मनुष्य जैव-सामाजिक प्राणी है। उसके जैविकी और सामाजिकता के द्वंद्व से संस्कृति का रूपाकार बनता है, और इसी से नैतिक मूल्य निर्धारित होते हैं। स्त्री-पुरूष का परस्पर आकर्षण सहज है, जैविक है। कालांतर में सामाजिक विकास के क्रम में ‘यौन संघर्ष’ की अराजकता से बचने विवाह जैसी संस्था का विकास हुआ, और इसे सुदृढ़ बनाए...
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August 20, 2021August 20, 2021एंटरटेनमेंट
बॉलीवुड कभी ‘ब्राह्मणवादी सौंदर्यशास्त्र’ से बाहर नहीं निकल पाया
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक अमोल पालेकर 12 सालों के लंबे अंतराल के बाद फिल्म ‘200-हल्ला हो’ के जरिए फिल्मों में वापसी की है। अमोल पालेकर का मानना है कि हिंदी सिनेमा में जाति को एक मुद्दे के रूप में शायद ही कभी उठाया जाता है, क्योंकि यह पारंपरिक रूप से मनोरंजक मुद्दा नहीं...