अल्जाइमर रोग कब, क्यों और कैसे होता है? जानें पूरी जानकारी

अल्जाइमर रोग कब, क्यों और कैसे होता है? जानें पूरी जानकारी

अल्जाइमर रोग मुख्य रूप से उम्रदराज लोगों में देखने को मिलता है। इसकी शुरूआत आम समस्या की तरह होती है, जो कुछ समय के बाद गंभीर रूप ले लेती है। ज्यादातर लोग इस पर ध्यान नहीं देते हैं, जो उनके लिए नुकसानदायक साबित होता है। लेकिन, क्या आपने यह सोचा है कि लोगों के इस बीमारी पर ध्यान न देने की मुख्य वजह क्या है? इसका उत्तर काफी आसान है, ऐसा अल्जाइमर की जानकारी न होने के कारण होता है।

यदि आप किसी व्यक्ति से पूछेंगे कि अल्जाइमर क्या है? तो उनका जवाब यही होगा कि यह एक मानसिक रोग है। इसके अलावा उन्हें इसके बारे में नहीं पता होता है। उनकी यही अज्ञानता या फिर अधूरा ज्ञान उन्हें इसका मरीज़ बना देता है क्योंकि अधूरा ज्ञान काफी खतरनाक होता है। खैर, इस लेख को लिखने का उद्देश्य लोगों को कोसना नहीं है बल्कि अल्जाइमर की जानकारी की कमी को दूर करना है ताकि इनके मरीज़ों की संख्या को कम किया जा सके। अगर आप भी इस मानसिक रोग के बारे में नहीं जानते हैं तो आपको इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए क्योंकि इसमें आपको इस बीमारी से जुड़ी सारी जानकारी मिलेगी।

क्या है अल्जाइमर रोग?

अल्जाइमर रोग कब, क्यों और कैसे होता है? जानें पूरी जानकारी

ये भी पढ़ें: थाइराइड है ‘साइलेंट किलर’, ये 5 फूड्स का सेवन है रोगी के लिए खतरनाक

अल्जाइमर रोग मुख्य रूप से डिमेंशिया का रूप है। डिमेंशिया बीमारी से तात्पर्य ऐसी स्थिति से है जब किसी व्यक्ति के दिमाग की कोशिकाएं कमज़ोर या नष्ट हो जाती हैं। इससे पीड़ित लोगों को भूलने की आदात पढ़ जाती है, जिसके चलते वे 1-2 मिनट पहले हुई बात को भी भूल जाते हैं। जब डिमेंशिया बढ़ जाती है, तो उसे अल्जाइमर रोग कहा जाता है।

क्या है अल्जाइमर रोग के लक्षण?

जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है कि अल्जाइमर रोग की शुरूआत आम बीमारी की तरह होती है, जिसके कारण किसी भी व्यक्ति के लिए इस बात का पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि उसे अल्जाइमर बीमारी है। इसके बावजूद, यदि कोई व्यक्ति थोड़ी सावधानी बरते तो वह अल्जाइमर के इन 5 लक्षणों की पहचान कर सकते है-

  • यादाश्त में कमी होना- अल्जाइमर रोग का प्रमुख लक्षण यादाश्त में कमी होना है।
  • इस बीमारी से पीड़ित लोगों को शुरूआत में थोड़ी-थोड़ी बातें भूलने लगती हैं, जो कुछ समय के बाद काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं।
  • जगह या समय को लेकर गुमराह होना- अल्जाइमर रोग उस स्थिति में भी हो सकता है, जब किसी व्यक्ति को जगह या समय को लेकर दुविधा होने लगती है।
  • इस प्रकार, अल्जाइमर रोग का अन्य लक्षण जगह या समय को लेकर गुमराह होना भी है।
  • बोलने या लिखने में परेशानी होना- यदि किसी व्यक्ति को अचानक से बोलने या लिखने में परेशानी होने लगी है, तो उसे इसकी सूचना डॉक्टर को देनी चाहिए क्योंकि यह अल्जाइमर रोग का लक्षण हो सकता है।
  • फैसले लेने में परेशानी होना- जब किसी शख्स को फैसले लेने में परेशानी हो, तो उसे इसे गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि यह अल्जाइमर रोग का संकेत हो सकता है।
  • मूड का बार-बार बदलना- अल्जाइमर रोग का अन्य लक्षण मूड का बार-बार बदलना है।
  • ऐसी स्थिति में लोगों को मेडिकल सहायता की जरूरत पड़ सकती है, ताकि इसे समय रहते रोका जा सके।

ये भी पढ़ें: पेट साफ तो 100 रोग माफ, जानें कैसे रखना है पेट का ख्याल

क्या हैं अल्जाइमर रोग होने के कारण?

