मेघालय में एक पूर्व चरमपंथी नेता की पुलिस एनकाउंटर में मारे जाने के बाद हिंसा शुरू हो गई है। स्थानीय लोगों के विरोध और शहर में हुई हिंसा को देखते हुए राजधानी शिलांग और उसके आसपास के इलाकों में रविवार से कर्फ्यू जारी है।
कर्फ्यू के दौरान कुछ लोगों ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक के काफिले पर हमला किया। यह हमला तब हमला किया जब उन्हें असम हवाई अड्डे पर छोड़ गाड़ियां लौट रही थीं। राजभवन के एक अधिकारी ने बताया, “अज्ञात उपद्रवियों ने असम से लौट रहे कारों के काफिले पर शहर के मवलाई इलाके में पत्थरों से हमला कर दिया। हमले में कुछ वाहन क्षतिग्रस्त हो गए, लेकिन कोई हताहत नहीं हुआ।”
After a militant's encounter, there's curfew in shillong, internet banned in 4 districts, Home minister resigned, CM house attacked by petrol bombs and still no news in media channels about Meghalaya!!
— Greeshma Shukla🏹🚜 (@GreeshmaShukla) August 17, 2021
Apparently everyone seems busy talking about Taliban! pic.twitter.com/LeUykYEqVq
दरअसल, 13 अगस्त को प्रतिबंधित चरमपंथी संगठन हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (एचएनएलसी) के पूर्व महासचिव चेरिस्टरफील्ड थांगखिव की पुलिस मुठभेड़ में मौत हो गई थी। इसके बाद 15 अगस्त को शिलांग के मवलाई और जयआ इलाके हिंसा भड़क गई, जिसके बाद राज्य में कर्फ्यू लगा दिया गया।
जिला प्रशासन ने शिलांग में भड़की हिंसा के बाद ईस्ट खासी हिल्स समेत चार जिलों में इंटरनेट सेवाओं को पूरी तरह बंद कर दिया है। अब भी इन इलाक़ों में हालात काफी तनावपूर्ण हैं। इसके देखते हुए केंद्रीय पुलिस बलों की पांच अतिरिक्त कंपनियों को तैनात करने का फैसला किया है।
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साल 2018 थांगखिव ने चरमपंथी संगठन एचएनएलसी से अलग होकर आधिकारिक तौर पर सरकार के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। 58 साल के चेरिस्टरफील्ड खासी जनजाति समुदाय से ताल्लुक रखते थें। शनिवार को जैसे ही उनकी मौत की खबर सामने आई, बड़ी तादाद में जनजातीय समुदाय के लोग शिलांग में विरोध करने निकल पड़े और देखते-ही-देखते इलाके में हिंसा पैल गया।
शिलांग में शनिवार को ‘हाइनीवट्रेप यूथ काउंसिल’ नामक संगठन ने बैनर लगाकर मारे गए थांगखिव को न्याय दिलाने की मांग की। इस दौरान विरोध- प्रदर्शन हुए और कुछ इलाकों में पत्थरबाजी शुरू हो गई। हालांकि, उस दिन कोई बड़ी वारदात नहीं हुई।
लेकिन 15 अगस्त को बड़े पैमाने पर हिंसा फैल गया। स्थिति इतनी खराब हो गई कि प्रदर्शनकारियों के पथराव, तोड़फोड़ और पुलिस वाहनों की आगजनी के कारण शिलांग युद्ध स्थल में तब्दील हो गया।
राज्य में एक तरफ जहां स्वाधीनता दिवस मनाया जा रहा था वहीं दूसरी तरफ सैकड़ों लोगों का हुजूम थांगखिव के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सड़कों पर निकल आए।
स्थानीय संगठनों ने उनकी हत्या के विरोध में ‘ब्लैक फ्लैग डे’ का आह्वान किया। इसके बाद बाजार में कई जगह काले झंडे फहराए गए और पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। इतना ही नहीं कुछ लोगों ने पुलिस के हथियार भी लूट लिए गए।
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हालांकि, पुलिस एनकाउंटर को लेकर एक लिखित बयान जारी कर प्रशासन ने कहा, “पिछले दिनों राज्य में हुए आईईडी विस्फोट को लेकर पूर्वी खासी हिल्स जिले और पूर्वी जयंतिया हिल्स जिले में दर्ज मामलों के संबंध में जिन लोगों को गिरफ्तार किया था उनसे की गई पूछताछ और एकत्र किए गए साक्ष्यों से यह स्पष्ट संकेत मिले थे कि दोनों आपराधिक मामलों में चेरिस्टरफील्ड शामिल थे।”
