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गुलरेज़ शहजाद की कविताएं: ताश के पत्तों की तरह फेंटते रहे मुझे लम्हे
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गुलरेज़ शहजाद की कविताएं: ताश के पत्तों की तरह फेंटते रहे मुझे लम्हे

[गुलरेज़ शहजाद उर्दू, हिंदी और भोजपुरी काव्य साहित्य का एक परिचित नाम है। इनकी नज़्मों, कविताओं और ग़ज़लों में कसक, दर्द, पीड़ा, ताप-संताप के साथ रुमानियत भी है और समय के बनते-बिगड़ते स्वरूप का वास्तविक चेहरा भी है। अभी तक उर्दू, हिंदी और भोजपुरी में आपकी छह कृतियाँ पुस्तक रूप में प्रकाशित हो चुकी हैं।...

नीलोत्पल रमेश की कविताएं: हम नहीं चाहते जंग, हम शांति के पुजारी हैं
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नीलोत्पल रमेश की कविताएं: हम नहीं चाहते जंग, हम शांति के पुजारी हैं

[नीलोत्पल रमेश बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति हैं। प्रकृति से खास लगाव रखते हैं। यही कारण है कि इनकी कहानी हो या कविता उसमें प्रकृति का साफ चित्रण दिखता है। इनकी कविता, कहानी, समीक्षा कई पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित होती रही है। नीलोत्पल रमेश की कविताएं यहां प्रकाशित कर रहे हैं।] हम नहीं चाहते जंग हम...

नीरजा हेमेन्द्र की कविताएं: अम्मा सहेजती है भरी दुपहरी से
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नीरजा हेमेन्द्र की कविताएं: अम्मा सहेजती है भरी दुपहरी से

[नीरजा हेमेन्द्र मुख्य रूप से शिक्षिका हैं। लेखन के अलावा अभिनय, रंगमंच, पेन्टिंग एवं सामाजिक गतिविधियों में रुचि रखती हैं। इनकी ‘अमलतास के फूल ’, ‘जी हाँ, मैं लेखिका हूँ’ जैसी आधा दर्जन से अधिक कहानी संग्रह और साथ ही ‘अपने-अपने इन्द्रधनुष’ और ‘उन्हीं रास्तों पर गुज़ते हुए’ उपन्यास शामिल हैं। इनकी कई कविता संग्रह...

सरोज कुमारी की तीन कविताएं
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सरोज कुमारी की तीन कविताएं

सरोज कुमारी: एम.ए, एम.फिल, पी-एचडी (दिल्ली विश्वविद्यालय) विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित। ‘निराला का गद्य साहित्य’, ‘राम की शक्तिपूजा का रचना-विधान’, ‘छायावादी कविता और राम की शक्तिपूजा’ और ‘स्त्री लेखन का दूसरा परिदृश्य’ पुस्तकें प्रकाशित। दिल्ली विश्वविद्यालय के विवेकानंद महाविद्यालय में सहायक प्राध्यापक। दहलीज दहलीज के भीतरएक अदृश्य लक्ष्मण रेखा से बंधे मेरे पांवसदियों से...