आपका टीनएज बच्चा बना रहा है आपसे दूरी, ये 5 टिप्स आ सकता है काम

आपका टीनएज बच्चा बना रहा है आपसे दूरी, ये 5 टिप्स आ सकता है काम

बच्चे जब किशोरावस्था यानी टीनएज में आ जाते हैं, तो उनमें मानसिक और शारीरिक स्तर पर कई तरह के बदलाव होने लगते हैं। शारीरिक बदलाव होने से बच्चे मानसिक रूप से तनाव में रहते हैं। साथ ही बच्चे फैमिली से दूरी बनाने लगते हैं। उन्हें अकेला रहना, अपने दोस्तों के साथ रहना ज्यादा पसंद आता है। बाहर-घूमना, मस्ती करना चाहते हैं। वहीं परेंट्स बच्चे को अकेला नहीं छोड़ते क्योंकि उन्हें डर लगता है कि कहीं बच्चा हमारा गलत राह न पकड़ लें।

जिसके कारण बच्चे को बात-बात पर टोकते रहते हैं। नतीजा बच्चा अपने पेरेंट्स से दूर होता चला जाता है। वे अलग-थलग रहने लगते हैं और अपना ज्यादा समय एकांत में बिताने लगते हैं। जोकि बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता। इसलिए अगर आपके घर पर बच्चे हैं या फिर परिवार में या फिर पड़ोस में तो आप किशोर हो रहे बच्चो का खास ख्याल रखें। किशोरावस्था के बच्चों के साथ कैसा व्यवहार किया जाना चाहिए, इसे लेकर पेरेन्ट्स को जागरूक रहने की या फिर करने की जरूरत है। तो आइए आज जानते हैं बच्चों से जुड़ी कुछ खास टिप्स जिसे हर पेरन्ट्स को अपनाना चाहिए और अपने रिश्ते को मजबूत करना चाहिए।

बच्चों को दें स्पेस

आपका टीनएज बच्चा बना रहा है आपके दूरी, ये 5 टिप्स आ सकता है काम

दरअसल, किशोरावस्था में बच्चों में कई तरह के हार्मेनल बदलाव होते हैं। इस उम्र में बच्चे कई चीजों के बारे में खुद सोचने-समझने लगते हैं। यानी कि उनमें सोचने और विचार करने और तर्क करने की समझ विकसित होने लगती है। ऐसे में, बात-बात पर उन्हें कुछ कहते रहना या फिर टोकना अच्छा नहीं होता। पेरेंट्स को चाहिए कि उन्हें थोड़ी आजादी दें।

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बच्चों पर भरोसा करें

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हमारे देश में सबसे कॉमन बात है कि पेरेन्ट्स को अपने ही बच्चे की काबिलियत पर भरोसा नहीं होता। वे ज्यादातर दूसरे के बच्चों की तारीफ करेंगे। उन्हें लगता है कि उनके बच्चे को सहारे की जरूरत है। इसलिए वे अपने बच्चों को जब भी कोई काम सौंपते हैं तो वो बताते है कि इस काम को कैसे करना है। जिसके कारण बच्चा खीज जाता है। क्योंकि बच्चों को यह महसूस होता है कि उसकी काबिलियत पर किसी को भरोसा नहीं है। इसलिए अपने बच्चों पर भरोसा रखें और उन्हें अपने हिसाब से काम करने दें।

हर बार न डांटें

गलती किसी से भी हो सकती है। जब बड़े गलती कर सकते हैं तो बच्चे तो फिर भी बच्चे हैं। और खासकर जो बच्चे किशोरावस्था में आ रहे हैं या फिर पहुंच गए हैं, उनमें आत्मसम्मान की भावना विकसित होने लगती है। उनमें संवेदनशीलता भी बढ़ जाती है। ऐसे में, किसी तरह की गलती करने पर उन्हें न डांटें और न ही उनका दूसरों के सामने मजाक उड़ाएं। डांटने की जगह अगर आप बच्चे को समझाएंगे तो वह कभी भी गलती नहीं करेगा।

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खर्च का ध्यान रखें

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बच्चे जब किशोरावस्था में आ जाते हैं तो उनकी अपनी कुछ नई जरूरतें पैदा हो जाती हैं। इसलिए पेरेन्ट्स को चाहिए कि वे इस बात का ध्यान रखें और खर्च के लिए जितना जरूरी हो वो उन्हें दें। हां इस बात का भी जरूर ध्यान दें कि बच्चों को शान-शौकत और दिखावे के लिए पैसा खर्च करने न दें और इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चों में फिजूलखर्ची की आदत नहीं पैदा हो। क्योंकि इस बात पर अगर ध्यान नहीं दिया गया तो बच्चे बिगड़ भी सकते हैं।

दोस्तों पर नजर रखें

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किशोरावस्था में बच्चे दोस्त ज्यादा बनाने लगते हैं। स्कूल के अलावा मुहल्ले में भी उनकी दोस्ती बढ़ने लगती है। और यही उम्र होती है जब बच्चों पर बुरी संगत का असर जल्दी होता है। इसलिए इस बात का जरूर ध्यान रखें कि आपके बच्चे के दोस्त कैसे हैं। और इसके लिए बच्चों को डांट लगाने से बेहतर है कि आप अपने बच्चों से दोस्ताना व्यवहार रखें। उनके दोस्तों को घर बुलाए। अगर बच्चे की संगति अच्छी नहीं है, तो उसे प्यार से समझाएं। बच्चे को अपने भरोसे में लें। ऐसा करने से बच्चों को अपने आप सही-गलत का एहसास होने लगेगा।


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