साइटिका क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और इलाज के उपाए

साइटिका क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और इलाज के उपाए

सायटिका दर्द आजकल काफी सारे लोगों में देखने को मिलती है। चूंकि,हम लोगों को बैठकर ही सारे दिन काम करना पड़ता है, जिसकी वजह से अपनी सेहत पर बुरा असर पड़ता है और हमें सायटिका जैसी बीमारियाँ होने की संभावना भी पड़ जाती है। ऐसे में लोगों को ऐसी बीमारी की जानकारी होने की जरूरत है ताकि वे इसका इलाज सही तरीके से कर सके।

क्या आपको भी कभी कमर दर्द या शरीर के निचले हिस्से में दर्द होता है? यदि हां, तो आपको इसे नज़रअदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि यह सायटिका का कारण बन सकता है।
अब आपके मन में यह सवाल ज़रूर आएगा कि इस बीमारी के और क्या लक्षण क्या होते हैं, तो आप ऐसे ही सवालों के उत्तर पाने के लिए इस लेख को पढ़कर पा सकते है।

क्या है सायटिका?

साइटिका क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और इलाज के उपाए

सायटिका से तात्पर्य पैर और शरीर के निचले हिस्से में होने वाले दर्द से है। यह दर्द मुख्य रूप से शरीर की सायटिका नस के दबने से होता है, जो पैर और कुल्हे तक फैली होती है।

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क्या हैं सायटिका के लक्षण?

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किसी भी अन्य बीमारी की तरह सायटिका के भी अपने कुछ लक्षण होते हैं, जो इस बीमारी की शुरूआत का संकेत देते हैं। इस प्रकार, यदि किसी व्यक्ति को अपने शरीर में ये 6 लक्षण नज़र आए, तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलकर अपनी सेहत की जांच करानी चाहिए क्योंकि उसे सायटिका का मरीज़ बना सकते हैं-

कमर के निचले हिस्से में दर्द होना- सायटिका का प्रमुख लक्षण कमर के निचले हिस्से में दर्द होना है। हालांकि, लोग इसे सामान्य कमर दर्द मानने की भूल कर सकते है, लेकिन उन्हें बिना डॉक्टर की सलाह के किसी नतीजे पर नहीं आना चाहिए क्योंकि यह सायटिका का संकेत हो सकता है।
बैठने पर पैर के दर्द का बढना- यदि किसी व्यक्ति को बैठने पर पैर का दर्द बढ़ जाता है, तब उसे डॉक्टर से मिलकर अपनी सेहत की जांच करानी चाहिए क्योंकि यह सायटिका का लक्षण हो सकता है।
कूल्हे में दर्द होना- सायटिका का अन्य लक्षण कूल्हे में दर्द होना है। ऐसी स्थिति में लोगों को इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए क्योंकि यह सायटिका का संकेत हो सकता है।
पैर के नीचे जलन या मरोड़ होना- यह बीमारी ऐसे लोगों को भी हो सकती है, जिन्हें पैर के नीचे जलन या मरोड़ महसूस होती है। ऐसे लोगों को अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए और सेहत संबंधी किसी भी तरह की समस्या होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि उन्हें सायटिका की बीमारी हो सकती है।
पैरों का सुन्न होना- यदि किसी व्यक्ति का पैर सुन्न हो जाता है, तब उसे मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ सकती है। चूंकि, पैरों का सुन्न होना सायटिका का लक्षण हो सकता है इसलिए उसे समय रहते ठीक करना काफी जरूरी बन जाता है।
चलने में तकलीफ़ होना- सायटिका का अन्य लक्षण चलने में तकलीफ़ होना है। इसे किसी भी शख्स को नज़रअंदाज़ करना नुक़सानदेह साबित हो सकता है।

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क्या हैं सायटिका दर्द का कारण ?

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सायटिका दर्द होने का कोई एक कारण नहीं होता है, बल्कि यह समस्या काफी सारे कारणों से हो सकती है। अभी तक, सायटिका पर किए गए अध्ययन से स्पष्ट है कि यह बीमारी मुख्य रूप से निम्नलिखित कारणों से हो सकती है-

