कीटो डाइट क्या है? क्या वाकई इसका सेहत पर अच्छा असर पड़ता है!

कीटो डाइट क्या है? क्या वाकई इसका सेहत पर अच्छा असर पड़ता है!

अगर कोई कहे कि खूब तला हुआ, तेल मसाले और मक्खन मलाई से भरा खाना खाओ और वजन घटाओ। तो सुनते ही कान खड़ें हो जाएंगे न। क्योंकि अगर इस तरह का खाना खाएंगे तो वजन बढ़ेगा न कि कम होगा। पर ऐसा होता है कीटो डाइट में लोग यही करते हैं। आप सोचेंगे कि ये सब खाने के बाद कीटो डाइट से वजन कैसे घटता है? और ये कीटो डाइट है क्या? तो आज आपको कीटो डाइट के बारे में सब कुछ बताने जा रहे हैं।

कीटो डाइट की शुरुआत

आज कीटो डाइट खूब लोकप्रियता है। लेकिन यह करीब सौ साल पुरानी डाइट है। साल 1924 में इसे मिरगी के इलाज के रूप में शुरू किया गया था। और जब इसके साइड इफेक्ट के तौर पर वजन के घटने के बारे में पता चला तो पश्चिमी देशों में 1970 के दशक में इसे ‘वेट लॉस डाइट’ के नाम से बेचा जाने लगा।

ये कैसे काम करती है?

कीटो डाइट में वजन कम करने के लिए दो चीजों पर ध्यान दिया जाता है। पहला कार्बोहाइड्रेट और दूसरा फैट पर। कीटो डाइट के दौरान कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम कर दी जाती है और फैट बढ़ा दी जाती है। यानी आप मक्खन से भरा खाना तो खा सकते हैं लेकिन चीनी वाला नहीं।

कीटो डाइट क्या है? क्या वाकई इसका सेहत पर अच्छा असर पड़ता है!

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दरअसल, हमारे शरीर को ऊर्जा के लिए शुगर की जरूरत होती है जो चीनी यानी कार्बोहाइड्रेट वाले खाने से मिलती है। और जब हम खाने में इसकी कमी कर देते हैं, तो शरीर वसा यानी फैट को जला कर ऊर्जा पैदा करता है। इसलिए कीटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट दिया ही नहीं जाता जिसके कारण शरीर को हर वक्त फैट जलाना पड़ता है।

अर्थ क्या है कीटो का?

विज्ञान की भाषा में जब शरीर फैट जलाने की स्थिति में पहुंच जाता है, तो उसे उसे कीटोसिस कहा जाता है। इस अवस्था में पहुंचने में शरीर को दो से चार दिन का वक्त लग जाता है।

क्या खा सकते हैं?

डाइट के दौरान दिन में 50 ग्राम कार्बोहाइड्रेट लेने की इजाजत होती है। यह शरीर की कुल कैलोरी जरूरतों का मात्र 10 फीसदी है। बाकी 20% प्रोटीन और 70% फैट लेना होता है। यानी खूब सारा मक्खन मलाई वाला खाना खा सकते हैं। और कुछ लोग तो इस डाइट को इस हद तक ले जाते हैं कि दिन का सिर्फ 2% कार्बोहाइड्रेट, 8% प्रोटीन और बाकी का 90% फैट लेते हैं। हालांकि डॉक्टर की माने तो ऐसा नहीं कर सकते। यानी कि डॉक्टर ऐसा करने की सलाह नहीं देते हैं।

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कीटो करता है बीमार

जब शरीर को ऐसी अजीब डाइट पर रखा जाता है, तो शरीर समझ नहीं पाता कि उसके साथ क्या हो रहा है। ऐसे में कई बार सिरदर्द, थकान और चक्कर आना आम हो जाता है। इसे कीटो फ्लू कहते हैं। हालांकि, इस तरह के लक्षण दो हफ्तों में चले जाते हैं।

कीटो के साइड इफेक्ट्स

जब खाने में हम कार्बोहाइड्रेट यानी कि फल, सब्जी, चावल और रोटी लेना बिल्कुल ही बंद कर देंगे, तो पाचन पर असर पड़ता है। ऐसे में कीटो डाइट करने वालों को कॉन्स्टिपेशन की समस्या होने लगती है।

डॉक्टरों की सलाह जरूरी

डॉक्टरों के अनुसार, शरीर में कई तरह के विटामिन की कमी और लंबे समय तक इस डाइट को करने से लीवर खराब होने का खतरा, किडनी स्टोन और गठिये जैसी समस्याएं हो सकती हैं। खासकर लीवर पर बहुत बुरा असर पड़ता है।

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कीटो डाइट के जोखिम

सभी जानते हैं कि ज्यादा वसा वाला खाना खाने से दिल को नुकसान पहुंचता है। यानी कि जितना ज्यादा फैट से भरपूर खाना, उतना ही ज्यादा कॉलेस्ट्रॉल। ऐसे में डायबिटीज और हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ जाता है।

डाइट क्या शामिल करें

कोई भी व्यक्ति चाहे जो डाइट कर लें। लेकिन डॉक्टरों के अनुसार नतीजा एक ही होगा। कहने का मतलब ये है कि शुरू में शरीर में हो रहे बदलावों के कारण आपका वजन जरूर घटेगा, लेकिन कुछ वक्त बाद वजन का घटना रुक जाएगा। और कई बीमारियां भी साथ ला सकता है। इसलिए पोषण से भरपूर खाना खाएं। एक्सरसाइज करें, योगा करें, खूब पानी पिएं, सुबह वॉक पर जाएं, अपनी सोच को पॉजिटिव रखें, तनाव से दूर रहें।


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