यह दास्तान है ‘दो इनकार’ की। जो अगर नहीं की जातीं, तो शायद बॉलीवुड का एक अलग नक्शा होता। और यह भी हो सकता है कि निगेटिव किरदारों में वह रुझान नहीं आते जो एक विलेन के रूप में देखने को मिलते हैं। शायद वह डर और दहशत दर्शक महसूस नहीं कर पाते जो खलनायक...