बड़ी संख्या में फर्जी कोरोना टेस्ट सर्टिफिकेट लगाकर लोगों ने की कुंभ यात्रा

बड़ी संख्या में फर्जी कोरोना टेस्ट सर्टिफिकेट लगाकर लोगों ने की कुंभ यात्रा

हरिद्वार में हुए कुंभ के दौरान बड़े पैमाने पर लोगों की ओर से फर्जी कोविड टेस्ट के सर्टिफिकेट लगाए गए। इस बात का खुलासा उत्तराखंड पुलिस ने किया है। कुछ प्राइवेट लैब के नाम इस मामले में सामने आए हैं। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है।

जब कोरोना की दूसरी लहर आई तो कोविड फैलने की यह बड़ी वजह मानी गई थी। यह भी सामने आया था कि किस तरह से कुंभ में प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया । अब इस खुलासे से साफ है कि लोगों ने कुंभ में शामिल होने के लिए बड़े पैमाने पर धाधली की और फर्जी तरीके से कोविड सर्टिफिकेट बनवाकर तीर्थ यात्रा किया।

शनिवार को हरिद्वार के जिलाधिकारी सी. रविशंकर ने कहा कि मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है जो आरोपों की जांच करेगी और 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट देगी।

बड़ी संख्या में फर्जी कोरोना टेस्ट सर्टिफिकेट लगाकर लोगों ने की कुंभ यात्रा

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उन्होंने कहा कि कुंभ के दौरान आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन के परीक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई सभी प्रयोगशालाओं को जारी जांच के कारण भुगतान फिलहाल रोक दिया गया है।

हरिद्वार प्रशासन द्वारा प्रारंभिक जांच के बाद विस्तृत जांच का आदेश दिए गए थे कि जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई निजी प्रयोगशालाओं ने उनके पहचान पत्र और फोन नंबरों के आधार पर कई लोगों के नाम पर फर्जी कोविड परीक्षण रिपोर्ट जारी की थी।

मुख्य नियंत्रण अधिकारी अभिषेक त्रिपाठी द्वारा कथित अनियमितताओं की प्रारंभिक की गई थी। उन्होंने ही मामले की विस्तृत जांच की सिफारिश की थी। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की माने तो आशंका है कि निजी प्रयोगशालाओं की ओर इस तरह के एक लाख से अधिक टेस्ट रिपोर्ट जारी किए गए हैं।

खबरों के मुताबिक, प्रयोगशालाओं ने कुंभ के दौरान उत्तराखंड उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित 50,000 परीक्षणों के दैनिक परीक्षण कोटा को पूरा करने के लिए ऐसा किया था। जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से कुंभ उत्सव के दौरान परीक्षण करने के लिए 22 निजी प्रयोगशालाओं को काम पर रखा गया था।

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हरिद्वार के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एस.के. झा ने बताया, “कुंभ क्षेत्र ऋषिकेश तक फैला हुआ है। जब तक जिला प्रशासन द्वारा जांच का आदेश नहीं दिया जाता है, तब तक यह कहना मुश्किल है कि कथित अनियमितताएं किस स्तर पर की गईं।”

गौरतलब है कि कुंभ मेला 2021 का शुभारंभ 1 अप्रैल हो हुआ था। और कोविड-19 की दूसरी लहर आने के चलते इसका समापन्न वक्त पहले यानी 30 अप्रैल को कर दिया गया था। कोरोना के चलते कुंभ मेले का समय चार महीने से घटाकर एक महीना कर दिया गया था।

हालांकि, भारी संख्या में शाही स्नान के बाद लोग संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद से बदइंतेजामी को लेकर सरकार की जमकर आलोचना हुई थी। इतना ही नहीं आगे चलकर दर्जनों साधु-संतों का कोरोना के मौत होने का मामला सामने आया था। उन सभी की मौत कुंभ के लौटने के कुछ दिनों बाद हुए थे।


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