बयान में आगे कहा गया है, “इन साक्ष्यों के आधार पर मेघालय पुलिस ने 13 अगस्त की तड़के चेरिस्टरफील्ड और उनके सहयोगी को गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया। पुलिस की टीम ने जब उनके घर के अंदर घुसने की कोशिश की तो चेरिस्टरफील्ड ने चाकू से हमला कर दिया। पुलिस दल ने निजी रक्षा के अधिकार का प्रयोग करते हुए एक ही राउंड फायरिंग की जो पूर्व कैडर को लगी। पुलिस उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता के लिए सिविल अस्पताल ले गई, लेकिन इस बीच उन्होंने दम तोड़ दिया।”
मेघालय के सहायक पुलिस महानिरीक्षक जी। के। लंगराय की ओर से जारी बयान में ये भी कहा गया है कि पुलिस ने पूर्व चरमपंथी नेता के घर से आपत्तिजनक साक्ष्य जब्त करने के साथ ही एक पिस्तौल और एक चाकू बरामद किया है। वहीं, दूसरी तरफ चेरिस्टरफील्ड थांगखिव के परिवारवालों का आरोप है कि उनकी मौत ‘पुलिस द्वारा की गई निर्मम कार्रवाई’ के दौरान हुई।
चेरिस्टरफील्ड के भाई ग्रैनरी स्टारफील्ड थांगखिव ने मीडिया को बताया कि यह सब एक झटके में हुआ। उन्होंने कहा, “इस कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि वे मेरे भाई को मारने के ही मिशन के तहत यहां आए थे।”
बीबीसी ने स्थानीय पत्रकार दीपक वर्मा के हवाले से लिखा है, “यह मामला जयंतिया हिल्स में मौजूद स्टार सीमेंट के पास हुए बम धमाके से शुरू हुआ था। उसके बाद लाइटूमखराह बाजार में धमाका हुआ। पुलिस लगातार कह रही है कि चेरिस्टरफील्ड एक बार फिर से एचएनएलसी चरमपंथी संगठन को मजबूत करने में लगे थे और उसी के तहत इन बम धमाकों की साजिश में उनका हाथ बताया जा रहा है। लेकिन इन सब दावों के बीच कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं।”
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दीपक ने आगे कहा, “दरअसल, मेघालय में पिछले कई वर्षों में चरमपंथी घटनाओं में गिरावट देखने को मिली है। अब यहां चरमपंथी संगठन पहले की तरह मजबूत नहीं है। बात जहां तक एचएनएलसी की है तो इससे पहले एचएनएलसी के अध्यक्ष जूलियस डोरफांग संगठन के पहले शीर्ष नेता थे जिन्होंने 2008 में सरेंडर कर दिया था। अब इस संगठन में महज कुछ ही कैडर बचे हैं, जो सीमा के उस पार से यहां आ नहीं सकते क्योंकि सीमा पर बीएसएफ की कड़ी निगरानी है। इस तरह के बम धमाकों का एक ही मकसद होता है, लोगों में दहशत फैलाना ताकि उसके बाद पैसा वसूली की जा सके।”
फिलहाल, प्रशासन ने कर्फ्यू जारी रहने तक शिलांग की यात्रा न करने की सलाह दी है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने मेघालय के कुछ हिस्सों में जारी कर्फ्यू और अशांति के बीच फंसे असम के लोगों की सुरक्षा के लिए मेघालय में अपने समकक्ष कॉनराड संगमा से आवश्यक उपाय करने का अनुरोध किया है।
मेघालय के गृह मंत्री लखमेन रिंबुइ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वे यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) के नेता हैं जो मौजूदा सरकार में पार्टनर है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर स्थानीय जनजाति की नाराजगी इसी तरह रही तो यूडीपी गठबंधन से बाहर निकल सकती है। मौजूदा समय में मेघालय विधानसभा में 58 विधायक हैं।
सत्तारूढ़ मेघालय डेमोक्रेटिक गठबंधन में कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी के 21 विधायक हैं। वहीं, यूडीपी के 7 विधायक, पीडीएफ के 4, बीजेपी के 2, एचएसपीडीपी के 2, आईएनडी के 2 और एनसीपी का एक विधायक हैं। जबकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पास 17 विधायक हैं। 60 सीटों वाली मेघालय विधानसभा की दो सीटों पर उपचुनाव होने हैं।
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