अल्जाइमर रोग कब, क्यों और कैसे होता है? जानें पूरी जानकारी

अल्जाइमर रोग किसी भी व्यक्ति को हो सकती है, जिसके कई सारे कारण हो सकते हैं। ऐसे में इसके सटीक कारणों की पहचान करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इसके बावजूद,अल्जाइमर रोग पर किए गए अध्ययनों से स्पष्ट है कि यह बीमारी निम्नलिखित कारणों से हो सकती है-

  • उम्रदराज़ होना- अल्जाइमर रोग होने का प्रमुख कारण उम्रदराज़ होना है। इस प्रकार, जिस व्यक्ति (महिला और पुरूष दोनों) की उम्र 60 साल से अधिक हो, तो उसे अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि उसे अल्जाइमर रोग जैसी बीमारी न हो।
  • जेनेटिक कारण का होना- अक्सर, अल्जाइमर रोग उस स्थिति में भी हो सकता है, जब किसी शख्स के परिवार में कोई व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित होता है। ऐसे लोगों को समय-समय पर हेल्थचेकअप करना चाहिए ताकि अल्जाइमर जैसी बीमारी का संकेत बता लग सके।
  • सिर पर चोट लगना- यदि किसी व्यक्ति के सिर पर चोट लगी है, तो उसे अल्जाइमर रोग होने की बीमारी की संभावना काफी ज्यादा रहती है।
  • किसी अन्य बीमारी से पीड़ित होना- अल्जाइमर रोग ऐसे लोगों में भी देखने को मिलता है, जो डायबिटीज या दिल संबंधी बीमारी से पीड़ित हो। ऐसे लोगों को अपनी बीमारियों का सही तरीके से इलाज कराना चाहिए ताकि उन्हें अल्जाइमर रोग जैसी गंभीर बीमारी न हो।
  • तनाव का शिकार होना- अल्जाइमर रोग का खतरा तनाव से पीड़ित लोगों में भी काफी अधिक रहता है। ऐसे लोगो को किसी तरह की लापरवाही नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसा करना उन्हें गंभीर बीमारी का मरीज़ बना सकता है।
अल्जाइमर रोग कब, क्यों और कैसे होता है? जानें पूरी जानकारी

ये भी पढ़ें: पनीर का फूल डायबिटीज रोगियों के लिए है बहुत फायदेमंद, जानें इस्तेमाल का तरीका

कैसे की जा सकती है अल्जाइमर रोग की पहचान?

अल्जाइमर रोग की पहचान समय रहते होने पर इसका इलाज आसान बन जाता है। इस प्रकार, यदि किसी व्यक्ति को खुद के इस बीमारी से पीड़ित होने की शंका है, तो वह इसे कुछ टेस्टों को करवाकर दूर कर सकता है। अत: इस स्थिति में इन 5 टेस्टों को किया जा सकता है, जो अल्जाइमर रोग की पहचान करने में सहायक साबित हो सकते हैं-

  • ब्लड टेस्ट करना- अल्जाइमर रोग की पहचान करने का सबसे सामान्य कारण ब्लड टेस्ट करना है।
  • ब्लड टेस्ट के द्वारा इस बात की पुष्टि की जाती है कि किसी शख्स के शरीर में अल्जाइमर के टिशू कितने हैं।
  • दिल की धड़कनों की जांच करना- ब्लड टेस्ट करने के अलावा, डॉक्टर अल्जाइमर की पहचान करने के लिए दिल के धड़कनों की भी जांच करते हैं। इसमें दिल की धड़कनों की गति का मॉनिटर किया जाता है।
  • एम.आर.आई कराना- हार्ट रेट की जांच करने के अलावा,अल्जाइमर की पहचान एम.आर.आई टेस्ट के द्वारा भी की जाती है। इस टेस्ट में शरीर के अंदरूनी हिस्से की तस्वीर लेकर मानव-शरीर में इस बीमारी की स्थिति का पता लगाया जाता है।
  • सी.टी स्कैन करना- अक्सर,सी.टी स्कैन से भी अल्जाइमर रोग की पहचान की जाती है। इस टेस्ट में दिमाग की अंदरूनी हिस्से की जांच की जाती है।
  • पी.ई.टी स्कैन करना- वर्तमान समय में अल्जाइमर रोग की पहचान पी.ई.टी स्कैन के द्वारा भी की जाती है। पी.ई.टी स्कैन के दौरान, रेडियोएक्टिव ट्रेजर को खून में डालकर उससे ब्रेन की जांच की जाती है।

कैसे करें अल्जाइमर रोग का इलाज?

