भारत में ‘औपनिवेशिक युग के कानूनों के खिलाफ’ रविवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर कुछ दक्षिणपंथी लोगों ने जमकर बवाल काटा। सबसे आश्चर्यजनक बात ये कि जहां ये घटना हुआ वहां से भारतीय संसद कुछ ही मीटर की दूरी पर मौजूद है। मार्च के दौरान मुस्लिम विरोधी और उनके खिलाफ हिंसा के लिए उकसाने वाले नारे लगाए गए।
अंग्रेजी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने दिल्ली पुलिस के हवाले लिखा है कि आयोजकों को यह कार्यक्रम करने की अनुमति नहीं दी गई थी। हालांकि, रविवार देर शाम तक इस मामले में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इस रैली का आयोजन सुप्रीम कोर्ट के वकील और दिल्ली प्रदेश बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने किया था जिसमें 100 से अधिक लोग शामिल हुए थे।
सोशल मीडिया पर घटना से संबंधित कुछ वीडियो वायरल हो रहे जिसमें देखा जा सकता है कि कुछ दक्षिणपंथी लोग नारे लगा रहे हैं और मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने की धमकियां दी जा रही हैं। जाने-माने पत्रकार विनोद कापड़ी ने घटना को लेकर कई ट्वीट किए हैं।
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विनोद कापड़ी ने लिखा है, “देश की राजधानी दिल्ली को फिर से दंगों में झोंकने की साज़िश हो रही है। आज दिल्ली के संसद मार्ग थाने के पास मुसलमानों के नरसंहार के ज़हरीले नारे लगाए गए । सबसे ख़तरनाक ये है कि पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है और मीडिया हमेशा की तरह फिर चुप है।”
देश की राजधानी दिल्ली को फिर से दंगों में झोंकने की साज़िश हो रही है।
— Vinod Kapri (@vinodkapri) August 8, 2021
आज दिल्ली के संसद मार्ग थाने के पास मुसलमानों के नरसंहार के ज़हरीले नारे लगाए गए ।
सबसे ख़तरनाक ये है कि पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है और मीडिया हमेशा की तरह फिर चुप है। pic.twitter.com/XuRvlLMv8E
वहीं, एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट किया है। उन्होंने चार ट्वीट किए हैं। पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा है, “पिछले जुम्मे को द्वारका में हज हाउस के विरोध में एक ‘महापंचायत’ बुलाई गई। हस्ब-ए-रिवायत, इस पंचायत में भी मुसलमानों के खिलाफ़ पुर-तशद्दुद् नारे लगाए गए। जंतर मंतर मोदी के महल से महज़ 20 मिनट की दूरी पर है, कल वहाँ “जब मुल्ले काटे जाएंगे…” जैसे घटिया नारे लगाए गए।”
पिछले जुम्मे को द्वारका में हज हाउस के विरोध में एक ‘महापंचायत’ बुलाई गई। हस्ब-ए-रिवायत, इस पंचायत में भी मुसलमानों के खिलाफ़ पुर-तशद्दुद् नारे लगाए गए। जंतर मंतर मोदी के महल से महज़ 20 मिनट की दूरी पर है, कल वहाँ “जब मुल्ले काटे जाएंगे…” जैसे घटिया नारे लगाए गए। 1/n
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 9, 2021
दूसरे ट्वीट में लिखा है, “पिछले साल मोदी के मंत्री ने “गोली मारो” का नारा लगाया था और उसके तुरंत बाद उत्तर-पूर्व दिल्ली में मुसलमानों का खुले आम नरसंहार हुआ। ऐसी भीड़ और ऐसे नारे देख कर भारत का मुसलमान सुरक्षित कैसे महसूस कर सकता है?”
