फैटी लीवर क्यों है जानलेवा? जानें पहचान और इलाज

फैटी लीवर क्यों है जानलेवा? जानें पहचान और इलाज

फैटी लीवर (Fatty liver) की बीमारी काफी आम बनती जा रही है, जो ज्यादातर लोगों में देखने को मिलती है। पहली नज़र में लोग, इस बात को समझ नहीं पाते हैं कि उन्हें फैटी लीवर है और इसी कारण वे इसका इलाज सही समय पर शुरू नहीं करा पाते हैं। ऐसा मुख्य रूप से इस बीमारी की कम जानकारी होने के कारण होता है, जिसे दूर करने की कोशिश सभी लोगों को करनी चाहिए। यदि आप भी फैटी लीवर की आवश्यक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें फैटी लीवर से जुड़ी आवश्यक जानकारी दी गई है।

क्या है फैटी लीवर?

जब लीवर में फैटी की मात्रा अधिक हो जाती है, तो उस स्थिति को फैटी लीवर कहा जाता है। हालांकि, लीवर में थोड़ी मात्रा में फैट होना सामान्य चीज़ है, लेकिन जब यह मात्रा जरूरत से अधिक हो जाता है, तो यह काफी सारी गंभीर बीमारियों का संकेत हो सकता है।

फैटी लीवर क्यों है जानलेवा? इसकी पहचान और इलाज क्या है!

लक्षण क्या हैं फैटी लीवर के?

फैटी लीवर किसी भी व्यक्ति को हो सकती है। इसी कारण, यदि किसी व्यक्ति को अपने शरीर में ये 5 लक्षण नज़र आते हैं, तो उसे इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करना उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है-

  • चक्कर आना या कमज़ोरी महसूस होना- फैटी लीवर का प्रमुख लक्षण चक्कर आना या कमज़ोरी महसूस होना है। हालांकि, कुछ लोगों को यह सामान्य चीज़े लग सकती हैं, लेकिन उन्हें किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले अपनी सेहत की जांच करानी चाहिए क्योंकि यह फैटी लीवर के लक्षण हो सकते हैं।
  • पेट के बीच वाले हिस्से में दर्द होना- यदि किसी व्यक्ति को पेट के बीच वाले हिस्से में दर्द होता है, तो उसे इसकी सूचना डॉक्टर को देनी चाहिए क्योंकि यह फैटी लीवर का लक्षण हो सकता है।
  • भूख न लगना- फैटी लीवर का अन्य लक्षण भूख न लगना भी है। इसी कारण, यदि किसी शख्स को अचानक से भूख न लगने की शिकायत रहती है, तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलकर अपनी सेहत की जांच करानी चाहिए क्योंकि भूख न लगना फैटी लीवर का संकेत हो सकता है।
  • उल्टी होना- फैटी लीवर ऐसी स्थिति में भी हो सकता है, जब किसी व्यक्ति को उल्टी होने की शिकायत रहती है। ऐसी स्थिति में उन्हें मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ती है ताकि फैटी लीवर को बढ़ने से रोका जा सके।
  • आंखों या त्वचा का पीला पड़ना- फैटी लीवर का मुख्य लक्षण आंखों या त्वचा का पीला पड़ना भी है। आमतौर पर, लोग इसे पीलिया का लक्षण मानते हैं, लेकिन उन्हें इसकी जांच तुरंत करानी चाहिए क्योंकि कई बार यह फैटी लीवर का संकेत भी हो सकता है।

लीवर फैटी होने का कारण क्या होता है?

फैटी लीवर होने के मुख्य रूप से कई सारे कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ कारण निम्नलिखित हैं-

  • अधिक वजन का होना- फैटी लीवर ऐसे लोगों को होनी की संभावना रहती है, जिनका वजन अधिक होता है।
  • खून में फैट की मात्रा का अधिक होना- जब किसी व्यक्ति के खून में फैट की मात्रा अधिक हो जाती है, तो उसे फैटी लीवर होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
  • जेनेटिक कारण होना- अक्सर, फैटी लीवर होने का कारण जेनेटिक भी हो सकता है। इस प्रकार, यदि किसी शख्स के परिवार में किसी अन्य सदस्य को फैटी लीवर की समस्या है, तो उसे अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • डायबिटीज का होना- डायबिटीज होने पर अन्य गंभीर बीमारियाँ होने की संभावना भी बढ़ जाती है।
  • इनमें फैटी लीवर भी शामिल हैं, इसलिए डायबिटीज से पीड़ित लोगों को डायबिटीज का पूरा इलाज कराना चाहिए।
  • दवाइयों का साइड-इफेक्ट्स होना- कई बार, फैटी लीवर दवाइयों के साइड-इफेक्ट्स होने पर भी हो सकता है।
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फैटी लीवर के लक्षण क्या हैं?

