उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इन दिनों कई मुद्दों को लेकर घिरी हुई है। पंचायत चुनाव में जिस तरह से नतीजे आए हैं उससे भाजपा बैक फुट पर है। इसी बीच खबर मिल रही है कि राज्य की विधि आयोग जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानूनी मसौदे बना रही है। खबरों के मुताबिक, सरकार राशन और अन्य सब्सिडी में कटौती के लिभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही है।
बताया जा रहा है कि इसके लिए राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत कुछ अन्य राज्यों में लागू कानूनों के साथ सामाजिक परिस्थितियों व अन्य बिंदुओं पर अध्ययन किया जा रहा है। माना जा रहा है कि विधि आयोग जल्द अपना प्रतिवेदन तैयार कर राज्य सरकार को सौंपेगा।
विधि आयोग की ओर से जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जो मसौदे तैयार किए जा रहे हैं उसमें विचार किया जा रहा है कि कैसे लोगों को जागरूक किया जाए, ताकि भुखमरी और बेरोजगारी की समस्या से भी निपटा जा सके।
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जागरूक करने के साथ ही कुछ सख्त नियम भी बनाने की तैयारी की जा रही है। मसलन राज्य सरकार की ओर से दी जा रही सुविधाओं व सब्सिडी में कटौती वगैरह पर मंथन किया जा रहा है। जाहिर-सी बात है भाजपा जनसंख्या नियंत्रण जैसे मुद्दों को लेकर सियासत करती रही है, और आगे चुनाव भी है। ऐसे में हो सकता है कि योगी सरकार ये खबर बाहर लाकर लोगों के मूड का भांपना चाहती हो।
खैर, जैसा भी हो खबर बाहर आने के बाद, उम्मीद के मुताबिक, इसको लेकर सियासत शुरू हो गई है। कांग्रेस ने कहा है कि इस मुद्दे पर एक सार्थक बहस होनी चाहिए। इसको लेकर जरूर ऐसे प्रभावी कदम कांग्रेस पार्टी भी चाहती है कि उठाए जाएं, लेकिन क्या यह राज्य का विषय है? यह तो एक राष्ट्रीय विषय है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा, “दरअसल, भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश में आदित्यनाथ सरकार बुरी तरीके से विफल हो चुकी है, इसलिए ऐसे शिगूफे छोड़े जा रहे हैं।”
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उन्होंने कहा “जब कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी बेरोजगारी पर, उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध पर, खराब होती अर्थव्यवस्था पर और महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार पर सवाल करती हैं तब आदित्यनाथ इधर और उधर की बात शुरू करते हैं। अब कह रहे हैं कि अगले दो महीने में विधि आयोग राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा, लेकिन क्या राज्य के विधि आयोग इसके लिए संवैधानिक रूप से अधिकृत है?”
अवस्थी ने आगे कहा कि दरअसल, बीजेपी समझ चुकी है कि जनता बुरी तरह नाराज हैं, इसीलिए लोगों को मुख्य मुद्दों से गुमराह करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन कांग्रेस पार्टी मुख्य मुद्दों को भटकाने नहीं देगी। 2022 के चुनाव में बीजेपी को 2017 में किए वादों का हिसाब-किताब देना पड़ेगा जो कि साढ़े चार साल बाद भी वादे ही बने हुए हैं।
इससे पहले असम के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने शनिवार को दो बच्चे नीति अपनाने का एलान किया था। उन्होंने कहा था कि असम सरकार राज्य द्वारा वित्तपोषित विशेष योजनाओं के तहत लाभ लेने के लिए चरणबद्ध तरीके से दो बच्चे की नीति को लागू करेगी।
उन्होंने एक प्रस कांफ्रेंस के दौरान कहा, “कुछ ऐसी योजनाएं हैं, जिसमें हम दो बच्चे की नीति लागू नहीं कर सकते, जैसे कि स्कूलों और कॉलेजों में मुफ्त शिक्षा या प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास लेकिन कुछ योजनाओं में जैसे- अगर राज्य सरकार आवास योजना की शुरुआत करती है तो दो बच्चे के नियम को लागू किया जा सकता है। धीरे-धीरे आगे चलकर राज्य सरकार की प्रत्येक योजना में यह लागू की जाएगी।”
उन्होंने आगे कहा था, “फिर चाहे ऋण माफी हो या अन्य सरकारी योजनाएं जनसंख्या मानदंडों का ध्यान रखा जाएगा। हालांकि, यह नियम चाय बागान कामगारों या अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदाय पर लागू नहीं होगा। भविष्य में सरकारी लाभों में पात्रता के लिए जनसंख्या मानदंडों का ध्यान रखा जाएगा। जनसंख्या नीति शुरू हो गई है।”
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