मलाला ने अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी को लेकर क्या कहा?

मलाला ने अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी को लेकर क्या कहा?

अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद मलाला यूसुफजई के क्या रद्द-ए-अमल है, लोग ये जानना चाहते हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला ने तालिबान की वापसी को लेकर कहा है कि अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी बहुत मुश्किल से हासिल की गई जो आजादी के लिए ख़तरा है, खासकर महिलाओं और लड़कियों को मिली आज़ादी के लिए।

जैसा कि मालूम है कि नौ साल पहले, पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को तालिबान के लोगों ने गोली मार दी थी क्योंकि उन्होंने स्कूली शिक्षा छोड़ने के तालिबान के आदेश को मानने से इनकार कर दिया था। हालांकि, मलाला इलाज के बाद बच गईं थी और अब वो ब्रिटेन में रहती हैं।

बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में मलाला ने अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा, “मैं अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति को लेकर बहुत परेशान हूं, ख़ासतौर पर वहां महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा को लेकर।” उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान रह रहे ज्यादातर लोगों को याद आ रहा होगा कि 1996 से 2001 में वहां कैसे हालात बन गए थे।

मलाला ने अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी को लेकर क्या कहा?

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मलाला ने इंटरव्यू के दौरान कहा कि लोग अपनी सुरक्षा, अपने अधिकारों को लेकर बहुत चिंतित हैं। लड़कियां अपने स्कूल जाने को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा, “हम पहले ही कई न्यूज रिपोर्ट्स में दिखा रहे हैं कि कई लड़कियों को विश्वविद्यालय से वापस भेज दिया गया। उनमें से बहुतों को 15, 12 साल की उम्र में शादी करने के लिए कहा गया है।”

इसके बाद उन्होंने कहा, ”बीते सालों में महिलाओं की सक्रियता और भागीदारी ने तालिबान पर बहुत दबाव डाला है। वे खुले तौर पर तो महिलाओं को उनके काम से नहीं रोक सकते, लेकिन फिर भी वे इसे बहुत अस्पष्ट तरीके से कह रहे हैं। ऐसे में कोई गारंटी नहीं है।”

मलाला ने माना कि अफगानिस्तान में अभी सबकुछ बहुत शुरुआती चरण में है। पर स्थानीय स्तर पर जो कुछ भी रिपोर्ट्स में आ रहा है वह निश्चित तौर पर परेशान करने वाला है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि अफगानिस्तान से जो तस्वीरें आ रही हैं जैसे एयरपोर्ट पर लोगों की भीड़, हवाई जहाज के साथ भागते लोग, बैंकों के बाहर सैकड़ों की कतार में खड़े लोग दिख रहे हैं।

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मलाला का कहा कि अफगानिस्तान में अभी जो कुछ हो रहा है व एक मानवीय संकट है। जब उनसे पूछा गया कि अफगानिस्तान से विदेशी सैनिकों की वापसी और मौजूदा हालातों के लिए जिम्मेदार कौन है? तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, ”इसके लिए बहुत सारे लोग जिम्मेदार हैं। बहुत सारे देश जिम्मेदार हैं।”

मलाला कहती हैं, ”अफगानिस्तान में मानवीय सहायता पर ध्यान देने में लोगों ने बहुत कम रुचि दिखाई। वहां लोकतंत्र को मजबूत करने पर बहुत कम ध्यान दिया गया और इन सबके साथ ही वहां चरमपंथी विचारधाराओं के उन्मूलन पर बहुत कम ध्यान दिया गया।”

फिर उन्होंने आगे जोड़ा, “मुझे लगता है कि हर देश, हर समूह इसमें अपना हित ढूंढ रहा है, लेकिन यह वो समय है जहां उन्हें अपने हितों को एक किनारे रख देना चाहिए और मानवता के लिए साथ आना चाहिए।”

मलाला जोर देते हुए इसके बाद कहा, ”अफगानिस्तान में शांति सिर्फ अफगानिस्तान के लोगों के लिए जरूरी नहीं है, यह अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों और दुनियाभर में शांति बनाए रखने के लिए अहम है।”

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जब मलामा के पूछा गया कि क्या अफगानिस्तान के मौजूदा हालात को लेकर उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन से संपर्क करने की कोशिश उसके तरफ से की गई? इसके जवाब में उन्होंने कहा,”मैं अमेरिकी राष्ट्रपति से संपर्क करने की कोशिश कर रही हूं। हालांकि, प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से अभी तक संपर्क नहीं किया है।”

मलाला ने लोगों से कहा कि यह याद रखना जरूरी है कि उन्हें महत्वपूर्ण रणनीतिक नेतृत्व की भूमिका अभी निभानी है। मलाला ने दुनिया के देशों से अपील किया कि वे अफगान शरणार्थियों के लिए अपनी सीमाएं खुली रखें।

उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की भूमिका के संदर्भ में अपनी बात रखी। मलाला ने कहा, ”संयुक्त राष्ट्र को एक ऐसे संकल्प के साथ आगे आना चाहिए जो नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे। उसे अल्पसंख्यकों, महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”

मलाला ने अफगानिस्तानी महिलाओं को संदेश देते हुए कि वह हर सूरत में उनके साथ खड़ी हैं। उन्होंने कहा, “सभी अफगान लड़कियों और महिलाओं के लिए मेरा संदेश है कि मैं आपके साथ खड़ी हूं। मैं आपके अधिकारों के लिए, आपके भविष्य के अधिकारों के लिए, आपकी शिक्षा के अधिकार के लिए और आपके सपनों को साकार करने के अधिकार के लिए खड़ी रहूंगी।”


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