किसी अंग की हड्डी क्यों बढ़ती है? जानें वजह, लक्षण और बचाव के तरीके

किसी अंग की हड्डी क्यों बढ़ती है? जानें वजह, लक्षण और बचाव के तरीके

आज के समय में हड्डी बढ़ने की समस्या बहुत देखने को मिल रहा है। आखिर ये हड्डी कैसे बढ़ती है और शरीर के किस अंग में हड्डी बढ़ती है ये सवाल मन में आता है। तो आज हम जानेंगे हड्डी बढ़ने के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में। हड्डी बढ़ने को मेडिकल भाषा में ओस्टियोफाइट्स कहते हैं। यह समस्या हाथ, कंधा, कमर, गर्दन, ऐडी, कुल्हा आदि में होती है। जहां की हड्डी बढ़ती है उस तरफ एक उभार हो जाता है।

हड्डी बढ़ने पर आमतौर पर कोई दिक्कत नहीं होती है, लेकिन जब रगड़ की वजह से हड्डियों में दबाव बढ़ता है तब अकड़न महसूस होती है। दर्द, जलन आदि लक्षण दिखते हैं। आरवीटीबी अस्पताल के डॉक्टर अनुराग शर्मा का कहना है कि हड्डी बढ़ने को बोन स्पर या ओस्टियोफाइट्स (osteophytes) भी कहा जाता है।

हड्डी बढ़ने में जब हड्डी में किसी तरह की खराबी आती है जिसे हड्डी खुद ही रिपेयर करती है। इस क्षतिपूर्ति के दौरान जब जमा हुआ कैल्शियम ज्यादा जमा हो जाता है। बार-बार डैमेज होता है और बार-बार कैल्शियम जमा होता है जिसकी वजह से हड्डी बढ़ती चली जाती है। ज्यादातर मामलों में हड्डी बढ़ने की समस्या का पता ही नहीं चलता, लेकिन एक्सरे कराने पर पता चलता है कि हड्डी बढ़ गई है।

ऐसे तो हड्डी बढ़ने की समस्या होने पर सही जूते पहनकर, सही डाइट लेकर बचा जा सकता है। लेकिन जब इन उपायों से भी फर्क नहीं पड़ता तब सर्जरी का सहारा लिया जाता है। सर्जरी हड्डी बढ़ने की समस्या का परमानेंट सोल्युशन है। आइए जानते हैं हड्डी बढ़ने की समस्या को विस्तार में।

हड्डी बढ़ने के लक्षण

किसी अंग की हड्डी क्यों बढ़ती है? जानें वजह, लक्षण और बचाव के तरीके
  • हड्डी जहां बढ़ती है उसमें दर्द का होना।
  • जकड़न महसूस होना।
  • जोड़ों में दर्द होना।
  • दबाने पर दर्द होना।
  • हड्डी बढ़ने वाली जगह के आस-पास त्वचा पर सूजन आना।
  • ऐड़ी की हड्डी बढ़ने पर जमीन पर पैर रखने में परेशानी।
  • त्वचा पर जलन होना।
  • चलने-फिरने में दिक्कत होना।
  • नसों का दबना और दर्द होना।
  • गर्दन की हड्डी बढ़ने पर हाथों में दर्द का होना।
  • हाथ या पैर में चींटी काटने जैसी सेंसेशन महसूस होना।
  • हाथ और पैर में जलन होना।
  • गठिया के कारण भी हड्डी बढ़ सकती है।
  • बढ़ी हड्डी के साथ पैदा होना।
  • हड्डी में चोट लगने पर।
  • रीढ़ की हड्डी का सिकुड़ना।

कैसे करें हड्डी बढ़ने का परिक्षण?

एक्स-रे करवाने पर पता चल जाता है कि हड्डी कहाँ बढ़ी है। हालांकि, कई बार हड्डी बढ़ने का एक्सरे से पता नहीं चलता है तो सीटी स्कैन भी कराया जाता है। रीढ़ की हड्डी बढ़ने पर MRI कराया जाता है।

कैसे करें हड्डी बढ़ने से बचाव?

किसी अंग की हड्डी क्यों बढ़ती है? जानें वजह, लक्षण और बचाव के तरीके

दर्द निवारक दवाएं: डॉक्टर अनुराग का कहना है कि हड्डी बढ़ने की समस्या में सबसे पहले मरीज को दर्द निवारक दवाएं दी जाती हैं। इन दवाओं से दर्द कम होता है। जोड़ों के पास सूजन कम होती है। साथ ही जोड़ों में दर्द या मूवमेंट में दिक्कत कम होती है।

मूवमेंट कम करें: हड्डी बढ़ी हुई हो तो मूवमेंट ज्यादा न करें। जब सूजन कम हो जाती है तब मूवमेंट कर सकते हैं। यानी जब भी दर्द बढ़े आराम करें और दर्द कम होने पर ही मूवमेंट करना चाहिए।

आरामदायक जूते पहने: अगर ऐड़ी की हड्डी बढ़ी है तो सही साइज के जूते पहननी चाहिए। इससे हड्डी को ज्यादा डैमेज नहीं होगा और वो ज्यादा बढ़ेगी नहीं। जूते सही पहनने से ऐड़ी की हड्डी बढ़ने को और अधिक बढ़ने से बचा सकते हैं। गर्दन में बार-बार झटका न आए उसका ध्यान रखें। इसी तरह से रीढ़ की हड्डी के लिए ध्यान दें उससे रीढ़ की हड्डी के बढ़ने की समस्या से बचा जा सकता है।

फिजोयोथेरेपी: डॉक्टरों का मानना है कि फिजियोथेरेपी से हड्डी बढ़ने रोकने में मदद मिलती है। अगर कुछ फिजियोथेरेपी के तरीके अपनाएं जाएं तो बढ़ रही हड्डियों को रोका जा सकता है।

पोषक तत्त्वों वाले डाइट: हड्डी बढ़ने की समस्या होने पर सही आहार और पोषक तत्त्वों से भरपूर आहार लेना चाहिए। डाइट में विटामिन डी और कैल्शियमयुक्त भोजन करें। तभी हड्डी सही तरीके से रिपेयर हो सकती हो सके।


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