अल्जाइमर रोग कब, क्यों और कैसे होता है? जानें पूरी जानकारी

जैसे ही किसी शख्स खुद के अल्जाइमर रोग से पीड़ित होने का पता चलता है, वैसे ही उसे अपना इलाज शुरू करा लेना चाहिए ताकि वह समय रहते इससे ठीक हो सके। इस प्रकार,अल्जाइमर रोग का इलाज मुख्य रूप से निम्नलिखित तरीके से किया जा सकता है-

ये भी पढ़ें: डबल रोटी और पास्ता का इस्तेमाल बना सकता है आपको हृदय रोगी

  • एक्सराइज करना- अल्जाइमर रोग का इलाज करने का प्रमुख तरीका एक्सराइज़ करना है। ये एक्सराइज दिमाग की मांपेशियों को शांत करके अल्जाइमर रोग को ठीक करने में सहायता करती हैं।
  • दवाई लेना- अक्सर, डॉक्टर अल्जाइमर रोग से पीड़ित व्यक्ति को कुछ दवाई देते हैं। ये दवाईयाँ अल्जाइमर को बढ़ने से रोकने और इससे पीड़ित लोगों को ठीक करने का काम करती हैं।
  • थेरेपी लेना- कई बार,अल्जाइमर रोग का इलाज थेरेपी के द्वारा भी किया जाता है। ये थेरेपी अल्जाइमर की बीमारी को ठीक करने में सहायता करती हैं।
  • मनौवेज्ञानिक के संपर्क में रहना- अक्सर, अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोगों को मनौवेज्ञानिक की सहायता लेने की भी जरूरत पड़ सकती है। इस प्रकार, अल्जाइमर रोग का इलाज मनौवेज्ञानिक के संपर्क करके भी संभव है।
  • डीप ब्रेन स्टिमुलेशन कराना- जब अल्जाइमर रोग का इलाज किसी भी तरीके से नहीं हो पाता है, तब डॉक्टर डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (deep brain stimulation) का सहारा लेते हैं। इसमें दिमाग में उपकरण को लगाया जाता है ताकि दिमाग तक इलेक्ट्रिक सिग्नल पहुंचा सके।

क्या हो सकते हैं अल्जाइमर रोग के जोखिम?

अल्जाइमर रोग कब, क्यों और कैसे होता है? जानें पूरी जानकारी

लोगों में अल्जाइमर रोग की जागरूकता की कमी के कारण वे इसका इलाज नहीं करा पाते हैं। इसके कारण, यह बीमारी कुछ समय के बाद गंभीर रूप ले लेती है और इससे पीड़ित लोगों को काफी सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अत: यदि अल्जाइमर लंबे समय तक लाइलाज रहे तो इससे पीड़ित लोगों को इन 5 जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है-

  • संक्रमण का होना- अल्जाइमर रोग का प्रमुख जोखिम दिमाग में संक्रमण में होना है। इस संक्रमण के दिमाग के पूरे हिस्से में फैल जाने से दिमाग की नसों के फटने की संभावना बढ़ सकती है।
  • तनाव से पीड़ित होना- हालांकि,अल्जाइमर रोग का एक लक्षण तनाव होना भी है, लेकिन इसका इलाज लंबे समय तक न किया जाए तो तनाव की समस्या काफी हद तक बढ़ सकती है।
  • नींद न आना- अक्सर, अल्जाइमर रोग से पीड़ित लोग नींद न आने की शिकायत करते हैं। हालांकि, वे नींद के लिए नींद की गोलियों का सहारा लेते हैं, लेकिन उनके लिए ऐसा करना खतरनाक साबित हो सकता है।
  • सिरदर्द होना- चूंकि, अल्जाइमर एक मानसिक रोग है, इसलिए इसका असर दिमाग पर काफी गहरा पड़ सकता है। इसी कारण, इस बीमारी से पीड़ित लोगों को सिरदर्द की शिकायत रह सकती है।
  • मानसिक संतुलन बिगड़ना- अल्जाइमर के लंबे समय तक लाइलाज रहने पर व्यक्ति का मानसिक संतुलन बिगड़ सकता है। ऐसी स्थिति में उसे पागल खाने में दाखिल होकर इलाज कराने की जरूरत पड़ सकती है।

ये भी पढ़ें: गैस और एसिडिटी में क्या अंतर होता है? जानें इनसे छुटकारा पाने के उपाए

कैसे करें अल्जाइमर रोग की रोकथाम?

