मदर्स डे पर बॉलीवुड की इन फिल्मों को जरूर देखनी चाहिए

मदर्स डे पर बॉलीवुड की इन फिल्मों को जरूर देखनी चाहिए

आज मदर्स डे है। आप सभी को मदर्स डे की ढेर सारी बधाई। मम्मी, मौसी हैप्पी मदर्स डे। मम्मी तुमने मुझे जन्म दिया। जीने का सलीका सिखाया। और इस दुनिया में आगे बढ़ने की सलाहियत भी दी। तुम्हारे बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। तुम हमेशा से मेरी स्ट्रेंथ रही हो। थैंक यू फॉर एवरीथिंग। मैंने तो अपनी माँ को विश कर ली। आप भी कीजिए। आज के दिन सभी माँओं को इंतज़ार होता है कि उसके बच्चे उनके साथ टाइमस्पेंड करें। वो ही तो एक पल होता है जब वो बच्चों को अपने उतने ही करीब पाती जितनी की जन्म देने के वक़्त। हम सब अपने बिजी लाइफ में व्यस्त हो जाते हैं कि पीछे एक फ़ोन के इंतज़ार में अपने माँ-पापा को समय देना भूल जाते हैं। मैं भी अपने बिजी शेड्यूल के कारण उनसे बात नहीं कर पाती। ये गलती हम फिर भी दोहराते हैं, फिर यही करेंगे दुबारा ये भी एक तरह से तय ही है।

हम सब भूल जाते हैं कि हम सब भी कभी माता-पिता बनेंगे। हमारे साथ भी वही चक्र घूमेगा। फिर भी माँ-बाप बिना स्वार्थ के अपने बच्चों को प्यार करते रहेंगे। बिना किसी उम्मीद के अपने बच्चों के लिए अपना जीवन समर्पित करते रहेंगे। आज के दिन माँ को स्पेशल फील कराए। चलते-चलते याद करते हैं फिल्मों की उन माँओं को जिन्होंने माँ के अर्थ को समय के साथ रूप को दिखाता रहा।

मदर इंडिया

मदर्स डे पर बॉलीवुड की इन फिल्मों को जरूर देखनी चाहिए

भारतीय फिल्म इतिहास की आइकॉन फिल्म ‘मदर इंडिया’ को भला कौन भूल सकता है। फिल्म का एक एक दृश्य झकझोर कर रख देता। फिल्म की अभिनेत्री नरगिस एक ऐसी माँ है जो स्त्री अस्मिता को बचाने के लिए अपने बेटे के खिलाफ खड़े होने से भी पीछे नहीं हटती। बेटे के गलत होने पर उसे जान से मारने में भी झिझक करती।

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दीवार

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इस फिल्म को सलीम-जावेद की जोड़ी ने लिखा था। अमिताभ बच्चन-शशि कपूर का अभिनय भी लाजवाब है। लेकिन फिल्मों में माँ के किरदारों की जब भी बात होती है, तो दीवार फिल्म की माँ (निरुपमा रॉय) का जिक्र जरूर आता है। दीवार की माँ भी बहुत संघर्ष कर के अपने बच्चों को बड़ा करती है। इस फिल्म का फेमस डायलॉग आज भी सबकी जुबान पर है- मेरे पास बंगला है, गाड़ी है, बैंक बैलेंस है… तुम्हारे पास क्या है?… मेरे पास, ‘माँ’ है।

पा

मदर्स डे पर बॉलीवुड की इन फिल्मों को जरूर देखनी चाहिए

यह बेहद खूबसूरत और खास फिल्म है। इस फिल्म में बेटे का रोल अमिताभ बच्चन ने की है। और माँ का रोल अदा की विद्या बालन। विद्या बालन एक ऐसी माँ है, जो अपने प्रेमी द्वारा जिम्मेदारी से पीछे हटने के बाद अकेले ही बच्चे को जन्म देती है और उसकी परवरिश करती है। बच्चा ऑरो एक अनुवाशिंक बीमारी से ग्रस्त होता है। वो बच्चा अमिताभ बच्चन होते हैं। इस फिल्म में पिता का रोल अभिषेक बच्चन होते हैं। फिल्म में माँ बेटे का एक अनोखा रिश्ता नजर आता है।

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इंग्लिश विंग्लिश

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श्रीदेवी की यादगार फिल्म है। इसी फिल्म से सालों बाद बॉलीवुड में दुबारा काम की शुरुआत की थी। ये फिल्म में उन माँओं की कहानी है, जो बेहद कुशल होने के बाद भी अंग्रेजी न बोल पाने के कारण कई बार बच्चों और पति की उपेक्षा का समाना करती हैं। लेकिन जहां चाह वहाँ राह। वो इंग्लिश बोलना, लिखना-सीखती। और सबको चकित कर देती है। इस फिल्म से उन बच्चों को जरूर सीख मिली थी जो अपने माता-पिता को अपने दोस्तों और अपने सो कोल्ड हाई-फ़ाय ऑफिस फ्रेंड्स से मिलवाने में हिचकते थे।

निल बटे सन्नाटा

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यह कहानी चन्दा की है। जो ये सोचती है की पढ़ाई करने से जिंदगी बदल सकती है। चंदा दूसरों के घरों में घेरलू सहायिका का काम करती है, लेकिन अपनी बेटी को पढ़ा-लिखा कर कलेक्टर बनाने का सपना देखती है। पढ़ने की ललक से भरी चंदा अपनी बेटी को बेहतर शिक्षा और सम्मानजनक जिंदगी देना चाहती है।बेटी को पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करने की खातिर वह खुद भी स्कूल में दाखिला ले लेती है।

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सीक्रेट सुपरस्टार

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यह कहानी है माँ-बेटी नजमा और इंसिया की। नजमा अपनी बेटी के सपने पूरे करने के लिए उसे लैपटॉप खरीदकर देती है। जो उसके साथ हुआ वो अपनी बेटी के साथ होने नहीं देना चाहती। बेटी सिंगर बनना चाहती है। लेकिन पिता को इसके बारे में कुछ पता नहीं होता। फिल्म में एक समय आता है जब पति और बेटी के सपनों में से किसी एक को चुनने की बारी आती है, तो नजमा अपनी बेटी के सपनों को चुनती है। एक माँ की हिम्मत और बेटी का माँ के लिए प्यार ये जाहिर करता है कि माँ-बेटी का रिश्ता सबसे खास होता है।

इसी तरह से मॉम, लिसन अमाया, मात्र जैसी फिल्में भी हैं। जो माँ शब्द को पूरा करती है।


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