जब प्रेमनाथ की असल जिंदगी बन गई ‘अभिमान’ फिल्म की कहानी

जब प्रेमनाथ की असल जिंदगी बन गई ‘अभिमान’ फिल्म की कहानी

साठ और सत्तर के दशक के मशहूर एक्टर प्रेमनाथ को कौन नहीं जानता। ‘जॉनी मेरा नाम’, ‘धर्मात्मा’, ‘बॉबी’, ‘जानी दुश्मन’ जैसी कई सुपरहिट फ़िल्मों में उनकी एक्टिंग के लोग दीवाने हो गए। ज्यादातर फिल्मों में उन्होंने विलेन का रोल किया। उसके बावजूद उनके चाहने वालों की कोई कमी नहीं थी। फिर उनकी जिंदगी में बीना राय आई। शादी के बाद बीना राय ‘अनारकली’, ‘ताजमहल’ और ‘घूंघट’ जैसी फिल्मों से शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच गई। वहीं प्रेमनाथ का कैरियर असफलताओं से घिरने लगा।

एक समय आया जब प्रेमनाथ को बीना राय के पति के नाम से जाना जाने लगा। निर्माता घर आते तो प्रेमनाथ को लगता कि वह उन्हें साइन करने आए, लेकिन वे बीना राय को साइन करने आते थे। उनकी जिंदगी की कहानी फिल्म ‘अभिमान’ की तरह हो गई थी। मानो ये फ़िल्म ही उनपर ही लिखी गई हो। इन सब से वो गहरे अवसाद में चले गए। क्योंकि यह लगभग 14 साल, 1956 से 1970 तक चली। फिर भी वे हार नहीं माने उन्होंने अपनी कंपनी बनाई। खुद हीरो बने, पत्नी को हीरोइन बनाया। मगर दर्शकों को उनकी जोड़ी पसंद नहीं आई। आध्यात्मिक शांति की तलाश में वह भौतिक दुनिया से दूर हिमालय भी गए।

जब प्रेमनाथ की असल जिंदगी बन गई ‘अभिमान’ फिल्म की कहानी

1970 तक ऐसी ही स्थिति चली और प्रेमनाथ रुद्राक्ष की माला पहने साधु बने नजर आए। प्रेमनाथ एक ओर अपने अवसाद से लड़ रहे थे, तो दूसरी ओर ‘आम्रपाली’, ‘तीसरी मंजिल’, ‘बहारों के सपने’ जैसी हिट फिल्में भी कर रहे थे। उनके कैरियर को जिस करंट की जरूरत थी, वह मिला 1970 में विजय आनंद की ‘जॉनी मेरा नाम’ से, जिसने उन्हें नई इमेज दी। फिर क्या था एक के बाद एक सफल फिल्मों ने प्रेमनाथ को फिल्मजगत का व्यस्त और महंगा अभिनेता बना दिया। उस वक़्त प्रेमनाथ सवा लाख रुपए रोज की फीस लेते थे। जबकि उनके जीजा राज कपूर हिट हीरो थे फिर भी उन्हें 75 हजार मेहनताना मिलता था। दिलीप कुमार 50 हजार और देव आनंद को 35 हजार मिल रहा था।

प्रेमनाथ ने ‘धर्मात्मा’ से लेकर ‘बॉबी’ और ‘कालीचरण’ से लेकर ‘कर्ज’ जैसी सफल फिल्मों की लाइन लगा दी। फिर उनकी जिंदगी में आई मधुबाला। दोनों शादी करने वाले थे लेकिन उनकी शादी के रास्ते में धर्म आड़े आ गया है और उनकी महोब्बत अधूरी रह गई। कहा जाता है कि मधुबाला के निधन के बाद उनके पिता अताउल्लाह बीमार हो गए थे। तब उन्हें देखने प्रेमनाथ गए थे और चुपके से उनके सिरहाने पर लाख रुपए रख आए थे। यह सोचकर कि अगर मधुबाला से उनकी शादी हुई होती, तब उन्हें अपने ससुर के लिए यह फर्ज निभाना पड़ता।

जब प्रेमनाथ की असल जिंदगी बन गई ‘अभिमान’ फिल्म की कहानी

उनसे जुड़ी एक और किस्सा है। प्रेमनाथ फ़िल्म ‘जानेमन’ की शूटिंग कर रहे थे। इस मूवी में देवानंद और हेमा मालिनी थे। एक दिन वो इस फ़िल्म की शूटिंग कर वापस अपने घर लौट रहे थे। माहिम की रेड लाइट पर उनकी कार रुकी। यहां फ़ुटपाथ पर मौजूद बच्चों ने उन्हें पहचान लिया और जोर-जोर से प्रेमनाथ…प्रेमनाथ चिल्लाने लगे। सिग्नल ग्रीन हुआ और गाड़ी आगे बढ़ गई। मगर कुछ दूर जाने के बाद प्रेमनाथ ने ड्राइवर को गाड़ी वापस उन बच्चों के पास ले जाने को कहा। ड्राइवर ने गाड़ी मोड़ी और बच्चों के पास पहुंच गया। प्रेमनाथ ने बच्चों को इशारा कर बुलाया और पूछा- “हमें जानते हो”?

तब बच्चों ने कहा हां और ये भी बताया कि वो हिंदी सिनेमा के मशहूर विलेन यानी एक्टर हैं। प्रेमनाथ ने बच्चों का टेस्ट लेने के लिए अपनी फ़िल्मों के नाम पूछे। बच्चों ने भी एक-एक कर उनकी कई फ़िल्मों के नाम गिना दिए। इस बात से प्रेमनाथ बहुत ख़ुश हुए और गाड़ी की दराज से 100 के नोट की एक गड्डी उठाकर एक-एक कर बच्चों में बांटने लगे। इसके बाद वहां मौजूद दूसरे ग़रीब लोग भी आ गए। वहां मौजूद सभी लोग उनका नाम लेते और वो सबको एक-एक सौ का नोट थमाते जाते। वो दिल के बहुत साफ, भावुक और उदार व्यक्ति थे। तो कुछ इस तरह की शख्सियत रखते थे प्रेमनाथ, जिनके दीवाने लोग कल भी थे और आज भी हैं।


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