भूखों की रोटी भूखों की रोटी हड़प ली गई हैभूल चुका है आदमी मांस की शिनाख्तव्यर्थ ही भुला दिया गया है जनता का पसीना।जय पत्रों के कुंज हो चुके हैं साफ।गोला बारूद के कारखानों की चिमनियों सेउठता है धुआं। लड़ाई का कारोबार एक घाटी पाट दी गई हैऔर बना दी गई है एक खाई। युद्ध...