सामंतवाद इतिहास का एक भयावह दौर रहा है। इसकी नींव ही किसानों, कारीगरों के शोषण पर टिकी थी। एकाक ‘अच्छे’ शासकों के अलावा इसमें स्वेच्छाचारिता का सर्वत्र बोलबाला रहा है। इसमें सामंत की इच्छा ही ‘न्याय’ हुआ करता था और वह जो भी करता था ‘सही’ करता था। ज़ाहिर है ऐसे में लोग उसके ‘करम’...