100 किसानों के खिलाफ राजद्रोह का केस, 5 को हरियाणा पुलिस ने किया गिरफ्तार

100 किसानों के खिलाफ राजद्रोह का केस, 5 को हरियाणा पुलिस ने किया गिरफ्तार

देशभर के किसान तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते आठ महीनों से विरोध-प्रदर्शन कर रहे है। लेकिन इसी बीच तकरीबन 100 किसानों के खिलाफ हरियाणा पुलिस ने राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने इस सिलसिले में गुरुवार को छापेमारी की और पांच किसानों को गिरफ्तार कर लिया।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, किसान नेताओं ने बताया कि उन्हें 13 जुलाई को पता चला कि लगभग 100 किसानों पर 11 जुलाई को सिरसा में हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर सिंह गंगवा के खिलाफ विरोध करने के आरोप में राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है।

हालांकि, सिर्फ दो लोग हरियाणा किसान मोर्चा के नेता प्रह्लाद सिंह भारुखेड़ा और 70 साल के हरचरण सिंह पंजुआना का नाम एफआईआर में शामिल हैं, जो सिरसा में किसान आंदोलन का चेहरा हैं। पंजुआना सात महीने से दिल्ली जाने वाले प्रदर्शनकारियों के लिए सिरसा में लंगर चला रहे हैं।

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सभी किसानों के खिलाफ पुलिस ने आईपीसी की धारा 124ए (राजद्रोह), 307 (हत्या के प्रयास) और 120बी (आपराधिक साजिश रचने) के तहत मामला दर्ज किया है। इससे पहले कि किसानों को कुछ पता चलता, पुलिस ने गुरुवार तड़के लगभग 4 बजे के करीब सिरसा जिले में पांच किसानों के घरों पर छापेमारी की और गिरफ्तार कर लिया।

इस घटना के कुछ देर बाद यानी सुबह 9 बजे तक पांचों किसानों को कोर्ट के समक्ष पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इसके बाद में किसानों ने जाकर सिरसा एसपी ऑफिस के बाहर प्रदर्शन किया।

हरियाणा किसान मोर्चा के नेता भारुखेड़ा ने बताया, “गुरुवार तड़के पुलिसकर्मियों ने कुछ किसानों के घरों में दीवार फांदकर घुसे, जैसे कि वे आतंकवादी हों। राजद्रोह का केस दर्ज होने को लेकर उन्होंने कहा, “ऐसा हमारी आवाज दबाने के लिए किया गया है, लेकिन ऐसा नहीं होगा।”

दूसरी तरफ सिरसा के एसपी अर्पित जैन ने कहा, “उन्होंने तय प्रक्रिया का पालन किया है और 11 जुलाई की घटना के वीडियो फुटेज का विश्लेषण करने और इनकी पहचान के बाद इन पांचों को गिरफ्तार किया है।” पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनस्थल के पास मौजूद और लोगों की पहचान की गई है और उन्हें भी गिरफ्तार किया जा सकता है।

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सिरसा एसपी ने आगे कहा, “हमारे पास 11 जुलाई की घटना की क्लिपिंग हैं। हमारे वाहनों पर पथराव किया गया। पत्थर किसी के सिर पर लग भी सकता था और उसकी मौत भी हो सकती थी। एक पुलिसकर्मी को वाहन ने टक्कर मार दी।”

उल्लेखनीय है कि गिरफ्तार किए गए किसानों में फग्गू गांव के छह से सात एकड़ जमीन मालिक बाल्कर (26 वर्ष) और बलकोर (35 वर्ष) भी शामिल हैं। बाल्कर के चाचा राजा सिंह ने कहा, “तड़के 4:30 बजे 15 से 20 पुलिसकर्मी दीवार फांदकर हमारे घर में घुसे। इनमें से कई पुलिसकर्मी सिविल ड्रेस में थे।”

100 किसानों के खिलाफ राजद्रोह का केस, 5 को हरियाणा पुलिस ने किया गिरफ्तार

उन्होंने इस बात से इनकार किया कि 11 जुलाई की हिंसा में गिरफ्तार किसानों का कोई हाथ था। उन्होंने कहा कि हमारे नेताओं ने हमें बताया था कि शांतिपूर्णढंग से प्रदर्शन करना है। इससे पहले कृषि कानूनों के विरोध में बल्कोर ने दिल्ली सीमा पर आंदोलन में भी हिस्सा लिया था।

