प्रधानमंत्री मोदी के केदारनाथ दौरे का पुरोहित-पंडा क्यों कर रहे हैं विरोध?

प्रधानमंत्री मोदी के केदारनाथ दौरे का पुरोहित-पंडा क्यों कर रहे हैं विरोध?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 नवंबर को केदारनाथ यात्रा पर जाने वाले हैं। लेकिन उनके इस दौरे से पहले इसका विरोध शुरू हो गया है। केदारनाथ के पुरोहित प्रधानमंत्री मोदी के इस यात्रा का विरोध कर रहे हैं। विरोध को देखते हुए बुधवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पुरोहितों को मनाने केदारनाथ धाम पहुंचे।

खबरों के मुताबिक, मुख्यमंत्री धामी आज पहुंचे और काफी देर बंद कमरे में पुरोहितों को बनाने की कोशिश की। दरअसल, दो दिन पहले भी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत समेत बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष का केदारनाथ में जमकर विरोध हुआ था।

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को तो पुरोहितों ने दर्शन भी नहीं करने दिया था। इसके बाद पुरोहितों ने पीएम मोदी के दौरे का भी विरोध करने का फैसला किया। तब से ही उत्तराखंड सरकार सकते में हैं।

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ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पुरोहित और पंडा समाज के विरोध को देखते हुए आज केदारनाथ पहुंचे और उनसे से बातचीत की। साथ ही प्रधानमंत्री के दौरे की तैयारियों का भी जायजा लिया और पुरोहित समाज के विरोध को कम करने की कोशिश भी की।

दरअसल, पूरा मामला ये है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार ने जनवरी 2020 में चार धाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया था। इसके साथ ही चार धाम समेत 51 अन्य मंदिरों का नियंत्रण राज्य सरकार के पास आ गया था। उत्तराखंड में केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ चार धाम हैं। तब से ही पुरोहित और पंडा समाज इस फैसला को वापस लेने की मांग पर अड़ा हुआ है।

हालांकि, पुष्कर धामी ने मुख्यमंत्री बनते ही एक जांच कमेटी का गठन किया था और रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेने का वादा किया था। हालांकि, तय तारीख 30 अक्टूबर तक भी जब कोई फैसला नहीं हो पाया। इसके बाद फिर से देवस्थानम बोर्ड का मुद्दा गरमा गया और पुरोहितों ने आंदोलन करना शुरू कर दिया। पुरोहितों ने प्रधानमंत्री मोदी के दौरे तक का विरोध करने का फैसला लिया है।

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प्रधानमंत्री मोदी के दौरे से ठीक पहले पुरोहित समाज का यह आंदोलन सरकार के लिए सिर दर्द बन गया है। ऊपर से अलग साल राज्य में विधानसभा चुनाव भी है। मोदी की यात्रा उस मद्देनजर भी काफी मायने रखता है।

माना जा रहा है कि अगर ऐसे ही विरोध जारी रहा तो पहले से दिक्कतों का सामना कर रही भाजपा का खेल बिगड़ जाएगा। इसकी को देखते हुए मुख्यमंत्री धामी आज केदारनाथ पहुंचे। मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री ने बताया कि बातचीत काफी सकारात्मक रही है और पुरोहित समाज प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए उत्सुक है।

सीएम धामी ने कहा, “हमारी सरकार जन भावनाओं का सम्मान करने वाली सरकार है। तीर्थों के पंडा, पुरोहित और पुजारियों के मान-सम्मान को कोई ठेस नहीं पहुंचाई जाएगी। हम सकारात्मक, धनात्मक और विकासात्मक दृष्टिकोण से चारधाम, पंडा, पुरोहित और पुजारी समाज के सम्मान तथा धार्मिक आस्था की गरिमा के सम्मान के लिए तत्पर हैं।”

मुख्यमंत्री ने इसके साथ ही केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों का भी निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के केदारनाथ आगमन के लिए की जा रही तैयारियों का भी जायजा लिया। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी उत्तराखण्ड को दुनिया की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर विकसित करने का विजन है।

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धामी आगे कहा कि आधुनिक इतिहास में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर केदारनाथ धाम का पुनर्निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पहले चरण के सभी काम पूरे हो चुके हैं। दूसरे चरण के काम शुरू हो रहे हैं। पीएम मोदी अपने दौरे में आदि गुरू शंकराचार्य जी की समाधि का लोकार्पण करने के साथ ही उनकी प्रतिमा का भी अनावरण करेंगे।

उल्लेखनीय है कि त्रिवेंद्र सिंह के मुख्यमंत्री बनने के बाद देवस्थानम बोर्ड का गठन हुआ था। यही वजह है कि जब रावत केदारनाथ पहुंचे तो उन्हें दर्शन तक करने नहीं दिया गया। हालांकि, विरोध के बावजूद रावत 7 घंटे तक केदारनाथ धाम में रहे ।

उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि किसी को भी बाबा केदार के दर्शन करने से रोकने का अधिकार नहीं है। उन्होंने दावा करते हुए कहा था कि देवस्थानम बोर्ड से देश ही नहीं बल्कि विश्व के तमाम हिन्दू आस्थावानों को इसका फायदा होगा। उन्होंने दावा किया था अन्य मंदिरों के पुरोहित समाज समर्थन कर रहे हैं, मगर कुछ लोग हैं जो इसके विरोध में हैं।


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