भारत में स्त्रियों की स्थिति पितृसत्ता के अधीन विरोधाभासी और द्वंद्वात्मक रही है। समय के साथ इसमें परिवर्तन होता रहा और पूर्व कालों की दृष्टि से आज उसकी स्थिति अधिक लोकतांत्रिक कही जा सकती है। उनकी यह स्थिति समाज सापेक्ष और वर्ग सापेक्ष भी रही है। कृषक और श्रमिक वर्ग में स्त्रियां अपेक्षाकृत अधिक अधिकार...
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July 29, 2021July 30, 2021एंटरटेनमेंट
श्याम बेनेगल की ‘निशांत’ सामंती अत्याचार से पीड़ितों का मुक्ति संघर्ष
सामंतवाद इतिहास का एक भयावह दौर रहा है। इसकी नींव ही किसानों, कारीगरों के शोषण पर टिकी थी। एकाक ‘अच्छे’ शासकों के अलावा इसमें स्वेच्छाचारिता का सर्वत्र बोलबाला रहा है। इसमें सामंत की इच्छा ही ‘न्याय’ हुआ करता था और वह जो भी करता था ‘सही’ करता था। ज़ाहिर है ऐसे में लोग उसके ‘करम’...