सायटिका नस का दबना- सायटिका दर्द का प्रमुख कारण सायटिका नस का दबना है। ऐसा मुख्य रूप से हर्नियेटेड डिस्क से होता है, जिसके लिए डॉक्टर की सहायता पड़ती है।
वजन का अधिक होना- सायटिका दर्द ऐसे लोगों को भी हो सकता है, जिनका वजन अधिक होता है। ऐसे लोगों को वजन कम करने की कोशिश करनी चाहिए ताकि उन्हें सायटिका दर्द जैसी समस्या न हो।
एक जगह पर काफी देर तक बैठना- यदि कोई शख्स एक जगह पर काफी देर तक बैठता है, तो उसे सायटिका दर्द हो सकता है। ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी जगह से थोड़ी-थोड़ी देर में उठना चाहिए ताकि उन्हें सायटिका दर्द न हो।
बैठने की गलत मुद्रा का होना- अक्सर, सायटिका दर्द बैठने की गलत मुद्रा का नतीजे भी हो सकता है।
डायबिटीज से पीड़ित होना- सायटिका दर्द ऐसे लोगों को भी हो सकता है, जो डायबिटीज से पीड़ित हो। ऐसे लोगों को डायबिटीज का इलाज कराना चाहिए ताकि उन्हें अन्य कोई बीमारी या समस्या न हो।

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कैसे करें सायटिका दर्द की पहचान?

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हालांकि, सायटिका दर्द से पीड़ित लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसा मुख्य रूप से इस बीमारी की समय रहते पहचान और इलाज न करने की वजह से होती है। अत: सायटिका की पहचान करना सही समय पर कर लेना चाहिए ताकि यह गंभीर रूप न ले। इस प्रकार, सायटिका की पहचान इन 4 तरीके से किया जा सकता है-

एक्स-रे करना- सायटिका दर्द की पहचान करने का आसान तरीका एक्स-रे कराना है। एक्स-रे में मानव-शरीर के निचले हिस्से की अंदरूनी तस्वीर ली जाती है, ताकि इस दर्द का पता लगाया जा सके।
एम.आर.आई कराना- अक्सर, डॉक्टर सायटिका दर्द का पता एम.आर.आई के द्वारा भी लगाते हैं। एम.आर.आई में हड्डियों और हर्नियेटेड डिस्क की तस्वीर लेकर दर्द की स्थिति का पता लगाया जाता है।
सी.टी.स्कैन करना- सी.टी.स्कैन में कमर को स्कैन किया जाता है और इस पता लगाया जाता है कि दर्द कमर के किस हिस्से में हो रहा है।
ई.एम.जी कराना- सायटिका दर्द की पुष्टि ई.एम.जी के द्वारा भी की जाती है। इसमें सायटिका का कमर पर पड़ने वाले दबाव का पता लगाया जाता है और दर्द का पता लगाया जाता है।

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कैसे किया जा सकता है सायटिका दर्द का इलाज?

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जितना जरूरी सायटिका दर्द की समय रहते पहचान करना है उतना ही जरूरी इसका समय रहते इलाज शुरू कराना है। ऐसा करने से लोगों के ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है, इसलिए इसका इलाज निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है-

एक्सराइज़ करना- सायटिका दर्द को कम करने का सबसे आसान तरीका एक्सराइज़ करना है। ये एक्सराइज़ सायटिका नस तक खून का प्रवाह पहुंचाने और इस दर्द को कम करने में सहायता करती है।
थेरेपी लेना- अक्सर, सायटिका दर्द का इलाज फिजिक्ल थेरेपी के द्वारा भी किया जाता है। थेरेपी सायटिका नस को खोलने का बेहतरीन काम करती है, जिससे इस दर्द से पीड़ित शख्स को आराम मिलता है।
दवाई लेना- कई बार, डॉक्टर सायटिका दर्द से पीड़ित लोगों को दवाई भी देते हैं। ये दवाईयाँ मुख्य रूप से दर्द निवारक होती हैं, जो सायटिका दर्द को कम करने में सहायक साबित होती हैं।
बर्फ की सिंकाई करना- सायटिका दर्द का इलाज बर्फ की सिंकाई के द्वारा भी संभव है। इस स्थिति में बर्फ की सिंकाई इस दर्द को कम करके इससे पीड़ित लोगों को आराम पहुँचाती है।
सर्जरी कराना- जब,सायटिका दर्द में किसी भी तरीके से आराम नहीं मिलता है, तब सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है। डॉक्टर सर्जरी में हर्नियेटेड डिस्क के खराब वाले हिस्से को निकालकर उसकी जगह पर आर्टिफिशल हिस्सा लगाते हैं।

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क्या हो सकते हैं सायटिका दर्द के साइड-इफेक्ट्स?

