फेसबुक के खिलाफ फौरन कार्रवाई करने की जरूरत वरना हो जाएगा बेलगाम: मार्गरेट वेस्टागेर

फेसबुक के खिलाफ फौरन कार्रवाई करने की जरूरत वरना हो जाएगा बेलगाम: मार्गरेट वेस्टागेर

फेसबुक को लेकर हो रहे एक के बाद एक खुलासों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। कई देशों के नेताओं ने इस पर चिंता जाहिर की है और कंपनी को रोके जाने को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। डॉयचे वेले के मुताबिक, यूरोपीय कॉम्पीटिशन कमीशनर मार्गरेटे वेस्टागेर ने एक इंटरव्यू में कहा कि फेसबुक के खिलाफ फौरन कार्रवाई करने की जरूरत है।

वेस्टागेर ने मंगलवार को दिए इस इंटरव्यू में कहा कि फेसबुक को तोड़ने में तो सालों लग सकते हैं इसलिए फौरन कार्रवाई करनी चाहिए ताकि यह सोशल मीडिया कंपनी और नुकसान न कर सके।

वेस्टागेर से जब पूछा गया कि क्या फेसबुक इतनी बड़ी और ताकतवर हो चुकी है कि बाहर से उसे बदलने की कोशिशें व्यर्थ हैं? तो यूरोपीय कॉम्पीटिशन कमीशनर ने कहा, “हमारे लोकतंत्र के लिए नहीं।” उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक ताकतें अगर साथ मिलकर काम करें तो यह सुनिश्चित कर सकती हैं कि फेसबुक को कैसे काम करना चाहिए।

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वेस्टागेर ने आगे कहा, “जब बात ऐसी कंपनियों की हो रही हो, जो लोकतंत्र पर गहरा असर डाल सकती हैं, लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं, तो सख्त नियम बनाए जाने की जरूरत है।”

उन्होंने आगे कहा, “फेसबुक जिस तरह के खतरे युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य के लिए खड़े कर रही है, उनका आंकलन करने के लिए उसे तैयार करना और इस बात के लिए तैयार करना कि बाहरी लोग जांच करें और देखें कि चीजें ठीक की जा सकती हैं या नहीं, यह भी एक अहम कदम होगा।”

जैसा कि मालूम है कि पिछले कुछ दिनों से फेसबुक पर इल्जाम लग रहे हैं कि उसने अपने फायदे के लिए नफरती संदेशों को बढ़ावा दिया और ऐसी सामग्री को फैलाने में मदद की, जिससे सामाजिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंचता है। ऐसा के कई चुनावों में भी हुआ जब फेकबुक को मालूम था कि उससे नफरत फैलाई जा रही है लेकिन उसे रोकने के लिए कंपनी ने कुछ नहीं किया।

फेसबुक के खिलाफ फौरन कार्रवाई करने की जरूरत, वरना हो जाएगा बेलगाम

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फेकबुक का विवादित एल्गोरिदम

न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस (एपी) एजेंसी एपी ने हाल ही में लीक हुए दस्तावेजों के हवाले से बताया था कि फेसबुक के एल्गोरिदम ने ही हेट स्पीच को बढ़ावा दिया और खतरों को जानते हुए भी कार्रवाई नहीं की। फेसबुक की पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हॉगन ने भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं।

हॉगन ने हाल में बताया कि फेसबुक जानती थी कि उसकी नीतियों से बच्चों की मानसिक स्थिति प्रभावित हो सकती है। ऐसे में वेस्टागेर का कहना है कि यूरोपीय आयोग ने ऐसे कानून का मसौदा तैयार किया है जो अभिव्यक्ति की आजादी के साथ-साथ इस बात का संतुलन बनाने की कोशिश करता है कि वे चीजें दफा की जाएं जो ऑफलाइन अवैध हैं, जैसे कि हिंसा भड़काने की कोशिश।

यूरोपीय कॉम्पीटिशन कमीशनर ने कहा, “अगर हम किसी ऐसे के बारे में बात कर रहे हैं जो मानसिक स्वास्थ्य और हमारे लोकतांत्रिक विकास दोनों को प्रभावित कर रहा है तो हमें बहुत सख्ती बरतने की जरूरत है।” उन्होंने माना कि फेसबुक के खिलाफ किसी तरह की कानूनी लड़ाई का कोई अंत नहीं होगा क्योंकि ये सोशल मीडिया कंपनी सालों तक अदालतों में लड़ सकती है।

डेनमार्क की राजनीतिज्ञ वेस्टागेर ने उम्मीद जताई है कि अगर यूरोपीय संघ अभी कार्रवाई करे तो चीजें बदल सकती हैं तब छोटे उद्योगों को बाजार तक पूरी पहुंच मिलेगी और फेसबुक जैसी विशालकाय कंपनियों को अपने किए नुकसान की जिम्मेदारी लेनी होगी।

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भारत में फेसबुक विवाद

फेसबुक के खिलाफ फौरन कार्रवाई करने की जरूरत, वरना हो जाएगा बेलगाम

फेसबुक के कुछ लीक हुए दस्तावेजों से पता चला है कि भारत में यह सोशल वेबसाइट नफरती संदेश, झूठी सूचनाएं और भड़काऊ सामग्री को रोकने में भेदभाव बरतती रही है। खासकर मुसलमानों के खिलाफ प्रकाशित सामग्री को लेकर कंपनी ने भेद-भावपूर्ण रवैया अपनाया है।

न्यूज एजेंसी एपी को हाथ लगे कुछ दस्तावेजों से पता चला है कि भारत में आपत्तिजनक सामग्री को रोकने में फेसबुक नाकाम रही है। इस बात के सामने आने के बाद विपक्षी कांग्रेस ने कंपनी पर भारत के चुनावों को ‘प्रभावित’ करने और लोकतंत्र को ‘कमजोर’ करने का आरोप लगाते हुए इसकी संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की है।

भारतीय राजनीतिक दल कांग्रेस ने हाल ही में आरोप लगाया कि भारत में सोशल मीडिया साइट फेसबुक ने खुद को ‘फेकबुक’ में तब्दील कर लिया है। कांग्रेस ने अपने आरोपों में ये भी कहा कि भाजपा से सहानुभूति रखने वालों ने फेसबुक में ‘घुसपैठ’ की है और यह सोशल मीडिया दिग्गज बीजेपी की ‘सहयोगी’ की तरह काम कर रही है।

कंपनी के शोधकर्ताओं का कहना है कि फेकबुक पर ‘भड़काऊ’ और ‘भ्रामक मुस्लिम विरोधी सामग्री’ से भरे समूह और पेज हैं। भारत में सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक और भड़काऊ सामग्री एक बड़ी चिंता का विषय रहा है। फेसबुक या वॉट्सऐप पर साझा की गई सामग्री के कारण हिंसा तक हो चुकी है।


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