतम के जन्मदिन पर पढ़ें उनकी पंजाबी कहानी: यह कहानी नहीं
पत्थर और चूना बहुत था, लेकिन अगर थोड़ी-सी जगह पर दीवार की तरह उभरकर खड़ा हो जाता, तो घर की दीवारें बन सकता था। पर बना नहीं। वह धरती पर फैल गया, सड़कों की तरह और वे दोनों तमाम उम्र उन सड़कों पर चलते रहे….। सड़कें, एक-दूसरे के पहलू से भी फटती हैं, एक-दूसरे के...
हबीब-उर-रहमान की कहानी: चोर की माँ
जब तेइसवां रोजा बीत गया तब उसे लगा कि अब देर हो रही है। हालाँकि, वह नहीं चाहता था कि इस बार ईद पर घर जाए। घर जाओ तो पचास तरह के झंझट, खासकर ट्रेन का टिकट लेना सबसे बड़ी मुसीबत का काम है। पहले लंबी लाइन में लगो और उसके कुछ ही सेकंड में...
होली पर पढ़िए प्रेमचंद की कहानी: अंधेर
नागपंचमी आई, साठे के ज़िंदा-दिल नौजवानों ने ख़ुश रंग़ जांघिये बनवाए, अखाड़े में ढोल की मर्दाना सदाएँ बुलंद हुईं क़ुर्ब-ओ-जवार के ज़ोर-आज़मा इखट्टे हुए और अखाड़े पर तंबोलियों ने अपनी दुकानें सजाईं क्योंकी आज ज़ोर-आज़माई और दोस्ताना मुक़ाबले का दिन है औरतों ने गोबर से अपने आँगन लीपे और गाती-बजाती कटोरों में दूध-चावल लिए नाग...
आज है महादेवी वर्मा का जन्मदिन, पढ़िए उनकी कहानी: बिबिया
अपने जीवनवृत्त के विषय में बिबिया की माई ने कभी कुछ बताया नहीं, किन्तु उसके मुख पर अंकित विवशता की भंगिमा, हाथों पर चोटों के निशान, पैर का अस्वाभाविक लंगड़ापन देखकर अनुमान होता था कि उसका जीवन-पथ सुगम नहीं रहा। मद्यप और झगड़ालू पति के अत्याचार भी सम्भवतः उसके लिए इतने आवश्यक हो गए थे...
बानो कुदसिया की कहानी: न्यू वर्ल्ड ऑर्डर
ड्राइंग रुम का दरवाज़ा खुला था। ताहिरा गैलरी में खड़ी थी। यहां उनका डोर प्लांट, दीवारों के साथ सजे थे। फ़र्श पर ईरानी क़ालीन के टुकड़े थे। दीवार पर आराइशी आईना नस्ब था। लम्हा भर को उस आईने में ताहिरा ने झांक कर देखा। अपने बाल दुरुस्त किए और खुले दरवाज़े से ड्राइंग रुम में...