अमेरिकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) ने 9/11 की बरसी पर आतंकवादी हमलों से जुड़े 16 पृष्ठों का नया दस्तावेज जारी किया है। इन दस्तावेजों में बताया गया है कि अपहरणकर्ता अमेरिका में सऊदी अरब के अपने साथियों के साथ संपर्क में थे। लेकिन इसका कोई सबूत नहीं है कि इस साजिश में सऊदी अरब सरकार शामिल थी।
इन दस्तावेजों को राष्ट्रपति जो बाइडन शनिवार को जारी किया गया। हाल के हफ्तों में पीड़ितों के परिवारों ने बाइडन सरकार पर दस्तावेज जारी करने का दबाव डाला है। पीड़ित परिवार लंबे समय से उन रिकॉर्ड्स को जारी करने की मांग कर रहा था जो न्यूयॉर्क में चल रहे उनके मुकदमे में मददगार साबित हो सकते हैं।
परिवारवालों का आरोप है कि सऊदी अरब के वरिष्ठ अधिकारियों की हमलों में मिली-भगत थी। हालांकि, सऊदी अरब सरकार किसी भी संलिप्तता से इनकार करती रही है। सऊदी दूतावास ने बुधवार को वाशिंगटन में कहा कि वह सभी दस्तावेज जारी करने का समर्थन करता है ताकि ‘हमेशा के लिए उसकी सरकार के खिलाफ निराधार आरोप खत्म हो जाए।’
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जारी दस्तावेज में 2015 में किए गए एक ऐसे व्यक्ति के इंटरव्यू की जानकारी दी गई है जिसने अमेरिकी नागरिकता के लिए आवेदन दिया था और कई साल पहले सऊदी अरब के उन नागरिकों से बार-बार संपर्क किया था। जांचकर्ताओं का कहना है कि इन्हीं नागरिकों ने अपहरणकर्ताओं को ‘अहम साजोसामान संबंधी सहयोग’ दिया था।
उधर, सऊदी अरब के विदेश मंत्री प्रिंस फैसल बिन-फरहान ने दस्तावेज जारी किए जाने के संबंध में प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब कहता रहा है कि 11 सितंबर के हमले से संबंधित सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए।
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फैसल बिन-फरहान ने ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्री के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “हम एक दशक से भी अधिक समय से उस दर्दनाक दिन से संबंधित सभी दस्तावेजों को सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं। हम पूरे भरोसे से कहते हैं कि उन दस्तावेज़ों का कोई भी डाटा दिखाएगा कि उस घटना में किसी भी तरह से सऊदी अरब की कोई भागीदारी नहीं थी।”
सऊदी विदेश मंत्री ने कहा कि सऊदी अरब 9/11 से संबंधित अतिरिक्त दस्तावेजों को भी सार्वजनिक करने का समर्थन करता है। उन्होंने कहा, “हम एक दशक से आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई के मुख्य साझेदार हैं और हम यह जारी रखेंगे। इन दस्तावेजों का जारी होना किसी भी तरह से असर नहीं डालेगा।” फरहान ने आगे कहा कि उग्रवाद और आतंकवाद अभी भी वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
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