ऐसा माना जाता है कि यदि किसी बीमारी की पहचान समय रहते कर ली जाए तो उसका इलाज आसानी से किया जा सकता है। यह बात फैटी लीवर पर भी लागू होती है, इसलिए किसी शख्स को लीवर संबंधी बीमारी है, तो वह इन 4 तरीकों से इस बात का पता लगा सकता है कि उसे फैटी लीवर है या नहीं-

  • हेल्थ हिस्ट्री या स्वास्थ इतिहास की जांच करना- फैटी लीवर की पहचान करने का सबसे आसान तरीका हेल्थ हिस्ट्री की जांच करना है।
  • ब्लड टेस्ट कराना- हेल्थ हिस्ट्री या स्वास्थ इतिहास की जांच करने के अलावा फैटी लीवर की पहचान ब्लड टेस्ट के द्वारा भी की जा सकती है।
  • इमेजिंग टेस्ट कराना- अक्सर, डॉक्टर फैटी लीवर का पता लगाने के लिए इमेजिंग टेस्ट भी करते हैं। इमेजिंग टेस्ट में लीवर के आंतरिक दृश्यों को देखकर फैटी लीवर की पुष्टि की जाती है।
  • लीवर बायोप्सी कराना- फैटी लीवर की पहचान लीवर बायोप्सी के द्वारा भी संभव है। लीवर बायोप्सी में लीवर में मौजूद छोटे-छोटे ऊतक (tissue) को निकाला जाता है और इस बात का पता लगाया जाता है कि इसे कराने वाले लोगों को फैटी लीवर है अथवा नहीं।

फैटी लीवर का इलाज क्या है?

फैटी लीवर की पहचान होने पर इसका इलाज कराना आसान हो जाता है। अत: यदि किसी शख्स को फैटी लीवर है, तो वह निम्नलिखित तरीकों से इस बीमारी का इलाज करा सकता है-

  • घरेलू नुस्खों को अपनाना- फैटी लीवर का इलाज करने का सबसे आसान तरीका घरेलू नुस्खे अपनाना है। इस स्थिति में कॉफी पीना, एक्सराइज़ करना, फास्ट फूड न करना इत्यादि कारगर उपाय साबित हो सकते हैं।
  • दवाई लेना- घरेलू नुस्खे अपनाने के अलावा फैटी लीवर का इलाज दवाई लेकर भी किया जा सकता है। यह दवाई लीवर में मौजूद अतिरिक्त फैट को हटाने और फैटी लीवर को ठीक करने में सहायक साबित होती हैं।
  • सप्लीमेंट का सेवन करना- अक्सर, फैटी लीवर का इलाज सप्लीमेंट के द्वारा भी संभव हो जाता है। आमतौर पर, सप्लीमेंट को सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है लेकिन कुछ सप्लीमेंट फैटी लीवर जैसी बीमारी को ठीक करने भी सहायक साबित हो सकते हैं।
  • एक्सराइज़ करना- आमतौर पर, डॉक्टर फैटी लीवर से पीड़ित लोगों को एक्सराइज़ करने की सलाह देते हैं क्योंकि एक्सराइज़ करने से लीवर पर मौजूद फैट कम होने लगता है, जिससे फैटी लीवर ठीक हो जाता है।
  • लीवर ट्रांसप्लांट कराना- जब फैटी लीवर का इलाज किसी भी तरीके से नहीं हो पाता है, तब डॉक्टर फैटी लीवर से पीड़ित लोगों को लीवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह देते हैं।
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फैटी लीवर के जोखिम क्या हैं?