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उनके भाई संदीप सिंह ने बताया, “हाथ में लगी चोट की वजह से बलकोर की फोटो स्थानीय मीडिया में प्रकाशित हुई थी और उनकी गिरफ्तारी का यही कारण हो सकता है। वह पथराव की किसी भी घटना में शामिल नहीं थे।” वहीं, किसान हरचरण सिंह के छोटे बेटे गुरविंदर सिंह ने बताया कि उनका परिवार दिल्ली जाकर आंदोलन में हिस्सा लेने वालों के लिए एनएच-9 पर लंगर चलाता है।

गुरविंदर पिता के ऊपर लगाए गए राजद्रोह के मामले को आधारहीन बताते हुए कहा, “मेरे पिता छड़ी की मदद से चलते हैं। उन्होंने 11 जुलाई को किसी तरह की हिंसा नहीं की और न ही किसी तरह का भड़काऊ भाषण दिया।”

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किसान नेता प्रह्लाद सिंह भारुखेड़ा 42 साल के हैं और बीते 21 सालों से किसान आंदोलनों में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैंने किसानों के लिए लड़ाई में दो सरकारी नौकरियां तक ठुकरा दी।”

वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) का कहना है कि ये आरोप गलत हैं और हरियाणा की किसान विरोधी सरकार के निर्देश पर दर्ज किए गए हैं। मोर्चा इन आरोपों का सामना कर रहे सभी किसानों की मदद करेगी।

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भारुखेड़ा ने ऐलान किया कि अगर किसानों को रिहा नहीं किया गया और उन पर लगाए गए राजद्रोह के मामले नहीं हटाए गए तो वे शुक्रवार को सिरसा जिले में सभी गांवों में सत्तारूढ़ भाजपा-जेजेपी के नेताओं के पुतले फूंकेंगे और शनिवार को एसपी जैन के ऑफिस का घेराव करेंगे।

किसान नेताओं का कहना है कि हमारे राजनीतिक विरोधियों द्वारा आंदोलन को बदनाम करने के लिए कुछ अराजक तत्वों का सहयोग लिया गया। और यही तत्व 11 जुलाई को हुई हिंसा के पीछे हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, 11 जुलाई को गंगवा भाजपा के सिरसा में जिला कार्यकारी की बैठक से बाहर आ रहे थे कि बाहर धरना दे रहे किसानों ने उनकी कार को रोकने की कोशिश की। इस घटना के वीडियो में गंगवा की कार पर पथराव होते देखा जा सकता है, जिससे उनकी कार की विंडस्क्रीन टूट जाती है।

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पुलिस उन्हें सही तरीके से बाहर निकालने के लिए उनकी कार को घेर लेती हैं। इस घटना के दिन ही चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन किसानों द्वारा सड़कें अवरुद्ध करने के बाद उसी शाम इन्हें रिहा कर दिया गया था।

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बता दें कि खट्टर सरकार ने घटना को गंभीरता लेते हुए सिरसा के जिला पुलिस प्रमुख भूपेंदर सिंह की जगह अर्पित जैन को एसपी नियुक्त किया था। और एक इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी को सस्पेंड कर दिया था।

बताया जा रहा है कि 11 जुलाई को ड्यूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर घटनास्थल पर तैनात सिरसा जिला कल्याण अधिकारी सुशील कुमार की शिकायत के आधार पर सभी किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।

एफआईआर के मुताबिक, “हरचरण सिंह पंजुआना, प्रह्लाद सिंह भारुखेड़ा और 90 से 100 अज्ञात असामाजिक तत्वों ने ने सरकारी काम में बाधा डालकर, जनप्रतिनिधियों पर कातिलाना हमला कर और सरकारी संपत्ति को नष्ट कर सरकार के खिलाफ बगावत की।”

सुशील कुमार ने किसानों पर नारेबाजी करने का आरोप लगाया। हालांकि, उन्होंने ऐसे किसी नारे का उल्लेख नहीं किया। गिरफ्तारी के बारे में पूछने पर सिरसा के भाजपा जिला अध्यक्ष आदित्य देवी लाल ने कहा कि 11 जुलाई को हिंसा में शामिल लोग असामाजिक तत्व थे, न कि किसान।


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