जाने-माने पत्रकार पी. साईनाथ जापान के ग्रैंड फुकुओका पुरस्कार से सम्मानित

जाने-माने पत्रकार पी. साईनाथ जापान के ग्रैंड फुकुओका पुरस्कार से सम्मानित

भारत के जाने-माने पत्रकार और पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया (परी) के संस्थापक संपादक पी. साईनाथ को जापान के प्रतिष्ठित ग्रैंड फुकुओका पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

साईनाथ को ये पुरस्कार भारत में गरीब कृषक गांवों की रिपोर्टिंग करने और ग्रामीण आबादी की आवाज को जन-जन तक पहुंचाने के लिए दिया गया है। जापान के शीर्ष पुरस्कारों में एक ग्रैंड फुकुओका को एशियाई देशों के लिए खोला गया है।

अवार्ड की घोषणा करते हुए पुरस्कार देने वाली संस्था ने कहा, “समाचार वेबसाइट पीपुल्स आर्काइव ऑफ रूरल इंडिया (परी) के संस्थापक साईनाथ को सम्मानित किया जा रहा है। एक प्रतिबद्ध पत्रकार जो भारत में खेती करने वाले गरीब लोगों की आवाज उठाते हैं। साथ ही वह इन लोगों की जीवनशैली को वास्तविकता से रूबरू कराते हुए ‘ग्रामीण कहानियों’ की रिपोर्ट करते हैं।”

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इसके आगे कहा, “एशिया परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है लेकिन इन सबके बीच साईनाथ नई चीजों को जनमानस के आगे रख रहे हैं और नागरिक सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। इस कारण से वह फुकुओका पुरस्कार से सम्मानित होने के योग्य हैं।”

फुकुओका पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं- शैक्षणिक, सांस्कृतिक और ग्रैंड प्राइज। इससे पहले इस पुरस्कार से भारत की इतिहासकार प्रोफेसर रोमिला थापर (शैक्षणिक), उस्ताद अमजद अली खन (सांस्कृतिक) और एआर रहमान (ग्रैंड) को सम्मानित किया जा चुका है।

जाने-माने पत्रकार पी. साईनाथ जापान के ग्रैंड फुकुओका पुरस्कार से सम्मानित

इस साल का अकादमिक पुरस्कार जापान के शिक्षाविद मिओ किशिमोतो और सांस्कृतिक पुरस्कार थाईलैंड के लेखक एवं फिल्मकार प्रब्दा यून को दिया गया है। साईनाथ ने मीडिया को बताया कि पुरस्कार के साथ मिलने वाले पांच मिलियन येन यानी 33 लाख रुपये से वह कोविड-19 से दम तोड़ चुके स्ट्रिंगर्स के परिवारों की मदद करेंगे। साथ में दलित और आदिवासी समुदायों के ग्रामीण पत्रकारों के लिए फेलोशिप शुरू करेंगे।

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पुरस्कार स्वीकार करने के बाद साईनाथ ने इसे ग्रामीण भारत से रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों और अपने संस्था परी को समर्पित किया। परी के ग्रामीण समुदायों की व्यापक कवरेज का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह पुरस्कार पत्रकारिता की ‘लुप्तप्राय प्रजाति’ के समर्थन का संकेत देता है।

उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान जब जन पत्रकारिता की सबसे ज्यादा जरूरत है, ऐसे में कॉरपोरेट स्वामित्व वाले मीडिया समूहों ने हजारों पत्रकारों को नौकरियों से निकाल दिया है। पत्रकार के तौर पर अपने चार दशकों के करिअर के दौरान साईनाथ ग्रामीण भारत के संकट और कृषि अर्थव्यवस्था को लेकर व्यापक काम किया है।

इससे पहले भी साईनाथ को कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें एमनेस्टी इंटरनेशनल ग्लोबल ह्यमून राइट्स जर्नलिज्म पुरस्कार और रैमन मैग्सेसे पुरस्कार शामिल हैं। इसके अलावा वे कई किताबें भी लिख चुके हैं, जिनमें ‘एवरीबडी लव्ज अ गुड ड्रॉट’ काफी लोकप्रिय है और उस पर नीरोज गेस्ट्स जैसी डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है।


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