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अस्मिता और पारिवारिकता के बीच का सामंजस्य है जब्बार पटेल की फिल्म ‘सुबह’
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अस्मिता और पारिवारिकता के बीच का सामंजस्य है जब्बार पटेल की फिल्म ‘सुबह’

समाज में स्त्री द्वारा अपनी अस्मिता की तलाश का संघर्ष जटिल रहा है। एक तो जैविक रूप से मातृत्व की जिम्मेदारी का निर्वहन और दूसरा पितृसत्ता के मूल्य जनित बाधाएं; इनके कारण उसका रास्ता कठिन हो जाता है। संघर्ष पुरूष वर्ग में भी रहा है, खासकर आर्थिक। क्योंकि आर्थिक अक्षमता अधिकांश समस्याओं की जड़ है।...

स्मृतिशेष: आज जो नाटक विवाद पैदा नहीं करता, वो अपना कफन खुद तैयार कर रहा है
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स्मृतिशेष: आज जो नाटक विवाद पैदा नहीं करता, वो अपना कफन खुद तैयार कर रहा है

गिरीश कर्नाड की मौत को एक वर्ष बीत चुके हैं। गिरीश कर्नाड नाटककार, अभिनेता, निर्देशक, फिल्मकार होने से भी बढ़कर ऐसे पब्लिक इंटेलेक्चुअल थे जिन्होंने ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ पर हमले के विरूद्ध सड़क पर भी उतरने से कभी गुरेज नहीं किया। ज्ञानपीठ सम्मान, कालिदास सम्मान के साथ-साथ देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री और पद्मविभूषण...