त्रिलोचन हिंदी की प्रगतिशील काव्य-धारा के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कवियों में हैं। उनकी कविताओं में लोक-जीवन की अभिव्यक्ति हुई है। वे सामान्य जन के कवि हैं। उन्होंने स्वयं लिखा है- उस जनपद का कवि हूँ जो भूखा है दूखा है कला नहीं जानता…। आलोचकों ने त्रिलोचन को लोकजीवन से जुड़ा मानने के साथ ही शास्त्रीय परम्परा...