सिद्धू का इस्तीफा नामंजूर, शीर्ष नेतृत्व ने अपने स्तर पर मामला सुलझाने को कहा

सिद्धू का इस्तीफा नामंजूर, शीर्ष नेतृत्व ने अपने स्तर पर मामला सुलझाने को कहा

कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि शीर्ष नेतृत्व ने राज्य नेतृत्व से पहले अपने स्तर पर मामले को सुलझाने को कहा है। दूसरी तरफ सिद्धू के समर्थन में चन्नी कैबिनेट की एक मंत्री रजिया सुल्ताना ने भी इस्तीफा दे दिया है।

रजिया सुल्ताना सिद्धू के सलाहकार और पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा की पत्नी हैं। मंगलवार सुबह ही सुल्ताना ने पदभार संभाला था। पंजाब कांग्रेस के नवनियुक्त कोषाध्यक्ष गुलजार इंद्र सिंह चहल और महासचिव योगेंद्र ढींगरा ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।

बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से सिद्धू से मुलाकात कर मनाने के लिए कहा गया है। उधर, खबर आ रही है कि सिद्धू के इस्तीफे के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। ऐसे में वो आज मंगलवार को लखनऊ स्थित पार्टी कार्यालय भी नहीं पहुंचीं।

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आज दोपहर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और संगठन से जुड़े लोगों से प्रियंका गांधी वाड्रा की मुलाकात होनी थी। पर वो पार्टी कार्यालय ही नहीं पहुंचीं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू समेत कई अन्य नेताओं को कार्यालय से वापस लौटना पड़ा।

बताया जा रहा है कि सिद्धू विधायक राणा गुरजीत सिंह को चरणजीत सिंह चन्नी की नई कैबिनेट में शामिल करने और एपीएस देओल को पंजाब के महाधिवक्ता के रूप में नियुक्त किए जाने के चलते नाराज चल रहे थे।

गुरजीत सिंह पर रेत खनन में भ्रष्टाचार के आरोप हैं। अमरिंदर सिंह कैबिनेट से भी उन्होंने आरोपों से चलते हटा दिया गया था। करीबी लोगों का कहना है कि नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि कोई भी रेत माफिया उनसे बैठक के लिए संपर्क न करे।

सिद्धू का इस्तीफा नामंजूर, शीर्ष नेतृत्व ने अपने स्तर पर मामला सुलझाने को कहा

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लेकिन, राणा गुरजीत सिंह को पार्टी ने आगे बढ़कर कैबिनेट मंत्री बना दिया, जिन्हें 2018 में रेत खनन माफिया से जुड़े आरोपों के कारण अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। सिद्धू ने 2017 से जो लड़ाई लड़ी है और जिसके लिए वह खड़े हुए हैं, यह उसका स्पष्ट उल्लंघन है।

सिद्धू एपीएस देओल को राज्य का नया महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) नियुक्त किए जाने से भी खफा थे। देओल इससे पहले बेअदबी के विभिन्न मामलों में राज्य के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के वकील रह चुके हैं और एक सतर्कता मामले में जेल से उन्हें रिहा कराया था।

सिद्धू खेमे का मानना है कि देओल को एडवोकेट जनरल बनाए जाने के साथ, 2015 में बेअदबी-पुलिस फायरिंग के मामलों में बादल और सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ कार्रवाई से गंभीर समझौता किया गया है। कांग्रेस ने जबकि दोनों नियुक्तियों का बचाव किया है।


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