राहुल गांधी के संसद में दिए भाषण की देश से लेकर अमेरिका तक में चर्चा क्यों?

राहुल गांधी के संसद में दिए भाषण की देश से लेकर अमेरिका तक में चर्चा क्यों?

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का बुधवार को संसद में दिए गए भाषण की चारों तरफ चर्चा हो रही है। जहां एक तरफ सत्ताधारी भाजपा हमलावर है, वहीं कुछ लोग उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं। दरअसल, राहुल गांधी गुरुवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब दे रहे थे। उन्होंने संसद में दिए अपने भाषण के बाद बाहर आते हुए एक पत्रकार के सवाल के जवाब में कहा कि वह तमिल हैं।

राहुल ने संसद में गैर-हिंदी भाषी राज्यों को लेकर कई बातें कहीं। उन्होंने कई बार अपने भाषण के दौरान तमिलनाडु का नाम लिया। उन्होंने लोकसभा में कई बार तमिलनाडु का उदाहरण देते हुए कहा, “इस देश के दो दृष्टिकोण हैं। एक दृष्टि यह है कि यह राज्यों का संघ है, अर्थात बातचीत और वार्तालाप है, जिसका अर्थ है कि मैं तमिलनाडु में अपने भाई के पास जाता हूं और मैं कहता हूं, ‘तुम्हें क्या चाहिए?’ और वह कहता है, ‘यह है जो मैं चाहता हूं’। फिर वह मुझसे पूछता है ‘तुम क्या चाहते हो?’ और मैं कहता हूं ‘यह वही है जो मुझे चाहिए’। यह एक साझेदारी है, यह एक राज्य नहीं है। आप अपने पूरे जीवन में कभी भी तमिलनाडु के लोगों पर शासन नहीं करेंगे। यह नहीं किया जा सकता है।”

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राहुल गांधी ने कहा, “भारत राष्ट्र का भ्रमित विचार देश के साथ खिलवाड़ कर रहा है।” फिर उन्होंने सदन में हो रहे हंगामे के बीच पेगासस का जिक्र करते हुए कहा, “ये लोगों पर हमला करने वाली संस्थाएं हैं। जब पीएम मोदी व्यक्तिगत रूप से इजरायल जा रहे हैं और पेगासस को अधिकृत कर रहे हैं, तो वह तमिलनाडु के लोगों, असम के लोगों पर हमला कर रहे हैं।”

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने आगे कहा, “आप बहुत खतरनाक चीज के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। मैं भारत के विचार के बारे में कुछ जानता हूं क्योंकि इस देश के लिए मैंने नहीं लेकिन मेरे परिवार के सदस्यों ने बलिदान दिया है। मेरे परनाना इसके लिए 15 साल तक जेल में रहे, मेरी दादी को 32 गोलियां मारी गईं। मेरे पिता को टुकड़ों में उड़ा दिया गया था।” उन्होंने आगे कहा कि मैं जानता हूं कि यह देश क्या है और यहां के लोग क्या चाहते हैं।

राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र इस देश को एक छड़ी से नहीं चला सकता है। अब एक भारत नहीं, दो भारत हैं। एक भारत अत्यंत धनी लोगों के लिए है, जिनके पास अपार दौलत है, जिनके पास अपार शक्ति है। एक भारत गरीबों के लिए है।

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राहुल गांधी ने फिर कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण सच्चाई से दूर था। उसमें बेरोजगारी का कोई जिक्र नहीं था। जबकि पिछले साल 3 करोड़ युवाओं ने अपना रोजगार खो दिया। उन्होंने कहा कि हमारी यूपीए की सरकार ने दस साल के भीतर 27 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाला था और इस सरकार ने 23 करोड़ लोगों को गरीबी में धकेल दिया। मोदी सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी से असंगठित क्षेत्र को खत्म कर दिया, जिससे अब दो हिंदुस्तान बन गए हैं।

राहुल गांधी ने अपने भाषण में एक बेहद अहम बात कही जिसको लेकर बौद्धिक वर्ग में चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि संविधान में भारत को राष्ट्र नहीं कहा गया है। भारत राज्यों का संघ है। सरकार को इतिहास का ज्ञान नहीं है। बिना संवाद के लोगों पर राज नहीं कर सकते। हर राज्य की अपनी संस्कृति, भाषा, इतिहास है। केंद्र राज्यों पर कोई दवाब नहीं बना सकता है। हमारा देश सामाज्य नहीं है। देश फूलों के गुलदस्ते के समान है। देश को केंद्र की छड़ी से नहीं चलाया जा सकता है।

राहुल गांधी के भाषणों की चर्चा अमेरिका में भी हो रही है। दरअसल, राहुल गांधी ने कल कहा कि केंद्र की गलत नीतियों के चलते चीन और पाकिस्तान साथ आए। जब अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस से पत्रकारों इस संबंध में सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा, “वे इस तरह के बयान का समर्थन नहीं करते।”

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कल राहुल गांधी ने मोदी सरकार के विदेश नीति की आलोचना करते हुए कहा था कि आपकी नीति ने चीन और पाकिस्तान को एकजुट करने का काम किया है और यह सबसे बड़ी चुनौती भारत के सामने है। उन्होंने आगे कहा कि चीन के पास एक क्लियर प्लान है और उसकी नींव डोकलम और लद्दाख में रखी है। उन्होंने कहा कि कश्मीर पर सरकार ने गलत फैसला लिया है।

राहुल गांधी ने ये भी संसद में कहा था कि आप चीन को देखिए, वह कैसे हथियार खरीद रहा है। हमें खुद का बचाव करने की जरूरत है। यह देश के लिए अहम है कि आप हमें सुनिए। आप सोच रहे होंगे कि हम नहीं समझ रहे हैं, लेकिन हम जानते हैं। राहुल ने कहा आगे कहा कि अगर कुछ भी होता है तो आप उसके लिए जिम्मेदार होंगे।

राहुल गांधी के संसद में दिए भाषण की देश लेकर अमेरिका तक में चर्चा क्यों?

जब इन सभी बातों को लेकर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता के सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “मैं इसे पाकिस्तान और चीन पर छोड़ देता हूं कि वे अपने रिश्ते के बारे में बात करें। लेकिन मैं निश्चित तौर पर इस तरह के बयान का समर्थन नहीं करूंगा।” इसके बाद नेड प्राइस से पूछा गया कि आपको क्या लगता है कि पाकिस्तान चीन के साथ इतनी निकटता से क्यों काम कर रहा है? क्या आपको लगता है अमेरिका ने उन्हें अलग थलग छोड़ दिया?

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नेड प्राइस ने जवाब में कहा, “हमने दुनिया के सामने यही स्पष्ट किया है कि किसी भी देश को अमेरिका और चीन में किसी एक को चुनने की जरूरत नहीं है। जब अमेरिका के साथ संबंधों की बात आती है तो हमारा इरादा देशों को विकल्प प्रदान करने का रहता है। पाकिस्तान हमारा रणनीतिक साझेदार है। हमारे इस्लामाबाद सरकार से अहम रिश्ते हैं। यह एक ऐसा रिश्‍ता है जिसे हम विभिन्‍न मोर्चों पर तवज्‍जो देते हैं।”


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