अल्जाइमर रोग कब, क्यों और कैसे होता है? जानें पूरी जानकारी

हालांकि, अल्जाइमर रोग किसी भी व्यक्ति को आसानी से अपना शिकार बना सकता है क्योंकि इसके लक्षणों की पहचान करना किसी भी व्यक्ति के लिए आसान नहीं है। इसके बावजूद, राहत की बात यह है कि किसी भी अन्य बीमारी की तरह अल्जाइमर रोग की भी रोकथाम संभव है। इस प्रकार, यदि कोई व्यक्ति निम्नलिखित सावधानियाँ बरते तो वह अल्जाइमर रोग की आसानी से रोकथाम कर सकता है-

नशीले पदार्थों का सेवन न करना- अल्जाइमर रोग की रोकथाम करने का प्रमुख तरीका नशीले पदार्थों का सेवन न करना है। चूंकि, नशीले पदार्थों का शारीरिक और मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है, इसलिए लोगों को इनसे दूरी बनाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि वे सेहतमंद रहे।
नियमित रूप से एक्सराइज़ करना- अक्सर, आप ने यह सुना होगा कि हमारे लिए एक्सराइज़ करना काफी जरूरी है क्योंकि यह उन्हें सेहतमंद रहने में सहायता करती हैं। यह बात अल्जाइमर रोग पर भी लागू होता है इसलिए लोगों को नियमित रूप से एक्सराइज़ करनी चाहिए ताकि उन्हें अल्जाइमर रोग जैसी गंभीर बीमारी होने की संभावना कम करे।
पोष्टिक भोजन करना- हमारे खान-पान पर हमारी सेहत पर गहरा असर पड़ता है। इसी कारण, हम सभी को पोष्टिक भोजन ही करना चाहिए क्योंकि ये हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
लोगों से मिलना-जुलना- अल्जाइमर रोग की रोकथाम करने का अनोखा तरीका लोगों के साथ अधिक-से-अधिक समय बिताना है। अत: हमें लोगों से मिलना-जुलना चाहिए ताकि हम अपने मन की बात उनसे साझा करके अपनी मानसिक सेहत को संतुलित बनाए रखे।
मानसिक एक्सराइज़ करना- चूंकि, अल्जाइमर रोग मानसिक बीमारी है, इसलिए इसकी रोकथाम में मानसिक सेहत का ठीक होना काफी जरूरी है। इसी कारण, हम सभी को मानसिक एक्सराइज़ जैसे कोई किताब पढ़ना, शतरज़ खेल खेलना इत्यादि के द्वारा करनी चाहिए।

ये भी पढ़ें: क्या आपको मालूम है सोकर भी मोटापा कम किया जा सकता हैं?

अल्जाइमर रोग भारत समेत दुनिया भर में काफी तेज़ी से फैल रहा है। यदि केवल भारत की बात की जाए तो एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 1.6 मिलियन लोग अल्जाइमर रोग से पीड़ित हैं। यह रिपोर्ट अल्जाइमर की गंभीरता को अच्छी तरह से बयां करती है, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात यह है कि लोगों में भी अब भी इस बीमारी को लेकर काफी अज्ञानता है। हालांकि, विश्व स्वास्थ संगठन परिषद द्वारा इस अज्ञानता को दूर करने के लिए काफी प्रयास किए गए हैं, इसी के तहत हर साल 17 सिंतबर को विश्व अल्जाइमर रोग दिवस (World Alzheimer disease day) के रूप में मनाया जाता है।

नोट: यह एक सामान्य जानकारी है। यह लेख किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करना बेहतर है।



(प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, संपादकीय, कविता-कहानी पढ़ने के लिए ‘न्यूज बताओ’ से जुड़ें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave a Reply

Your email address will not be published.