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अक्सर, आपने सायटिका दर्द से पीड़ित लोगों को परेशान होते देखा होगा। उनके लिए सामान्य काम करने जैसे चलना, बैठना इत्यादि करना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसा मुख्य रूप से सायटिका दर्द का इलाज न करने की वजह से होता है, जिसकी वजह से लोगों को इन 5 साइड-इफेक्ट्स का सामना करना पड़ता है-

दर्द का बढ़ना- सायटिका दर्द का प्रमुख साइड-इफेक्ट्स दर्द का बढ़ना है। ऐसी स्थिति में इससे पीड़ित लोगों को दर्द-निवारक दवाई का सेवन करने या फिर मेडिकल सहायता लेने की जरूरत पड़ सकती है।
पैर का सुन्न होना- सायटिका का अन्य साइड-इफेक्ट्स पैर का सुन्न होता है। इस समस्या समय के साथ गंभीर रूप ले सकती है, जिसका असर शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है।
पैर में कमज़ोरी महसूस होना- अक्सर, सायटिका दर्द से पीड़ित लोग पैरों में कमज़ोरी महसूस होने की शिकायत करते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें डॉक्टर की सहायता लेनी पड़ सकती है।
ब्लैडर का सही तरीके से काम न करना- सायटिका दर्द का असर कुछ समय के बाद शरीर के अन्य अंगों की कार्य-क्षमता पर भी पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में ब्लैडर भी खराब हो सकता है, जिसे बदलने की जरूरत पड़ सकती है।
नस का खराब होना- यदि सायटिका दर्द को लंबे समय तक ठीक न किया जाए तो इसकी वजह से सायटिका नस खराब हो सकती है।

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कैसे करें सायटिका दर्द की रोकथाम?

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हालांकि, सायटिका दर्द कुछ लोगों के लिए सिरदर्द बन जाता है, जिसकी वजह से उनकी ज़िदगी तकलीफदेह बन जाती है। इसके बावजूद, राहत की बात यह है कि किसी भी अन्य बीमारी की तरह सायटिका दर्द की भी रोकथाम संभव है। इस प्रकार, यदि कोई व्यक्ति निम्नलिखित बातों का पालन करे तो वह सायटिका दर्द की रोकथाम कर सकता है-

हर रोज़ एक्सराइज़ करना- सायटिका दर्द की रोकथाम करने का सबसे आसान तरीका हर रोज़ एक्सराइज़ करना है। ऐसा करने से शरीर के सभी अंगों तक खून का प्रवाह पहुँचता है, जिससे नसें सही तरीके से खुल जाती हैं।
सही तरीके से बैठना- जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि सायटिका दर्द सही तरीके से न बैठने से होता है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए लोगों को सही तरीके से बैठना चाहिए।
धूम्रपान न करना- किसी भी व्यक्ति के लिए धूम्रपान करना नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसकी वजह से उसे काफी सारी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं इसलिए किसी भी शख्स को धूम्रपान का सेवन नहीं करना चाहिए ताकि उसे सायटिका दर्द जैसी समस्या न हो।
एक जगह पर ज्यादा देर तक न बैठना- चूंकि,सायटिका दर्द का संबंध एक पर ज्यादा देर तक बैठने का नतीजा होता है। इसी कारण, इसकी रोकथाम के लिए हम सभी लोगों को एक जगह पर ज्यादा देर तक नहीं बैठना चाहिए बल्कि थोड़ी-थोड़ी देर में वहां से उठकर चलना चाहिए ताकि शरीर के सभी अंगों तक खून का प्रवाह पहुंच सके।
अधिक मात्रा में पानी पीना- ज्यादातर बीमारियाँ शरीर में पानी की कमी की वजह से होती हैं।

इसी कारण, हम सभी लोगों को अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि हमें कोई बीमारी न हो। आज के कामकाजी दौर में, बीमारियों का खतरा काफी ज्यादा बढ़ गया है।
इनमें सायटिका दर्द भी शामिल है, जो किसी भी शख्स को परेशानी में डाल सकता है।

हालांकि, हम सभी लोग इस कम करने के लिए सभी तरह के तरीके को अपनाते हैं, लेकिन कई बार ये तरीके हमारे लिए लाभकारी साबित नहीं होते हैं, तब हमें मेडिकल सहायता लेने की भी जरूरत पड़ती है। इसके अलावा, यदि हमें सायटिका दर्द जैसी बीमारियों की पूरी जानकारी हो तो हमें इससे आसानी से छुटकारा पा सकते हैं।

इस प्रकार, हमें उम्मीद है कि आपके लिए इस लेख को पढ़ना उपयोगी साबित हुआ होगा और इस लेख में दी गई जानकारी आप और आपके प्रियजनों को सायटिका दर्द से बचने या इलाज करने में सहायता करेगी।

नोट: यह एक सामान्य जानकारी है। यह लेख किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करना बेहतर है।


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