फिल्मकार आयशा सुल्ताना के खिलाफ राजद्रोह केस, प्रफुल्ल पटेल पर की थी ये टिप्पणी

फिल्मकार आयशा सुल्ताना के खिलाफ राजद्रोह केस, प्रफुल्ल पटेल पर की थी ये टिप्पणी

पिछले कुछ दिनों से केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप विवादों में है। अब इसी सिलसिले में लक्षद्वीप पुलिस ने फिल्म निर्माता आयशा सुल्ताना के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है। उनके खिलाफ ये मुकदमा गुरुवार को किया गया। उन्होंने एक टेलीविजन डिबेट के दौरान ‘जैविक हथियार’ को लेकर टिप्पणी की थी जिसके बाद उन पर राजद्रोह के आरोप लगाए गए हैं।

दरअसल, भाजपा लक्षद्वीप इकाई के अध्यक्ष अब्दुल खादर ने कवरत्ती पुलिस में इसको लेकर शिकायत दर्ज करवाई है जिसके बाद आयशा सुल्ताना के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। आयशा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) और 153 बी (अभद्र भाषा) के तहत मामला दर्ज किया है।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, आयशा ने कहा था कि लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल एक जैविक-हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल केंद्र सरकार द्वारा लक्षद्वीप के लोगों पर किया जा रहा है। इसके बाद भाजपा नेता अब्दुल खादर ने आयशा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया।

अपनी शिकायत में खादर ने एक मलयालम चैनल ‘मीडियावन टीवी’ के बारे में भी जिक्र किया जिसमें आयशा डिबेट में शामिल हुई थी। आयशा पर इल्जाम है कि उन्होंने डिबेट के दौरान कथित तौर पर कहा था कि केंद्र सरकार प्रफुल्ल पटेल को लक्षद्वीप पर ‘जैविक-हथियार’ के रूप में इस्तेमाल कर रही है।

भाजपा अध्यक्ष ने अपनी शिकायत में कहा है कि मलयालम चैनल में सुल्ताना ने बहस के दौरान लक्षद्वीप में कोविड-19 प्रसार के बारे में झूठी खबर फैलाई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र ने लक्षद्वीप में कोरोना के प्रसार के लिए ‘जैविक हथियारों’ का इस्तेमाल किया है।

फिल्मकार आयशा सुल्ताना के खिलाफ राजद्रोह केस, प्रफुल्ल पटेल पर की थी ये टिप्पणी

लक्षद्वीप के सुधारों और प्रस्तावित कानूनों के विरोध में आयशा सुलताना अग्रिम मोर्चे पर रही हैं। प्रफुल्ल पटेल पर अपने बयान को न्यायोचित ठहराते हुए उन्होंने फेसुबक पोस्ट लिखा है। उन्होंने कहा, “मैंने टीवी चैनल डिबेट में जैविक-हथियार शब्द का इस्तेमाल किया था। मैंने महसूस किया कि पटेल और उनकी नीतियों ने ‘जैविक-हथियार’ के रूप में काम किया है।”

आयशा ने आगे लिखा, “पटेल और उनके दल की वजह से ही लक्षद्वीप में कोविड-19 फैला है। मैंने पटेल की जैविक-हथियार के रूप में तुलना की है, न कि सरकार या देश के रूप में। आपको समझना चाहिए। मैं उन्हें और क्या कहूंगी।”

वहीं, आयशा के प्रति लक्षद्वीप साहित्य प्रवर्तक संगम ने गुरुवार को समर्थन जताया है। संगम के प्रवक्ता बशीर ने बताया, “उन्हें एंटी-नेशनल की तरह दर्शाना सही नहीं है। उन्होंने प्रशासक के अमानवीय रुख पर प्रतिक्रिया दी है। पटेल के हस्तक्षेप की वजह से लक्षद्वीप में कोविड-19 का प्रसार हुआ। लक्षद्वीप का सांस्कृतिक समुदाय उनके (आयशा) साथ खड़ा है।”

दूसरी तरफ लक्षद्वीप प्रशासन का कहना है कि पटेल के प्रस्तावों का उद्देश्य मालदीव की तरह लक्षद्वीप को भी पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा देना है। साथ ही स्थानीय लोगों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करना भी है।

उल्लेखनीय है कि मुस्लिम बहुल आबादी वाले लक्षद्वीप में कुछ बदलाव के लिए कानून प्रस्तावित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी प्रफुल्ल पटेल की ओर से लाए गए प्रस्ताव को लेकर लगातार विवाद हो रहा है। वहां के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को वहां के लोग और हटाने की मांग कर रहे हैं।

फिल्मकार आयशा सुल्ताना के खिलाफ राजद्रोह केस, प्रफुल्ल पटेल पर की थी ये टिप्पणी

लक्षद्वीप का प्रभार मिलने के बाद पिछले साल दिसंबर में प्रफुल्ल पटेल लक्षद्वीप पशु संरक्षण विनियमन, लक्षद्वीप असामाजिक गतिविधियों की रोकथाम विनियमन, लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन और लक्षद्वीप पंचायत कर्मचारी नियमों में संशोधन के मसौदे ले आए हैं, जिसका तमाम विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों ने प्रफुल्ल पटेल पर मुस्लिम बहुल द्वीप से शराब के सेवन से रोक हटाने, पशु संरक्षण का हवाला देते हुए बीफ (गोवंश) उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने और तट रक्षक अधिनियम के उल्लंघन के आधार पर तटीय इलाकों में मछुआरों के झोपड़ों को तोड़ने का आरोप लगाया है।

इसके अलावा इन कानूनों में बेहद कम अपराध क्षेत्र वाले इस केंद्र शासित प्रदेश में एंटी-गुंडा एक्ट और दो से अधिक बच्चों वालों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोकने का भी प्रावधान शामिल है।

लक्षद्वीप के साथ बेहद मजबूत सामाजिक और सांस्कृतिक संबंध रखने वाले केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के साथ वामदलों और कांग्रेस के सांसदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर प्रफुल्ल पटेल द्वारा लाए गए प्रस्ताव के संबंध में बताया था।

लक्षद्वीप के लोगों के साथ केरल विधानसभा ने एकजुटता जताते हुए 24 मई को एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया था, जिसमें द्वीप से प्रफुल्ल पटेल को वापस बुलाए जाने की मांग की गई था और केंद्र से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया था। ताकि द्वीप के लोगों के जीवन और उनकी आजीविका की रक्षा हो सके।

इसके आलावा लक्षद्वीप के निवासियों ने इस हफ्ते की शुरुआत में जनविरोधी कदम उठाने को लेकर प्रफुल्ल पटेल को वापस बुलाने और मसौदा कानून को रद्द करने की मांग की थी। इसको लेकर उन्होंने पानी के भीतर विरोध-प्रदर्शन करने के साथ-साथ अपने घरों के बाहर 12 घंटे का अनशन भी किया।

प्रदर्शनकारियों ने ‘लक्षद्वीप फोरम बचाओ’ के बैनर तले अरब सागर के भीतर और अपने घरों के बाहर ‘एलडीएआर कानून वापस लो’ तथा ‘लक्षद्वीप के लिए न्याय’ लिखी हुईं तख्तियां प्रदर्शित की और सोशल मीडिया पर तस्वीरें साझा की।


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