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सआदत हसन मंटो की कहानी: टू टू
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सआदत हसन मंटो की कहानी: टू टू

मैं सोच रहा था, दुनिया की सबसे पहली औरत जब माँ बनी तो कायनात का रद्द-ए-अ’मल क्या था? दुनिया के सबसे पहले मर्द ने क्या आसमानों की तरफ़ तमतमाती आँखों से देख कर दुनिया की सब से पहली ज़बान में बड़े फ़ख़्र के साथ ये नहीं कहा था, “मैं भी ख़ालिक़ हूँ।” टेलीफ़ोन की घंटी...

होली पर पढ़िए प्रेमचंद की कहानी: अंधेर
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होली पर पढ़िए प्रेमचंद की कहानी: अंधेर

नागपंचमी आई, साठे के ज़िंदा-दिल नौजवानों ने ख़ुश रंग़ जांघिये बनवाए, अखाड़े में ढोल की मर्दाना सदाएँ बुलंद हुईं क़ुर्ब-ओ-जवार के ज़ोर-आज़मा इखट्टे हुए और अखाड़े पर तंबोलियों ने अपनी दुकानें सजाईं क्योंकी आज ज़ोर-आज़माई और दोस्ताना मुक़ाबले का दिन है औरतों ने गोबर से अपने आँगन लीपे और गाती-बजाती कटोरों में दूध-चावल लिए नाग...

आज है महादेवी वर्मा का जन्मदिन, पढ़िए उनकी कहानी: बिबिया
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आज है महादेवी वर्मा का जन्मदिन, पढ़िए उनकी कहानी: बिबिया

अपने जीवनवृत्त के विषय में बिबिया की माई ने कभी कुछ बताया नहीं, किन्तु उसके मुख पर अंकित विवशता की भंगिमा, हाथों पर चोटों के निशान, पैर का अस्वाभाविक लंगड़ापन देखकर अनुमान होता था कि उसका जीवन-पथ सुगम नहीं रहा। मद्यप और झगड़ालू पति के अत्याचार भी सम्भवतः उसके लिए इतने आवश्यक हो गए थे...

बानो कुदसिया की कहानी: न्यू वर्ल्ड ऑर्डर
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बानो कुदसिया की कहानी: न्यू वर्ल्ड ऑर्डर

ड्राइंग रुम का दरवाज़ा खुला था। ताहिरा गैलरी में खड़ी थी। यहां उनका डोर प्लांट, दीवारों के साथ सजे थे। फ़र्श पर ईरानी क़ालीन के टुकड़े थे। दीवार पर आराइशी आईना नस्ब था। लम्हा भर को उस आईने में ताहिरा ने झांक कर देखा। अपने बाल दुरुस्त किए और खुले दरवाज़े से ड्राइंग रुम में...

पाकिस्तान के मशहूर अदीब अशफ़ाक़ अहमद की कहानी: अम्मी
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पाकिस्तान के मशहूर अदीब अशफ़ाक़ अहमद की कहानी: अम्मी

वो बड़े साहिब के लिए ईद कार्ड ख़रीद रहा था कि इत्तिफ़ाक़न उसकी मुलाक़ात अम्मी से हो गई। एक लम्हे के लिए उसने अम्मी से आँख बचा कर खिसक जाना चाहा लेकिन उसके पांव जैसे ज़मीन ने पकड़ लिये और वो अपनी पतलून की जेब में इकन्नी को मसलता रह गया। अचानक अम्मी ने उसे...

गजेन्द्र रावत की कहानी: धोखेबाज़
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गजेन्द्र रावत की कहानी: धोखेबाज़

सीन ही बदल गया। सारी मस्ती धरी रह गई। काली के तिपहिए से निकली लोहे की छड़, कायदे से जिस पर आईना लगा होना था, अचानक प्रकट हुए दुपहिये पर पीछे बैठे हवलदार के कान से छूकर चली गई। कान बुरी तरह लहूलुहान हो गया। दुपहिये पर पुलिस के सिपाही को देख काली के शरीर...

हिंदी और उर्दू में फ़र्क़ है इतना, वो ख़्वाब देखते हैं हम देखते हैं सपना
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हिंदी और उर्दू में फ़र्क़ है इतना, वो ख़्वाब देखते हैं हम देखते हैं सपना

(संवाद-स्थलः लोदी बागान के एक भुरभुरे मक़बरे की सीढ़ियां, मौसम बहार का। एक सुहानी शाम )। उर्दू: संवाद शुरू करने से पहले क्यों न इसकी कुछ सीमाएं या शर्ते तय कर लें। हिंदी: ज़रूर, वर्ना बात बिखर जायेगी या एक भद्दी, भारी और बासी बहस में बदल जायेगी। उर्दू: तो पहली शर्त तो यही कि...

अदनान बिस्मिल्लाह की कहानी: और रज़िया भाग गई
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अदनान बिस्मिल्लाह की कहानी: और रज़िया भाग गई

अदनान बिस्मिल्लाह: 12 मई 1977 को बनारस में जन्म। एम.फिल, पी.एच.डी. जामिया मिल्लिया इस्लामिया और पी.जी.डी. मास मीडिया जामिया मिल्लिया इस्लामिया से। 6 वर्षों तक दूरदर्शन में कार्य। विगत 15 वर्षों से रंगकर्मी के रूप में सक्रीय। ‘खानम’ धारावाहिक दूरदर्शन, उर्दू में नायक एवं सह-निर्देशक। पटकथा लेखन, विभिन्न कहानियों का नाट्य रूपान्तरण तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं...

प्रेमचंद की कहानी: हज-ए-अक्बर
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प्रेमचंद की कहानी: हज-ए-अक्बर

(1) मुंशी साबिर हुसैन की आमदनी कम थी और ख़र्च ज़्यादा। अपने बच्चे के लिए दाया रखना गवारा नहीं कर सकते थे। लेकिन एक तो बच्चे की सेहत की फ़िक्र और दूसरे अपने बराबर वालों से हेटे बन कर रहने की ज़िल्लत इस ख़र्च को बर्दाश्त करने पर मजबूर करती थी। बच्चा दाया को बहुत...