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आख़िर, इन गुंडों की बढ़ती हिम्मत का राज़ क्या है? इन्हें पता है कि मोदी सरकार इनके साथ खड़ी है।24 जुलाई को भारत सरकार ने रासुका (NSA) के तहत दिल्ली पुलिस को किसी भी इंसान को हिरासत में लेने का अधिकार दिया था। फिर भी दिल्ली पुलिस चुप चाप तमाशा देख रही है। 3/n
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 9, 2021
तीसरे ट्वीट में लिखा है, “आख़िर, इन गुंडों की बढ़ती हिम्मत का राज़ क्या है? इन्हें पता है कि मोदी सरकार इनके साथ खड़ी है।24 जुलाई को भारत सरकार ने रासुका (NSA) के तहत दिल्ली पुलिस को किसी भी इंसान को हिरासत में लेने का अधिकार दिया था। फिर भी दिल्ली पुलिस चुप चाप तमाशा देख रही है।”
आखिरी ट्वीट में उन्होंने लिखा है, “ऐसे हालात बन चुके हैं कि इंसाफ और क़ानूनी कार्रवाई की मांग करना भी मज़ाक बन चुका है। लोकसभा में आज इस पर चर्चा होनी चाहिए, वज़ीर-ए-दाखला की जवाबदेही होनी चाहिए। मैंने इस मुद्दे पर लोकसभा के रूल्स के मुताबिक़ स्थगन प्रस्ताव की नोटिस दी है।”
ऐसे हालात बन चुके हैं कि इंसाफ और क़ानूनी कार्रवाई की मांग करना भी मज़ाक बन चुका है। लोकसभा में आज इस पर चर्चा होनी चाहिए, वज़ीर-ए-दाखला की जवाबदेही होनी चाहिए। मैंने इस मुद्दे पर लोकसभा के रूल्स के मुताबिक़ स्थगन प्रस्ताव की नोटिस दी है। n/n
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) August 9, 2021
इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि उनकी ओर से अश्विनी उपाध्याय से ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ नामक इस मार्च को लेकर बात करने की कोशिश की, पर उनकी ओर से अखबार को कोई जवाब नहीं दिया गया।
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सुप्रीम कोर्ट में अश्विनी ने पिछले महीने भारतीय दंड संहिता के खिलाफ एक जनहित याचिका दायर करके एक ‘व्यापक’ और ‘कठोर’ दंड संहिता की मांग की थी जो कि देश में समानता से कानून का शासन स्थापित करे।
भारत जोड़ो आंदोलन की मीडिया इंचार्ज शिप्रा श्रीवास्तव ने कहा, “औपनिवेशिक कानूनों के खिलाफ यह प्रदर्शन था जो कि ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों को दबाने के लिए बनाया गया था। हम वहां उन कानूनों के खिलाफ और समान नागरिक संहिता के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे क्योंकि हमारी मांग थी कि देश में एक नियम होना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “मेरी जानकारी में वहां पर कोई ऐसे (भड़काऊ) नारे नहीं लगाए गए। वहां पर 5,000 लोग थे और अगर उनमें से 5-6 लोगों ने किसी कोने में ऐसे नारे लगाए होंगे तो हम खुद को उनसे अलग कर लेते हैं।”
Salute to this young reporter @anmolpritamND who despite being surrounded by a dangerous mob at Jantar Mantar refused to say ‘Jai Sri Ram’ when forced.Held his ground firmly,
— Zafar Abbas (@zafarabbaszaidi) August 8, 2021
When most TV personalities hv sold their profession, ds young man comes as a hope.Not everything is lost. pic.twitter.com/LDmBKQIxBK
नई दिल्ली जिले के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा, “DDMA दिशानिर्देशों (जो कि कोविड प्रोटोकॉल के दौरान भीड़ इकट्ठा करने की अनुमति नहीं देता है) के बारे में बताते हुए हमने अनुमति देने से मना कर दिया था और बाद में हमें पता चला कि अश्विनी उपाध्याय इंडोर में यह कार्यक्रम करना चाहते हैं।”
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उन्होंने कहा, “पुलिस व्यवस्था उस जगह पर की गई थी क्योंकि हमें लगा कि वहां पर तकरीबन 50 लोग आएंगे, लेकिन एकाएक वहां पर छोटे समूहों में लोग इकट्ठा होने लगे। वे शांतिपूर्ण तरीक़े से प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन जब वे जाने लगे तो नारे लगाने लगे।”
जब डीसीपी (नई दिल्ली जिला) दीपक यादव से कथित नारे वाले वीडियो के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “हम सभी वीडियो क्लिप को वेरीफाई कर रहे हैं।” हालांकि, जंतर-मंतर पर इतनी भारी संख्या में भीड़ इकट्ठा होने पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की।
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