बॉलीवुड एक्टर को सोनू सूद को लोग कोरोना महामारी के बाद मसीहा के तौर देखते हैं। लेकिन जब पिछले दिनों घर और दफ्तरों पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने छापेमारी किया तो लोग हैरान रह गए। इनकम का ये रेड तब किया गया जब सूद कुछ दिनों पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री से मिलने आए। इसके बाद अटकले लगाई जाने लगी कि क्या सोनू सूद आम आदमी पार्टी जॉइन करने वाले हैं।
हालांकि, एक्टर की ओर से साफ किया गया कि वे एक सामाजिक योजना संबंधिक कार्य को लेकर अरविंद केजरीवाल से मिलने गए थे। लेकिन सोनू सूद को करीबियों का कहना है कि सोनू को केंद्र की ओर पद्मश्री ऑफर किया गया था, लेकिन सोनू ने उस पर कोई रिस्पॉन्स नही दिया था।
अब आयकर विभाग ने दावा किया है कि सोनू सूद ने विदेशी डोनर्स से 2.1 करोड़ का नॉन-प्रॉफिट जुटाया, जोकि इस तरह के लेनदेन को नियंत्रित करने वाले कानून का उल्लंघन है। अब तक की जांच में 20 ऐसी एंट्री का पता चला, जिन्हें देने वालों ने फर्जीवाड़े की बात स्वीकार की। उन्होंने नकद के बदले चेक जारी करने की बात भी मानी। CBDT के मुताबिक, मुंबई, लखनऊ, कानपुर, जयपुर, दिल्ली और गुरुग्राम समेत कुल 28 परिसरों पर छापेमारी की गई।
दूसरी तरफ करीबी लोगों ने उन अफवाहों को भी खारिज किया, जिसमें कहा जा रहा है कि सोनू के एनजीओ (NGO) में अनआइडेंटिफाइड रकम सर्कुलेट हो रही हैं। माना जा रहा है कि सोनू सूद आज शनिवार को अपना आधिकारिक बयान जारी कर सकते हैं।
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दैनिक भास्कर ने सोनू सूद के करीबी के हवाले से लिखा है कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को तीन दिनों की कड़ी मेहनत-मशक्कत के बावजूद एक्टर घर से कुछ भी नहीं मिला। जब सोनू के करीबी से पूछा गया कि क्या एक्टर के एनजीओ या फाउंडेशन में अनआइडेंटिफाइड रकम भी है?
तो उन्होंने कहा, “ये बिल्कुल गलत आरोप है। हमारे यहां कोई एक रुपए भी डोनेट करना चाहेगा तो उनसे पैन कार्ड नंबर मांगा जाता है। नंबर नहीं देने पर हमारा पोर्टल रिजेक्ट कर देता है। ऐसे में आइडेंटिफाइड पैसा देश और दुनियाभर से लोग स्वेच्छा से डोनेट करते हैं। मसलन, हैदराबाद में एक 10 साल की बच्ची है। उसे अपने जन्मदिन पर जो 10 हजार के गिफ्ट मिले, वह उसने हमारी फाउंडेशन में डाले। एक बंदा बैंगलोर में है। वह अपनी सैलरी का दस परसेंट हमारी फाउंडेशन में डालता है। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं। अब वो सब अनआइडेंटिफाइड कैसे हो गए।”
इस सवाल पर की क्या एनजीओ का ऑफिस सिंगापुर में भी है?, उन्होंने कहा, “वहां कोई ऑफिस नहीं है। एनजीओ बना ही छह महीने पहले है। ऐसे में हम वहां एक और दफ्तर कहां से खोल लेंगे। मैनेजर जरूर दुबई में रहता है। हमारा ऑफिस तो मुंबई में ही है बस। एनजीओ के जरिए कितने लोगों को मदद हुई है, वह गिनने बैठेंगे तो 25 दिन लग जाएंगे।”
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जब उनसे पूछा गया कि सब कुछ साफ सुथरा है तो फिर रेड या सर्वे क्यों? सेवा करने या अब्रॉड से लोगों को एयरलिफ्ट करने के पैसे कहां से आते थे? इसके जवाब में उन्होंने कहा, “मेरे ख्याल से वो लोग बोर हो रहे थे। सोचा चलो जरा धमाकेदार तरीके से सोनू सूद से मिलते हैं। हर जगह फंडिंग नहीं है। बहुत जगह हमें विमान कंपनियों से सहायता भी मिली है। जहां बाकियों से टिकट के 45 हजार चार्ज होते थे, हमसे 30 हजार ही लिए जाते थे। जितने भी लोगों को अब्रॉड से एयरलिफ्ट किया गया, उनमें कहीं भी हमने नहीं कहा कि हमने रकम पे की। हमने कहा कि हमने अरेंज किया सब। इसके सारे लीगल दस्तावेज हमारे पास हैं। रही बात रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया करवाने की तो उसमें तो विभिन्न राज्यों के डीएम ने मदद की। हॉस्पिटलों से टाइअप हैं। फाउंडेशन ने मार्केट रेट पर दस लाख वाली सर्जरी डेढ़ लाख में करवाई।”
अफवाहों को लेकर करीबी से पूछा गया- “यह भी कहा जा रहा है कि सोनू सूद खुद भी पद्मश्री वगैरह और बीजेपी में सदस्यता चाह रहे थे?” इस सवाल के जवाब में सोनू सूद के करीबी ने कहा, “ना, ना। बिल्कुल नहीं। हमारा कोई पॉलिटिकल एजेंडा नहीं है। उन्होंने कभी भी खुद को उन सब चीजों के लिए नॉमिनेट नहीं किया। सच कहूं तो पद्मश्री का ऑफर आया था, पर सोनू ने कोई रिस्पॉन्स नहीं किया था। ऐसा कतई नहीं था कि सोनू बीजेपी से अवॉर्ड चाहते थे। कोरोना काल में सोनू की कोई भी सेवा किसी भी तरह की चाह के मद्देनजर नहीं थी, उन्हें बदले में कुछ भी नहीं चाहिए।”
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