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निर्मल वर्मा: प्रेमचंद की उपस्थिति के बहाने अनुपस्थिति ढूंढने की कवायद
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निर्मल वर्मा: प्रेमचंद की उपस्थिति के बहाने अनुपस्थिति ढूंढने की कवायद

प्रेमचंद पर लिखित बहुत सारी पुस्तकों-निबंधों को पढ़ते हुए पिछले कुछ वर्षों में निर्मल वर्मा द्वारा प्रेमचंद पर लिखे गए इस निबंध के शीर्षक ने मुझे जितना आकर्षित किया शायद उतना किसी भी शीर्षक ने नहीं। निर्मल वर्मा ने अपने लेख का शीर्षक रखा है ‘प्रेमचंद की उपस्थिति’। एक साहित्यिक अध्येता के रूप में हर...

साहित्य में नायक की पारंपरिक अवधारणा बदल दी प्रेमचंद ने
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साहित्य में नायक की पारंपरिक अवधारणा बदल दी प्रेमचंद ने

मुझे पिछले वर्ष भी हाजीपुर के इस गांधी आश्रम में आने का मौका मिला था। हाजीपुर की सबसे अच्छी बात ये है कि यहां हमेशा प्रेमंचद जयंती दो तीन दिनों के बाद मनाई जाती है। वैसे भी 31 जुलाई को हर जगह प्रेमचंद जयंती कार्यक्रमों की धूम मची रहती है। पूरे बिहार में छोटी-छोटी जगहों,...