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नरेन सहाय की कविता: बारिश और नानी का गाँव
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नरेन सहाय की कविता: बारिश और नानी का गाँव

नरेन सहाय का बचपन टीकमगढ़, मध्यप्रदेश के खेतों, बगीचों और जंगलों में गुजरा। जामिया मिलिया इस्लामिया से मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर की उपाधि अर्जित करने वाले सहाय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की योजनाओं में फोटोग्राफी, वीडियो आर्ट, सिनेमा और प्रोडक्शन्स से जुड़े रहे हैं। विजुअल मीडियम के बतौर अतिथि शिक्षक जामिया में कार्यरत रहे हैं।...

बिनोद कुमार राज ‘विद्रोही’ की कविता: तेरी भोंसड़ी के
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बिनोद कुमार राज ‘विद्रोही’ की कविता: तेरी भोंसड़ी के

जी साहेब, जोहारसच कहता हूंमेरे दादा ने बताया था कियहाँ बहुत घनघोर जंगल हुआ करता थाआज से दुगुनाचारों ओर पहाड़ियों से घिरातब हमारे पूर्वजों नेजंगल के बीचों-बीचझाड़-झंझाड़-पुटुस को साफ किया थारहने लायक झोपड़ी बनाया थाजमीन को भी उपजाऊ बनाया था… हाँ साहेब,आज भी पूर्वजों के पसीने की गंध फैली हुई हैहर घर मेंआंगन मेंखेतों मेंखलिहानों...

हरियाणा में आशा कार्यकर्ता को कोरोना वैक्सीन लगने के 9 दिन बाद मौत
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हरियाणा में आशा कार्यकर्ता को कोरोना वैक्सीन लगने के 9 दिन बाद मौत

कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगने के नौ दिन बाद हरियाणा के पानीपत में शुक्रवार को एक आशा कार्यकर्ता की मौत हो गई। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 3 फरवरी को 35 वर्षीय आशा कार्यकर्ता कविता को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज दी गई थी। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि दूसरी स्वास्थ्य संबंधी...

मीरा मेघमाला की तीन कविताएँ: तड़प, तकिया और कैसे मर जाएं झट से!
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मीरा मेघमाला की तीन कविताएँ: तड़प, तकिया और कैसे मर जाएं झट से!

मीरा मेघमाला मैसूर यूनिवर्सिटी से इतिहास में एम.ए.। इनकी कन्नड़, कोंकणी और हिन्दी में कविता, कहानी और लेख कई पत्र-पत्रिकाओं और वेब पोर्टल में प्रकाशित। इन्होंने कन्नड़ साहित्य क्षेत्र में ‘कादम्बिनी रावी’ नाम से 2014 से लिखना शुरू किया। इनके ‘हलगे मत्तु मेदुबेरळु’, ‘काव्य कुसुम’, ‘कल्लेदेय मेले कूत हक्कि’ कविता संकलन प्रकाशित। फिलहाल, कर्नाटक में...

कुमार मुकुल की कविताएं: क्या है सुंदरता और ऐ-अरी-ओ एंजलीना
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कुमार मुकुल की कविताएं: क्या है सुंदरता और ऐ-अरी-ओ एंजलीना

क्या है सुंदरता क्या सुकरात सुंदर थेया गांधीमदाम क्यूरी क्या सुंदर थींआलोक दा से पूछा मैंने-आखिर क्या है सुंदरता पता नहीं, किस ट्रांस में जाकरबोले वो- ”रानियाँ मिट गईंजंग लगे टिन जितनी कीमत भी नहींरह गई उनकी याद कीरानियाँ मिट गईलेकिन क्षितिज तक फसल काट रही औरतेंफसल काट रही हैं।” ऐ-अरी-ओ एंजलीना- (1) ऐ-अरी-ओ एंजलीनामातृत्व...

गुलजार ने कहा- अब अभिव्यक्ति आजाद नहीं, कला पर हावी हो गया है भय
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गुलजार ने कहा- अब अभिव्यक्ति आजाद नहीं, कला पर हावी हो गया है भय

नई दिल्ली: जाने-माने गीतकार गुलजार ने कहा है कि देश में अब पहले की तरह हालात नहीं रहें। उन्होंने एक प्रोग्राम के दौरान कहा कि अब कल पर डर का माहौल हावी हो गया। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि अब हर चीज की इडिट-प्रूफ बनानी पड़ती है। गुलजार का कहना है कि...

नोबल पुरस्कार से सम्मानित पोलिश कवयित्री विस्लावा शिम्बोर्स्का की कविता: हमारे दौर के बच्चे
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नोबल पुरस्कार से सम्मानित पोलिश कवयित्री विस्लावा शिम्बोर्स्का की कविता: हमारे दौर के बच्चे

हम इस दौर के बच्चे हैंइस सियासी दौर के दिन भर और फिर पूरी रातमेरी, तेरी, उसकी बात-सब-महज एक राजनीतिक मसला है। तुम्हें पसंद आए या न आएलेकिन तुम्हारे खून का एक राजनीतिक इतिहास हैतुम्हारी त्वचा, एक सियासी साँचे से गढ़ी हुई हैऔर तुम्हारी आंखें एक सियासी निगाह हैं तुम जो भी कहते होगूँजता रहता...

कुमार मुकुल की कविता: मृत्यु सूक्त
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कुमार मुकुल की कविता: मृत्यु सूक्त

[पेशे से पत्रकार और मूलत: कवि कुमार मुकुल के अब तक तीन कविता-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। प्रभात प्रकाशन से ‘डाक्टर लोहिया और उनका जीवन-दर्शन’ (2012) नामक किताब प्रकाशित। ‘अंधेरे में कविता के रंग’ (2012) शीर्षक से एक आलोचना की पुस्‍तक और ‘सोनूबीती-एक ब्‍लड कैंसर सर्वाइवर की कहानी’ (2015) का प्रकाशन। विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में राजनीतिक-सामाजिक...

फहीम अहमद की दो कविताएं: मैं कहता था कि अनगिनत सदियाँ बंध आई थी हमारे बीच
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फहीम अहमद की दो कविताएं: मैं कहता था कि अनगिनत सदियाँ बंध आई थी हमारे बीच

साहित्य से गहरा अनुराग रखने वाले बेहद प्रतिभाशाली फहीम अहमद ने अभी-अभी कविता लिखना प्रारंभ किया है। इनकी शुरुआती कविता में ही सुघड़ता है। इनकी कविताओं में भावना और विचार का गज़ब का संतुलन है। हमें आशा है, समूची दुनिया में गहन निराशा और डर से भरे माहौल के बीच फहीम की लेखनी एक उम्मीद...

नीलोत्पल रमेश की दो कविताएं: गोरी तेरे ठाँव और प्रकृति के आँचल में
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नीलोत्पल रमेश की दो कविताएं: गोरी तेरे ठाँव और प्रकृति के आँचल में

[नीलोत्पल रमेश बहुमुखी प्रतिभा के व्यक्ति हैं। प्रकृति से खास लगाव रखते हैं। यही कारण है कि इनकी कहानी हो या कविता उसमें प्रकृति का साफ चित्रण दिखता है। इनकी कविता, कहानी, समीक्षा कई पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित होती रही है। नीलोत्पल रमेश की दो कविताएं यहां प्रकाशित कर रहे हैं।] गोरी तेरे ठाँव कोयल...