सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाई योगी सरकार को फटकार, कहा-FIR से आरोपी को बचाने की कोशिश

सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाई योगी सरकार को फटकार, कहा-FIR से आरोपी को बचाने की कोशिश

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर लखीमपुर हिंसा केस को लेकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मामले में दो FIR से एक विशेष आरोपी को बचाने की कोशिश हो रही है। एक मामले के सबूत दूसरे मामले में इस्तेमाल होंगे।

वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार का पक्ष रखा जिसमें उन्होंने कहा कि हमने स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। इस पर सीजेआई ने कहा कि आपकी स्टेट्स रिपोर्ट ऐसी नहीं है, जैसा हमने कहा था और इसमें कुछ नया नहीं है।

कोर्ट ने कहा है कि हमने 10 दिन का समय दिया था। इसके बाद भी स्टेटस रिपोर्ट में कुछ भी नही हैं। सिवाय इतना कहने के कि गवाहों से पूछताछ की गई है। कोर्ट ने आगे कहा कि हिंसा के मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि मोबाइल फोन को लेकर क्या हुआ?

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इस पर उत्तर प्रदेश सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अन्य आरोपियों ने बताया कि वह फोन नहीं रखते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि आपने स्टेटस रिपोर्ट में यह कहां लिखा है? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के वकील से पूछा ट्रैक करने के लिए क्या किया गया? आशीष मिश्रा और गवाहों के फोन के अलावा आपने किसी का फोन ट्रैक नहीं किया? क्या दूसरे आरोपियों ने मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया?

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इस सरकारी वकील साल्वे ने कहा कि अन्य आरोपियों के पास मोबाइल फोन नहीं था। इस पर कोर्ट ने पूछा कि आप कहना चाहते हैं कि किसी अन्य आरोपी के पास मोबाइल नहीं था? कोर्ट ने पूछा कि बाकी आरोपियों की सीडीआर डिटेल कहां है। इस हरीश साल्वे ने कहा कि सीडीआर हमारे पास है।

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कोर्ट ने प्रदेश सरकार से लखीमपुर हिंसा की लैब रिपोर्ट नहीं पेश करने पर भी नाराजगी जताई। इस पर सवाल किया, जिस पर सरकारी वकील ने कहा कि लैब की रिपोर्ट 15 नंवबर को आएगी। इसके बाद कोर्ट ने अगली सुनवाई शुक्रवार को करने का आदेश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में स्पष्ट जांच हो, यह सुनिश्चित करने के लिए हाई कोर्ट के पूर्व जजों की नियुक्ति की जाए। कोर्ट ने कहा कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के पूर्व जज रंजीत सिंह और राकेश कुमार जैन को इसके लिए नियुक्त किया जा सकता है।


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