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प्यासा: ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया…ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
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प्यासा: ये महलों, ये तख्तों, ये ताजों की दुनिया…ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है

कवि (शाइर) होने की पहली शर्त संवेदनशीलता है। जो व्यक्ति संवेदनशील न हो, जिसे अपने आस-पास की दुनिया की विडम्बनाएं झकझोरती न हों, जो दूसरों के दुःख को देखकर बेचैन न हो जाता हो, वह और चाहे जो कुछ भी हो कवि नहीं हो सकता। कलाकार की यही संवेदनशीलता कुछ हद तक उसे ‘असमान्य’ बना...