सरकार बनाने के लिए तालिबान का करजई और अब्दुल्ला के साथ बैठक

सरकार बनाने के लिए तालिबान का करजई और अब्दुल्ला के साथ बैठक

अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने बुधवार को तालिबान नेताओं से मुलाकात की। इस मुलाकात को नई सरकार बनने की प्रक्रिया का शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है। आज दोनों नेताओं की मुलाकात तालिबान नेता अनस हक्कानी के साथ हुई।

अनस हक्कानी नेटवर्क के सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी के भाई हैं। वे आतंकवाद के आरोप में जेल की सजा काट चुके हैं। हक्कानी नेटवर्क को अमेरिका एक आतंकवादी संगठन मानता है।

तालिबान नेताओं से मुलाकात के बाद करजई के एक प्रवक्ता ने कहा कि ये शुरूआती मुलाकातें हैं और इनके बाद तालिबान के उच्च नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से बातचीत होगी।

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तालिबान पहले ही सरकार बनाने के अपने इरादे की घोषणा कर चुका है। तालिबान ने कल एक प्रेस कांफ्रेंस किया था जिसमें कहा था कि वह सरकार एक समावेशी इस्लामिक सरकार बनाएगा।

15 अगस्त के दिन जब तालिबान ने राजधानी काबुल चढ़ाई की थी और देश के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़ कर भाग गए थे, तब करजई ने एत ट्वीट किया था। उन्होंने कहा था कि वो देश के अंदर ही हैं और अब्दुल्ला अब्दुल्ला और वो पूर्व मुजाहिद्दीन नेता गुलबुद्दीन हेकमतियार के साथ मिल कर सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के लिए काम कर रहे हैं।

1980 के दशक में हेकमतियार सोवियत-अफगान युद्ध में सक्रीय नेता थे। माना जाता है कि सोवियत सेना को अफगानिस्तान से निकालने के उद्देश्य से सीआईए ने जिन मुजाहिद्दीन लड़ाकों को पैसे दिए उनमें सबसे ज्यादा पैसे और मदद पाने वाल संगठन हेकमतियार का ही था।

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उन्होंने साल 2001 में अमेरिकी समर्थन में बने करजई की सरकार के खिलाफ भी एक सशस्त्र अभियान चलाया। पर वे नाकाम रहे थे। अब देखना ये है कि करजई, अब्दुल्ला और हेकमतियार तालिबान की सरकार में शामिल होते हैं या नहीं।

हालांकि, सरकार को लेकर अभी और मोर्चों पर भी संघर्ष होने की संभावना है। अशरफ गनी सरकार में उप-राष्ट्रपति रहे अमरुल्ला सलेह ने भी दावा किया है कि वो भी अभी अफगानिस्तान के अंदर ही हैं और देश के संविधान के अनुसार, इस समय देश के कार्यकारी राष्ट्रपति हैं।

सालेह ने आज ट्वीट कर कहा, “अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफा या मृत्यु में उप-राष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है। मैं वर्तमान में अपने देश के अंदर हूं और वैध देखभाल करने वाला राष्ट्रपति हूं। मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं।”

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लेकिन, ये किसी के पता नहीं है कि सलेह का ठिकाना अभी कहा हैं। खुद राष्ट्रपति रहे गनी अभी कहां हैं इसके बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। इस बीच दुनियाभर में अफगानिस्तान में बनने वाली नई सरकार को लेकर उधेड़बुन चल रही है; कि तालिबान अगर अपनी सरकार की घोषणा करेंगे तो उस सरकार को मान्यता देनी चाहिए या नहीं।

यूरोपीय संघ की विदेश नीति और सुरक्षा नीति के प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा है कि तालिबान से बात करनी जरूरी है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि तालिबान को मान्यता दे दी जाए।

उन्होंने कहा कि बातचीत नाटो सैनिकों के साथ काम कर चुके अफगान लोगों और विदेशी नागरिकों को अफगानिस्तान से सुरक्षित रूप से निकाल लेने के लिए जरूरी है।

बोरेल ने ये भी कहा, “अफगानिस्तान में जो हुआ है वो पूरी पश्चिमी दुनिया की हार है और हमें यह स्वीकार करने की हिम्मत रखनी चाहिए।” वहीं, चीन ने कहा है कि पहले वह अफगानिस्तान में एक ‘खुली, समावेशी और व्यापक रूप से प्रतिनिधित्व’ वाली सरकार के बनने का इंतजार कर रहा है और उसके बाद उसे मान्यता देने पर विचार करेगा।


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