बिहार में कांग्रेस पार्टी आरजेडी जैसे दलों पर डिपेंड रहने के बजाए अपनी सियासी जमीन मजबूत करने में लगी है। इसी क्रम में कन्हैया कुमार को कांग्रेस में शामिल कराया गया है। अब 5 महीने बाद जेल से बाहर आए पूर्व सांसद पप्पू यादव की भी एंट्री हो सकती है। पप्पू यादव बुधवार को अपनी कोर कमेटी के साथ मंथन करने वाले थे जिसके बाद राहुल गांधी से उनकी मुलाकात होनी है। हालांकि, उन्होंने बिहार उप-चुनाव में कांग्रेस के साथ खड़े होने का एलान पहले ही कर दिया है।
उधर, राजद में भी सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी की माने तो लालू यादव के बेटे तेज प्रताप यादव अब आरजेडी में नहीं हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। शिवानंद जैसे लोगों ने यहां तक दावा किया कि तेज प्रताप यादव को पार्टी का चुनाव चिन्ह लालटेन के इस्तेमाल की अनुमति तक नहीं है।
हाजीपुर पहुंचे शिवानंद तिवारी ने बुधवार को कांग्रेस पर तंज कस्ते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन क्या हुआ? राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने सीटों को लेकर महागठबंधन में खटास का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस की जिद्द की वजह से उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत हुई और अखिलेश यादव की हार हुई।

ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिला में सांप्रदायिक हिंसा, पुलिस पर हमला, लगा कर्फ्यू
शिवानंद तिवारी यहीं नहीं रूके, उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस अगर बिहार, उत्तर प्रदेश और बंगाल जैसे प्रदेशों में ड्राइविंग सीट चाहेगी तो राजद जैसी क्षेत्रीय पार्टिया कहां जाएंगी। दूसरी तरफ खबर आ रही है कि आरजेडी उपचुनाव में किसी भी कीमत पर कांग्रेस के लिए सीट खाली करने को राजी नहीं है। साथ ही आरजेडी आने वाले चुनाव में भी कांग्रेस को अपने समीकरणों के हिसाब से उसकी भूमिका में फिट करने का मन बना चुकी है।
कांग्रेस और आरजेडी में दो सीटों पर हो रहे उप-चुनाव को लेकर दरार पड़ गई है। आरजेडी के कैंडिडेट उतारने के बाद कांग्रेस भी प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है। कांग्रेस, आरजेडी से बिगड़ते रिश्ते के बीच बिहार में अपनी सियासी जमीन तैयार करने की रणनीति में जुट गई है। ऐसे में कन्हैया कुमार के बाद पप्पू यादव कांग्रेस का दामन थामते हैं तो बिहार की सियासत में साफ है कि कांग्रेस आरजेडी का गठबंधन टूटेगा।
जैसा कि मालूम है कि पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन बिहार के सुपौल सीट से कांग्रेस की सांसद रह चुकी हैं। अभी रंजीता कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव हैं। ऐसे में पप्पू यादव के कांग्रेस में शामिल होने की संभावना बढ़ गई है। वैसे भी पप्पू यादव भी बहुत दिनों किसी मजबूत गठबंधन की लताश में हैं। पप्पू यादव ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तारापुर और कुशेश्वरस्थान में हो रहे उप-चुनाव में कांग्रेस को मदद करने का एलान कर दिया।
ये भी पढ़ें: राहुल गांधी-प्रियंका गांधी लखीमपुर के लिए निकलने, पर हिरासत में लिए गए पायलट
इससे पहले तेजस्वी यादव के टक्कर का कोई नेता अभी तक बिहार में नहीं था। लेकिन, कन्हैया को कांग्रेस ने अपने पाले में लाकर अफनी स्थिति मजबूत कर ली है। वैसे भी पप्पू यादव पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेसी अब बिहार में आरजेडी से अलग होकर अपनी विचारधारा के साथ नये बिहार के निर्माण की बात करे। पप्पू ने कहा कि अगर कांग्रेस ऐसा करती है तो हमारी पार्टी निश्चित रूप से कांग्रेस को सपोर्ट करेगी।

कन्हैया भूमिहार समुदाय से आते हैं। और बिहार की सियासत में भूमिहारों का शुरू से बड़ा वर्चस्व रहा है। वे कभी कांग्रेस के परंपरागत वोटर माने जाते थे। बिहार के तमाम कांग्रेसी नेता कन्हैया कुमार को प्रदेश का भविष्य का नेता बता रहे हैं तो बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास ने पार्टी की सदस्यता के दौरान ही कहा था कि बिहार की धरती आपको संघर्ष के लिए आवाज दे रही है।
इसका संकेत साफ है कि कांग्रेस कन्हैया कुमार के रूप में बिहार में एक बड़े नेता के तौर पर आगे बढ़ा सकती है। दूसरी तरफ बिहार की राजनीति में यादवों का बड़ा दबदबा रहा है। कांग्रेस बहुत दिनों से एक ऐसा यादव नेता तलाश में है जिसकी छवि ठीक हो। पप्पू यादव ने लगातार समाजसेवा से अपनी अलग छवि गढ़ी है। कोर्ट से बाइज्जत बरी किए जाने के बाद मैसेज पब्लिक में गया है कि कोरोना काल में लोगों की सेवा और बीजेपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी से जुड़ा एम्बुलेंस मामला उजागर करने का खामियाजा ही उन्हें भुगतना पड़ा।
ये भी पढ़ें: राहुल-प्रियंका का लखीमपुर में पीड़ित परिवार से मुलाकात, रॉबर्ट वाड्रा ने कही ये बात
बिहार में कांग्रेस के पास कोई बड़ा यादव जाति का नेता नहीं है। चंदन यादव राष्ट्रीय सचिव हैं, पर जो कद पप्पू यादव का वैसी बड़ी इमेज उनकी नहीं है। ऐसे में कांग्रेस पप्पू यादव को मिलाकर इस कमी की भरपाई कर सकती है। कन्हैया कुमार और पप्पू यादव दोनों ही ऐसे नेता हैं, जिनके साथ तेजस्वी यादव की राजनीतिक पटरी नहीं खाती है। बीते लोकसभा चुनाव में बेगुसराय सीट पर जब कन्हैया कुमार खड़े हुए तो उनके खिलाफ आरजेडी ने अपना प्रत्याशी उतार दिया था जबकि कांग्रेस की मंशा नहीं थी। इससे साफ था कि वो किसी भी हाल में कन्हैया को तेजस्वी का विकल्प बनने से रोकना चाहती थी।
इतना ही नहीं तेजस्वी के चलते ही पप्पू यादव की कांग्रेस में एंट्री नहीं हो पा रही थी। कांग्रेस 2019 में पप्पू यादव को कोसी इलाके की किसी सीट से चुनाव लड़ाना चाहती थी, लेकिन आरजेडी तैयार नहीं हुई। क्योंकि, शुरू से पप्पू यादव को राजद किनारा करती रही है कि कहीं वे उनकी जगह याद की नजर में अधिक महत्व न पा जाएं। लेकिन, अब कांग्रेस आरजेडी की बैसाखी के सहारे नहीं चलना चाहती है। ऐसे में कन्हैया के बाद पप्पू की एंट्री से सियासी बिसात बिछाई जा रही है।
(प्रिय पाठक, पल-पल के न्यूज, संपादकीय, कविता-कहानी पढ़ने के लिए ‘न्यूज बताओ’ से जुड़ें। आप हमें फेसबुक, ट्विटर, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर भी फॉलो कर सकते हैं।)
Leave a Reply