हालांकि, फैटी लीवर का इलाज संभव है, लेकिन यदि इसका इलाज लंबे समय तक न किया जाए तो फैटी लीवर की बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। अत: यदि फैटी लीवर लाइलाज रह जाए तो इससे पीड़ित लोगों को इसके इन 5 जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है-

  • अधिक मात्रा में रक्तस्राव होना- फैटी लीवर का प्रमुख जोखिम अधिक मात्रा में रक्तस्राव होना है।
  • यदि इसे समय रहते नियंत्रण में न किया जाए तो यह शरीर में खून की कमी की वजह बन सकता है।
  • लीवर में ब्लॉकेज होना- अक्सर, फैटी लीवर होने पर लीवर में ब्लॉकेज भी हो सकती है। ऐसी स्थिति में फैटी लीवर से पीड़ित लोगों को मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ती है।
  • लीवर का खराब होना- यदि लीवर का इलाज समय रहते न किया जाए तो इसका असर लीवर की कार्य-क्षमता पर भी पड़ सकता है। इस स्थिति में, लीवर खराब हो सकता है, जिसका इलाज लीवर ट्रांसप्लांट के द्वारा ही संभव है।
  • लीवर सिरोसिस होना- कई बार, फैटी लीवर लीवर सिरोसिस का कारण भी बन सकता है। हालांकि, लीवर सिरोसिस का इलाज संभव है, लेकिन फिर भी किसी तरह की लापरवाही बरतना स्थिति को बदतर बना सकता है।
  • लीवर कैंसर का होना- फैटी लीवर का गंभीर जोखिम लीवर कैंसर होना है। यदि लीवर कैंसर की पहचान समय रहते न की जाए तो यह किसी भी शख्स की मौत की वजह बन सकता है।

लीवर फैटी होने से कैसे रोका जाए?

वैसे तो फैटी लीवर के मरीज़ों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद राहत की बात यह है कि कुछ सावधानी को बरतकर फैटी लीवर की रोकथाम की जा सकती है। इस प्रकार,यदि कोई शख्स निम्नलिखित सावधानी को बरतकर फैटी लीवर की रोकथाम कर सकता है-

  • वजन को कम करना या कंट्रोल रखना- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि फैटी लीवर होने का मुख्य कारण वजन का अधिक होना है। इसी कारण, सभी लोगों को अपने वजन पर विशेष ध्यान रखना चाहिए और कंट्रोल करने की कोशिश करनी चाहिए।
  • शराब न पीना- फैटी लीवर की रोकथाम में शराब न पीना काफी कारगर उपाय साबित होता है।
  • हेल्थी डाइट अपनाना- ऐसा माना जाता है कि सेहतमंद रहने में डाइट का महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह बात फैटी लीवर पर भी लागू होती है इसलिए फैटी लीवर की रोकथाम करने के लिए हेल्थी डाइट अपनानी चाहिए।
  • एक्सराइज़ करना- यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से एक्सराइज़ करता है तो उसे फैटी लीवर के साथ-साथ अन्य गंभीर बीमारियाँ होने की संभावना भी काफी रहती है।
  • डायबिटीज़ को कंट्रोल रखना- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि फैटी लीवर का मुख्य कारण डायबिटीज भी है। इसी कारण, यदि किसी शख्स को डायबिटीज है, तो उसे डायबिटीज को कंट्रोल रखने की कोशिश करनी चाहिए ताकि उसे फैटी लीवर की बीमारी न हो।

आज के दौर में, काफी सारी बीमारियाँ फैल रही हैं। इनमें फैटी लीवर भी शामिल हैं, जिनके मरीज़ लोग आसानी से बन जाते हैं। आमतौर पर, लोग फैटी लीवर पर ध्यान नहीं देते हैं, जिसके कारण यह बीमारी समय के साथ घातक रूप ले लेती हैं। अगर लोगों में फैटी लीवर को लेकर जागरूकता हो तो वे फैटी लीवर का इलाज आसानी से कर सकते हैं। इस प्रकार, हमें उम्मीद है कि आपके लिए इस लेख को पढ़ना उपयोगी साबित हुआ होगा क्योंकि इसमें हमने फैटी लीवर की जानकारी दी है।

नोट: यह एक सामान्य जानकारी है। यह लेख किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करना बेहतर है।


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